मध्यप्रदेश हुआ पानी-पानी,खटिया पर सिस्टम
मध्यप्रदेश में हो रही बारिश ने नेताओं के झूठे वांदों की कलई खोल कर रख दी हैं | इस बारिश ने उन नेताओं के मुँह पर करारा तमाचा मारा हैं जो विकास के बड़े - बड़े वादें करते हैं | सत्ता में बीजेपी के 15 साल हो या कांग्रेस के 15 महीने | सिस्टम खटिया पर दम तोड़ रहा हैं | वोटरों को पानी में डूबता देख बेशर्म नेताओं की आखों में शर्म का पानी भी नजर नहीं आता | कुछ तस्वीरें हम आपको दिखाएंगे | ये तस्वीरें चीख - चीख कर बता रहीं हैं की | नेता सिर्फ झूट बोलते हैं | यहाँ तो अंतिम यात्रा का सफर तय करना हो | या किसी बच्चे को दुनिया में आने के लिए सफर तय करना हो | ये सफर पानी में तैर कर ही पूरा करना पड़ेगा | ये हैं मध्यप्रदेश के विकास की पहली तस्वीर | पानी कमर तक हैं | ग्रामीणों के कन्धों पर एक बुजुर्ग महिला की अर्थी हैं | जो शायद विकास की राह देखते-देखते इस दुनिया को ही अलविदा कह गई | वही दूसरी तस्वीर में वो महिला हैं जो एक बच्चे को जन्म देने वाली हैं | यहाँ भी पानी जन्म लेने बाले बच्चे के लिए बाधा बना हुआ हैं | खटिया पर इस गर्व्हवती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए ग्रामीण मजबूर हैं | अब आप को विस्तार से बताते हैं की यह तस्वीरें मध्यप्रदेश के किस क्षेत्र की हैं | और इनके दोषी कौन हैं |
पहली तस्वीर जो आप बुजुर्ग महिला की अंतिम यात्रा की देख रहे हैं वो | वो गोविन्द सिंह राजपूत के सुर्खियों में रहने वाले सुरखी विधानसभा क्षेत्र की हैं .... एक लम्बे अरसे से गोविन्द सिंह राजपूत यहाँ के वोटरों की बदौलत विधान सभा तक का सफर तय करते हैं | मंत्री पद भी हांसिल करते हैं | मगर इसके बदले में सालों से मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत अपने वोटरों को एक पक्की सड़क , पुल या पुलिया तक नहीं दे पाए | सत्ता में रहने के लिए मंत्री जी ने पार्टी तक बदल डाली | होश में आईये मंत्री जी कहीं ऐसा ना हो की ये वोटर विकास के लिए अपना नेता बदल डाले | और करें भी क्यों ना यहाँ तो
| दाह संस्कार करने जाने के लिए भी कठिनाई उठानी पड़ती है | ये कैसा विकास जहा इंसान के मरने के बाद भी उसके शव को अंतिम यात्रा पर ले जाने के लिए | उसके परिजनो को कष्ट भोगना पड़े | राहतगढ जनपद की ग्राम पंचायत पराषरी कला के ग्राम हुरा जिसकी जनसंख्या 1500 के लगभग होगी जहाँ पर मात्र एक ही श्मशान घाट है | और वो भी क्षतिग्रस्त | टीन छप्पर सब उड चुके हैं | और रास्ता तो आप तस्वीरों में देख ही रहे हैं | श्मशान घाट के रास्ते के बीच में नाला निकला हुआ है | जिसमें वर्तमान में करीब 3 फुट तक पानी भरा हुआ हैं | बाकि का रास्ता भी कीचड़ में तब्दील हो चूका है | यह अंतिम यात्रा हरी बाई राजपूत की हैं जो 70 बरस की थी | उनके शव को लोग अंत्येष्टि के लिए कांधे पर रख गहरे पानी में और कीचड भरे रस्ता से लेकर श्मशान घाट तक पहुंचे | ग्राम वासी सतीष तिवारी ने बाताया की इस संबध में ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत में भी शिकायत कर चुके हैं | लेकिन अभी तक यहां पर कोई व्यवस्था नहीं हो पाई हैं |
अब यह दूसरी तस्वीर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के छिंदवाड़ा मॉडल की हैं | क्या हैं छिंदवाड़ा मॉडल | क्या ये हैं जो खटिया पर नजर आ रहा हैं | छिंदवाड़ा में खटिया पर कमलनाथ का सिस्टम हैं | इस खटिया पर एक गर्भवती महिला हैं जो एक बच्चे को जन्म देने वाली हैं | एक बच्चा सही सलामत इस दुनिया में जन्म ले सके इसके लिए | कई ग्रामीणों ने अपनी जान जोखिम में डाल कर एक गर्भवती महिला को खटिया पर लिटाकर कन्धों पर उठाये अस्पताल तक पहुँचाया | समझ से परे हैं ऐसा छिंदवाड़ा मॉडल | छिंदवाड़ा जिले के कोकाढाना गांव में भारी बारिश के कारण नदी उफान पर है | शहर जाने के लिए आज तक पुल भी नहीं बन पाया है | ऐसे में गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए उसे खटिया पर लिटाकर ग्रामीणों का नदी पार करना उनकी मज़बूरी हैं | लेकिन यहाँ छिंदवाड़ा मॉडल के सृजक की कोई मज़बूरी नजर नहीं आती | छिंदवाड़ा मॉडल के दम पर सत्ता में आने वाले कमल नाथ ने क्या कभी सड़कों पर उतर कर अपने वोटरों की सुध ली | अगर ली होती तो आज शायद कमलनाथ दोबारा सत्ता में आने ले लिए जद्दो-जहद नहीं कर रहे होते | सिस्टम की नाकामी का यह मामला पांढुर्णा तहसील के कोकाढाना गांव का है | जहां रहने वाली रीना कुमरे को शनिवार को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई | जिसके बाद उन्होंने एम्बुलेंस को कॉल किया | लेकिन लगातार हो रही बारिश ने एम्बुलेंस का रास्ता रोक दिया और महिला की प्रसव पीड़ा बढ़ती ही जा रही थी | ऐसे में ग्रामीण गर्भवती महिला को खटिया पर लिटाकर कंधों के सहारे निकल पड़े | इस दौरान नदी का बहाव भी तेज था | बावजूद इसके ग्रामीण अपनी जान पर खेल कर | महिला को बचाने के लिए नदी में उतर गए और नदी की धारा को चीरते हुए दूसरे किनारे पहुंच पाए | फिर महिला को पांढुर्णा सरकारी अस्पताल पहुँचाया गया जहां महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया | अफ़सोस ये हैं की छिंदवाड़ा मॉडल की ढपली पीटने वाले कमलनाथ ने आजतक यहाँ एक पुलिया भी नही बनाई | ग्रामीण हर साल बारिश में जान जोखिम में डालकर उफनती नदी पार करते हैं | सरकार ने पिछले साल ही एक पुलिया के निर्माण को स्वीकृति दी | लेकिन लापरवाह ठेकेदार और उनपर अंकुश रखने वाले लापरवाह अधिकारीयों के कारण पुलिया का काम आधा अधूरा ही पड़ा हैं | जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है.|