कला एवं संस्कृति के संरक्षण के प्रयास मिलकर हो
कला एवं संस्कृति के संरक्षण के प्रयास मिलकर हो
खजुराहो नृत्य उत्सव के शुभारंभ लक्ष्मीकांत शर्मा ने किया मध्यप्रदेश के संस्कृति एवं जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा है कि प्रदेश में भारतीय कला एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये राज्य सरकार द्वारा कोई कमी नहीं छोड़ी जायेगी। उन्होंने इसके लिये जन-सहयोग का भी आग्रह किया। श्री शर्मा आज खजुराहो में 39वें खजुराहो नृत्य उत्सव के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर अनुसूचित-जाति कल्याण राज्य मंत्री एवं छतरपुर जिले के प्रभारी मंत्री श्री हरिशंकर खटीक, संस्कृति सचिव श्री पंकज राग एवं कमिश्नर सागर श्री आर.के. माथुर भी मौजूद थे।संस्कृति मंत्री शर्मा ने कहा कि खजुराहो नृत्य उत्सव की दुनियाभर में विशिष्ट पहचान है। इस पहचान को बनाये रखने के लिये संस्कृति विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि खजुराहो के मंच पर अंतर्राष्ट्रीय-स्तर के कलाकारों को अपनी प्रस्तुति देने की इच्छा रहती है। इस उत्सव से प्रदेश में शास्त्रीय नृत्य के प्रति जन-सामान्य में एक विशेष जुड़ाव होता है। मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना की चर्चा करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि इस अभिनव योजना से प्रदेशवासी अपनी प्राचीन परम्पराओं से जुड़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्राचीन नगरी उज्जैन में इस साल संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिये विश्व संस्कृत महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।संस्कृति मंत्री श्री शर्मा ने मध्यप्रदेश राज्य रूपंकर कला प्रदर्शनी के 10 प्रतिभागी को सम्मानित कर पुरस्कार वितरित किये। इस अवसर पर केरल की प्रदर्शनकारी कलाओं की कला-यात्रा प्रदर्शनी ‘नेपथ्य’, ललित कलाओं के मेले पर आधारित प्रदर्शनी ‘आर्ट-मार्ट’ एवं मध्यप्रदेश राज्य रूपंकर कला प्रदर्शनी भी लगायी गयी।प्रभारी मंत्री खटीक ने कहा कि प्रदेश में विभिन्न कलाओं की प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिये कई प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बुंदेलखण्ड की अपनी एक विशिष्ट पहचान है। इस अंचल की लोक-कलाओं के संरक्षण के लिये राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी के निदेशक श्री गणेश बागदरे ने स्वागत उद्बोधन दिया।नृत्य समारोह के पहले दिन शर्मिष्ठा मुखर्जी एवं साथियों का कथक नृत्य, डोना गांगुली एवं रघुनाथ दास द्वारा ओडिसी नृत्य तथा उमा नम्बूदरीपाद सत्यनारायण द्वारा भरतनाट्यम की मनमोहक प्रस्तुतियाँ दी गईं। अतिथियों द्वारा इन कलाकारों को सम्मानित भी किया गया।