हर एंगल से मुस्कराती है शालभंजिका
दसवीं सदी की नायिका के पथरीले चेहरे पर जो जीवंत मुस्कुराहट आज भी है उसका मुकाबला आज की नायिकाएं शायद ही कर पाएं । यहां बात हो रही है शालभंजिका की 10 वीं सदी में एक कलाकार द्वारा पत्थर की मूर्ती बनाई गई जो निष्प्राण होकर भी सजीव व सभी भावों से युक्त नजर आती है। ग्वालियर के पुरातत्व विभाग के ऐतिहासिक भाग गूजरी महल में रखी हुईं अनेकों ऐसी ऐतिहासिक महत्व की प्रतिमाएं हैं जो अपने आप में युगों का इतिहास बयां करती प्रतीत होती हैं।शालभंजिका10 वीं सदी की इस मूर्ती की खासीयत है हर कोण से इसके चेहरे पर मुस्कुराहट दिखाई देती है। यह एक ऐसी नायिका है जिसको अपने लंबे अंतराल के बाद अपने प्रियतम के आने का समाचार मिलता है और इसको लेकर उसके संपूर्ण अस्तित्व पर एक अनन्तहीन मोहक मादक मुस्कुराहट छाजाती है। जिस कक्ष में यह मूर्ती रखी गई है उसमें पंखे व लाइट की विशेष व्यवस्था है। सुरक्षा:विभागीय कर्मचारियों के अलावा पुलिस से भी इन प्रतिमाओं की सुरक्षा में सहयोग लिया जाता है। यहां पर भी हैं ऐतिहासिक धरोहरेंप्रदेश के विदिशा, सिहोनिया, बटेश्वर, पड़ावली, नरेश्वर, कदवा, थूगौन, कोटा, ग्वालियर किला आदि ऐतिहासिक स्थलों से विभागीय सर्वेक्षण में पुरातन महत्व की वस्तुएं मिलती हैं।