मध्यप्रदेश में झींगा-पालन नीति पर काम शुरू
मध्यप्रदेश में झींगा-पालन नीति का क्रियान्वयन शुरू हो गया है। मत्स्य विकास मंत्री कुसुम महदेले की अध्यक्षता में मत्स्य महासंघ की कामकाज समिति की बैठक में झींगा-पालन नीति के क्रियान्वयन की भी समीक्षा की गई। सुश्री महदेले ने कहा कि मध्यप्रदेश में अधिक झींगा-पालन की संभावनाओं को तलाश जाये। बालाघाट, सिवनी तथा अन्य जिलों में अधिकारी जाकर वहाँ झींगा-पालन की गतिविधियों को संचालित करवायें। बैठक में प्रमुख सचिव मत्स्य विकास सलीना सिंह भी उपस्थित थीं।सुश्री महदेले ने कहा कि जलाशयों के अलावा तालाबों आदि में भी झींगा-पालन हो सकता है। अन्य राज्यों में संचालित झींगा-पालन की गतिविधियों का भी अध्ययन करवाया जाये। महासंघ के जलाशयों में प्रायोगिक तौर पर हो रहे झींगा-पालन के कार्य की जानकारी भी जुटाई जाये। सुश्री महदेले ने मछुआरों के कल्याण के लिये संचालित योजनाओं में भी गति लाने के निर्देश दिये। सभी योजनाओं के लक्ष्य की पूर्ति आगामी मार्च के पूर्व हो जानी चाहिये। उन्होंने विगत जुलाई तक उत्पादित मछली बीज की भी समीक्षा की।बैठक में बताया गया कि झींगा-पालन नीति के अंतर्गत लाभ विभाजन की शर्तें एवं राशि निर्धारण के लिये समिति गठित कर ली गई है। समिति ने अपना कार्य शुरू कर दिया है। बैठक में मत्स्य महासंघ के संचालक मण्डल के निर्वाचन के संबंध में भी चर्चा की गई। महासंघ की आगामी वार्षिक साधारण सभा का आयोजन 30 सितम्बर तक किये जाने का निर्णय लिया गया।इस अवसर पर महासंघ के प्रबंध संचालक यू.के. सुबुद्धि, संचालक मत्स्य विकास डॉ. यू.के. पुरोहित, सचिव प्रदीप नीखरा आदि उपस्थित थे।