फरसपाल में मौजूद हैं प्राचीन गणेश प्रतिमाएं
जिस जगह पर भगवान् परशुराम और गणेश जी के बीच युद्ध हुआ था | वहां अब नहीं प्राचीन गणेश प्रतिमा मौजूद हैं| दंतेवाड़ा के इस इलाके को फरसपाल नाम से जाना जाता है |
बस्तर के दन्तेवाडा में हजारों साल पुरानी गणेश जी की दो मूर्तिया हैं | फरसपाल में समुन्द्री सतह से तीन हजार फिट ऊंचे पहाड की चोटी ढोलकाल शिखर पर विश्व की अनोखी गणेश प्रतिमा विराजमान है | इस गणेश मूर्ती के एक हाथ मे फरसा और एक हाथ मे टूटा हुआ दांत है | यह विश्व की एक मात्र मूर्ती है..किवदन्ती है कि यहां पर भगवान परशुराम और गणेश जी के बीच युध्द हुआ था | जिसमे गणेशजी का एक दांत टूट गया था. | तभी से इस जगह का नाम फरसपाल पडा. | इस मूर्ती के पेट पर शेषनाग और जनेऊ के स्थान पर एक जंजीर बनी हुई है..इस मूर्ती तक पहुंचना बेहद मुश्किल है | खडी पहाडी पर चार घन्टे की चढाई चढ कर ही यहां चहुंचा जा सकता है. | सबसे बडा आश्चर्य तो यह कि साढे तीन फिट की इतनी वजनी मूर्ती को यहां तक पहुंचाया कैसे गया होगा. | दूसरी मूर्ती जिले के बारसूर में मौजूद है | इसे विश्व की दूसरी सबसे बडी गणेश प्रतिमा माना जाता है| दण्डकारण्य के इस क्षेत्र मे प्रभु श्रीराम ने वनवास का लम्बा समय गुजारा है | इसी कारण यहां पर स्थित एक जलप्रपात का चित्रकोट नाम पडा |