नये उद्यमियों के लिये 100 करोड़ ,गरीबों के लिये सस्ते मकान बनेंगे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न मंत्रि-परिषद् की बैठक में नये उद्यमियों की मदद के लिये 100 करोड़ रुपये का वेंचर केपिटल फण्ड स्थापित करने का निर्णय लिया गया। इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी। फण्ड की स्थापना सिक्युरिटीज एण्ड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के नियमों के अनुसार की जायेगी। इसमें प्रारंभ में मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्यमियों को अपने उद्योग स्थापित करने में मदद दी जायेगी।संचालनालय संस्थागत वित्त द्वारा वेंचर केपिटल फण्ड निर्मित करने तथा स्थापित की जाने वाली संस्थागत व्यवस्था के हेण्ड-होल्डिंग सपोर्ट के लिये सलाहकार की नियुक्ति पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से की जायेगी।ऐसे नये एवं प्रतिभावान उद्यमियों को जो पर्याप्त अंश-पूँजी न होने के कारण नवाचार पर आधारित नये उद्यम विकसित नहीं कर पाते उन्हें इस फण्ड की स्थापना से मदद मिलेगी। प्रदेश के युवा उद्यमियों को स्थानीय स्तर पर अंश-पूँजी मिल सकेगी। अभी उन्हें इस पूँजी की व्यवस्था के लिये अन्य राज्य तथा महानगरों में जाना पड़ता है।गरीबों के लिये सस्ते (एफोर्डेबल) मकानमंत्रि-परिषद् ने दृष्टि-पत्र-2018 के अनुसार कमजोर आय वर्ग (ई.डब्ल्यू.एस.) और निम्न आय वर्ग (एल.आई.जी.) परिवारों को कम लागत के आवास उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से जन-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में योजना की मंजूरी का अनुसमर्थन किया। मंत्रि-परिषद् ने योजना के लिये जारी मार्गदर्शी सिद्धांतों का भी अनुमोदन किया।परियोजना भूमि का वह क्षेत्रफल जिस पर ये आवास निर्मित होने हैं उसे किसी भी प्र-ब्याजि के बिना एक रुपये प्रतिवर्ष के भू-भाटक पर संबंधित नगरीय निकाय अथवा स्थानीय निकाय को स्थानांतरित किया जायेगा।योजना में शासकीय भूमि संबंधित नगर विकास प्राधिकरण एवं विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा अपने क्षेत्राधिकार में शासकीय भूमि को परियोजना निर्माण के लिये चिन्हित किया जायेगा। प्राधिकरण इस भूमि को हस्तांरित करने के लिये जिला कलेक्टर को आवेदन करेंगे। प्रस्तावित भूमि परियोजना के लिये उपयुक्त है या नहीं इस पर कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति विचार करेगी। संभागीय मुख्यालय में समिति के अध्यक्ष संभाग के आयुक्त होंगे। भोपाल निवेश क्षेत्र में आरक्षण की कार्यवाही कलेक्टर के प्रस्ताव पर नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग के अंतर्गत गठित सचिव स्तरीय समिति द्वारा की जायेगी। भूमि आरक्षण के बाद प्राधिकरण परियोजना की तकनीकी-आर्थिक संभाव्यता के आधार पर प्रस्ताव तैयार करेगा। परियोजना इस तरह तैयार की जायेगी कि इसके क्रियान्वयन के लिये व्ही.जी.एफ. की आवश्यकता न हो।