शिवपुरी में 60 फीसदी कम हो गए पर्यटक
बंद पड़ा है टूरिस्ट वेलकम सेंटर मध्प्रदेश के शिवपुरी जिले को पर्यटन उद्योग के रूप में विकसित करने के लिए अब तक किए तमाम वादे और प्रयास गति नहीं पकड़ सके हैं। महाभारतकालीन इतिहास और पुरा संपदाएं होने के बावजूद शिवपुरी का नाम प्रदेश के पर्यटन नक्शे पर उभरकर सामने नहीं आ सका है। टूरिस्ट वेलकम सेंटर बंद है, माधव राष्ट्रीय उद्यान में भी अव्यवस्थाएं हैं। इस मुद्दे को गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यूपीए सरकार के समय लगातार उठाया था, लेकिन विभागीय हीलाहवाली ने टूरिस्ट का आकर्षण कम कर दिया, परिणाम स्वरूप बीते दो साल में ही यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में 40 से 60 प्रतिशत तक की गिरावट आई है, जबकि 5 साल पहले तक यहां गर्मियों में भी पर्यटकों की खासी संख्या दर्ज की जाती थी।पर्यटन को रोजगार के रूप में विकसित करने के सभी राजनीतिक प्रयास अब तक विफल साबित हुए हैं। बता दें कि शिवपुरी अंचल को पर्यटन क्षेत्र के रूप में बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पत्थर खदानों पर रोक लगा दी थी। पांच पत्थर खदानों से हटाई गई रोक को छोड़ दें तो जिले की पहचान बन चुका फर्शी पत्थर उद्योग बंद हो चुका है। करीब 70 हजार से ज्यादा मजदूर यहां से पलायन भी कर गए। पूर्व पर्यटन मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने शिवपुरी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए भरपूर प्रयास किए, लेकिन उनके प्रयास भी असफल साबित हुए हैं।पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शिवपुरी महोत्सव प्रतिवर्ष आयोजित किए जाने की शुरूआत हुई थी। बाद में यह बंद हो गया। पर्यटन उद्योग को गति प्रदान करने के लिए हुई शुरूआत प्रशासनिक एवं राजनीतिक उदासीनता के कारण शिवपुरी के पर्यटन को बढ़ावा नहीं दिला सका।वन्य प्राणियों के खुले में विचरण को देखने के लिए 1918 में सिंधिया राजवंश ने शिवपुरी में वन बिहार और आखेट स्थल के रूप में माधव राष्ट्रीय उद्यान को विकसित किया था। आजादी के बाद 1 जनवरी 1956 से प्रदेश सरकार ने इसे राष्टीय उद्यान घोषित कर दिया। वर्तमान में यह 354.61 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। विंध्याचल की वनाच्छादित चोटियों के अतिरिक्त अनेक पहाड़ी, नाले, झरने, भरके और खो हैं, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं। बीते करीब 5 साल से नेशनल पार्क में व्यवस्थाएं कम होने की वजह से इसकी पहचान भी धीरे-धीरे खत्म होती जा रही हैं।यह भी हैं दर्शनीय स्थलशिवपुरी से 25 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 25 पर सुरवाया गांव में गढ़ी है। प्राचीन समय में इसे सरस्वती के मन्दिर के रूप में भी जाना जाता रहा है। इस गढ़ी की दीवारों पर अंकित नक्काशी और कारीगरी हिंदू स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना बयान करती है। पर्यटन विभाग की सुस्ती के चलते यह स्थान भी विकसित नहीं हो पाया।शिवपुरी में सिंधिया राजवंश के समय की सुन्दर छत्रियां, भदैयाकुंड, महाभारतकालीन सभ्यता का प्रतीक बाणगंगा शहर की सीमा में मौजूद दर्शनीय स्थल हैं।चांदपाठा झील में वोटिंग पर्यटकों को आकर्षित करती है। टूरिस्ट विलेज होटल के नजदीक होने के कारण इसका लाभ सैलानी उठाते हैं, लेकिन पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित न किए जाने के कारण यहां की वोट में सैलानी के आने पर भी ईंधन मौजूद नहीं रहता।