ई-डिस्ट्रिक्ट क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य
गलत जानकारी देने वाले जायेंगे जेल मध्यप्रदेश में नागरिकों को समय-सीमा में शासन की सेवाएँ उपलब्ध करवाने से एक कदम आगे बढ़कर तत्काल सेवा देने की तैयारियाँ हो रही हैं, ताकि आवेदक के स्व-घोषणा पत्र के आधार पर शासन की योजना का लाभ दिया जा सके। स्व-घोषणा की जाँच में असत्य जानकारियाँ पाई जाने पर आवेदक को जेल और भारी जुर्माने से दंडित किया जाए। इस संबंध में योजना, प्रारूप का प्रस्तुतिकरण राज्य लोक सेवा अभिकरण की साधारण सभा में दिया गया।बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने की। इस अवसर पर परिवहन एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भूपेन्द्र सिंह, राजस्व एवं पुनर्वास मंत्री श्री रामपालसिंह, नर्मदा घाटी एवं सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री श्री लाल सिंह आर्य, मुख्य सचिव अंटोनी डिसा मौजूद थे।मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सरकार की लोक सेवाओं की प्रक्रियाओं को और अधिक सरलीकृत किया जाए। क्षतिपूर्ति में विलंब नहीं हो। विलंब से सेवा के प्रकरण में आवेदक को तत्काल हर्जाना मिले। लोक सेवा केन्द्रों की परफॉर्मेंस की समीक्षा की जाए। उन पर कड़ी निगरानी रखी जाए। गड़बड़ी करने वाले केन्द्र संचालकों को जेल भेजा जाए।इस अवसर पर बताया गया कि केन्द्र सरकार द्वारा ई- डिस्ट्रिक्ट के तहत मध्यप्रदेश द्वारा दी जा रहीं सेवाओं को अधिसूचित किया गया है। इस प्रकार मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जिसकी सेवाओं को भारत सरकार द्वारा ई-डिस्ट्रिक्ट योजनाओं में अनुमोदित किया गया है। भारत सरकार द्वारा 20 सेवाएँ ऑनलाइन अधिसूचित की गईं हैं जबकि मध्यप्रदेश में 47 सेवाएँ ऑनलाइन दी जा रही हैं।बैठक में बताया गया कि लोक सेवा केन्द्रों के माध्यम से एक करोड़ 6 लाख 24 हजार 95 आवेदन प्राप्त हुये हैं। राज्य के 334 केन्द्र में से 240 की वर्ष में एक बार और 56 की वर्ष में दो बार स्वतंत्र संस्था से इम्पैक्ट स्टडी करवाई गई है।साधारण सभा की बैठक में अपर मुख्य सचिव वित्त अजय नाथ, प्रमुख सचिव उद्योग मोहम्मद सुलेमान, प्रमुख सचिव एस.के.मिश्रा, सचिव सूचना प्रौद्योगिकी हरिरंजन राव एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।