नर्मदा शुद्धिकरण के साथ वृक्ष लगाएँ
नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री बाबूलाल गौर ने कहा है कि समग्र नर्मदा शुद्धिकरण योजना के अंतर्गत वृक्षारोपण कार्यक्रम को प्राथमिकता से किया जाये। उन्होंने उद्योग एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारियों को वृक्षारोपण के लिये आरक्षित भूमि के प्रस्ताव शीघ्र कलेक्टर को भेजने के निर्देश दिये। श्री गौर आज मंत्रालय में समग्र नर्मदा शुद्धिकरण योजना की बैठक ले रहे थे। बैठक में जल-संसाधन एवं पर्यावरण मंत्री श्री जयंत मलैया, राजस्व मंत्री श्री करण सिंह वर्मा एवं नगरीय प्रशासन राज्य मंत्री श्री मनोहर ऊँटवाल भी मौजूद थे।मंत्री गौर ने नर्मदा नदी से लगे शहरों के मास्टर प्लॉन शीघ्र तैयार किये जाने के लिये भी कहा। बैठक में बताया गया कि चित्रकूट का मास्टर प्लॉन शीघ्र बनकर तैयार हो रहा है। प्रदूषण निवारण मण्डल के अधिकारियों ने बताया कि नर्मदा नदी से लगे 12 उद्योग को प्रदूषण की दृष्टि से चिन्हित किया गया था, उनकी जाँच में यह पाया गया है कि इन उद्योग का अपशिष्ट नर्मदा नदी में नहीं मिल रहा है। शहडोल जिले की अमलाई पेपर मिल से होने वाले जल प्रदूषण में 30 प्रतिशत की कमी कर ली गई है। आने वाले 6 माह में उपचार संयंत्र के जरिये प्रदूषण में शत-प्रतिशत कमी को पूरा किया जायेगा। उद्योग विभाग ने बताया कि नर्मदा नदी से लगे जिलों में पहले चरण में 20 लाख पौधे लगाये जाने हैं। समग्र योजना में पौने तीन करोड़ से अधिक पौधे लगाये जाने की कार्य-योजना तैयार की गई है। इस कार्य में औद्योगिक संगठनों की मदद ली जा रही है।नर्मदा शुद्धिकरण योजना के लिये 53 शहरों की जल-प्रदाय, ठोस कचरे के निपटान एवं सेनीटेशन की योजनाएँ बना ली गई हैं। अमरकंटक में गायत्री तथा सावित्री नदियों में मिल रहे प्रदूषित जल को रोकने के लिये शोधन-यंत्र की भी स्थापना की गई है। नर्मदा नदी से लगे शेष शहर में साइकिल बॉयो-टेक्नालॉजी के माध्यम से जल-शोधन की कार्य-योजना मार्च, 2013 तक तैयार कर ली जायेगी। अमरकंटक में घर-घर जाकर कचरा एकत्रित करने की योजना को लागू किया गया है। पवित्र नगरी अमरकंटक में बाहर से आने वाले निर्धन वर्ग के यात्रियों के ठहरने के लिये रैन-बसेरा का भी निर्माण किया जा रहा है।