ओरछा में 125 किस्म के गिद्ध
विश्व में मात्र तीन प्रतिशत ही बचे हैं गिद्धटीकमगढ़ जिले के ओरछा अभयारण्य में पहली बार की गई गिद्धों की गणना में 4 प्रजातियों के कुल 125 गिद्ध और उनके घोसलों का पता चला है। इन गिद्धों में 50 देशी गिद्ध, 63 श्वेत प्रष्ठ गिद्ध, 09 गोबर गिद्ध और 3 राज्य गिद्ध शामिल हैं। हिमालय से उड़कर ओरछा आने वाले प्रवासी गिद्ध सिनेरियस ग्रिफान की पहचान पहली बार ओरछा में की गई, जो एक बड़ी उपलब्धि है। लखनऊ विश्वविद्यालय की जन्तु विज्ञानी डॉ. अमिता कनौजिया ने गणना की रिपोर्ट अपनी सिफारिशों के साथ पेश कर दी है।वन संरक्षक, वनमंडल टीकमगढ़ ने बताया कि सम्पूर्ण विश्व में मात्र 3 प्रतिशत ही गिद्ध बचे हैं। जिप्स प्रजाति के गिद्धों को आई.यू.सी.एन. ने जोखिम प्रजाति में शामिल किया है। मध्यप्रदेश में भी विगत दो दशक में गिद्धों की संख्या में कमी आई है। इसके मद्देनजर वन विभाग द्वारा गिद्ध संरक्षण के लिए संगोष्ठी के आयोजन सहित विशिष्ट उपाय किए जा रहे हैं। ओरछा में विगत 17 एवं 18 दिसम्बर को गिद्ध गणना प्रशिक्षित विशेषज्ञों की छह टीमों के माध्यम से सिनौनया, क्षत्री समहू, मडोर जहाँगीर महल, कोरी गुलेदा और कारीपाडर क्षेत्रों में वैज्ञानिक तरीके से की गई। गणना के दौरान 125 सफेद पृष्ठ गिद्ध (White Backed Vulture), भारतीय गिद्ध (Long Billed Vulture), गोबर गिद्ध (Egyptian Vulture) और राजगिद्ध गिद्धों के चिन्ह अवासीय क्षेत्रों में पाए गए।गणना रिपोर्ट के मुताबिक ओरछा अभयारण्य के सिनौनिया क्षेत्र में कुल 14 गिद्द पाए गए। इनमें 1 भारतीय, 11 श्वेत पृष्ठ गिद्ध, 2 गोबर गिद्ध और एक घोसला शामिल हैं। क्षत्री समूह में गणना के दौरान 35 गिद्ध, 3 गोबर गिद्द और भारतीय गिद्ध के 14 घोसलें मिले हैं। मडोर क्षेत्र में मात्र एक ही प्रजाति गोबर गिद्ध, 1 गोबर गिद्ध और एक भारतीय गिद्ध का घोसला, कोटी गुलेंदा क्षेत्र में 6 भारतीय गिद्ध, 17 श्वेत पृष्ठ गिद्ध और 3 राजगिद्ध पाए गए।गिद्धों की 22 प्रजातियाँ होती हैं जिनमें से 15 पूर्वी देश और 7 पश्चिमी देश में पाई जाती हैं। गिद्धों के संरक्षण के लिये वन्य-प्राणियों के कानून में 2002 में संशोधन किए गए और वन्य-प्रणाली अधिनियम 1972 की अनुसूची में शामिल किया गया।