सवा करोड़ रुपये का घोटाला ,मामले में गोलमोल जवाब
राजनांदगांव में कोरोना काल के दौरान शिक्षा विभाग ने करोड़ो के किचन डिवाइस की खरीदी की | और कई प्रायमरी
और मिडिल स्कूल को बांट दिए | अब बर्तनों की गुणवत्ता और वजन को लेकर शिक्षा विभाग पूरी तरह भ्र्ष्टाचार के मामले में घिरता नजर आ रहा है |
कोरोना काल मे जहां पूरे स्कूल बंद पड़े थे वहीँ शिक्षा विभाग द्वारा एक करोड़ 78 लाख के किचन डिवाइस , बर्तन , की खरीदी महासमुंद के एक बर्तन फैक्ट्री से की गई | इन बर्तनों को जिले के 1211 प्राइमरी और मिडिल स्कूलों को दिया गया | जहां बच्चों के लिए मध्यान भोजन बनाया जाता है |
एक स्कूल में कुल 4 बर्तन दिए गए | और एक कुकर 7 लीटर का लोकल मेड दिया गया | बर्तनों का वजन एक स्कूल के दिये अनुसार 12 से 15 किलो तक ही आता है | जबकि खुले बाजार में स्टील की कीमत 200 रुपये किलो बताई जा रही है | बाज़ार की माने तो एक स्कूल में केवल 3700 रुपये के ही बर्तनों की सप्लाई की गई | जबकि 1211 स्कूल के लिए 1 करोड़ 78 लाख रुपये में प्रति स्कूल को करीब 14 सौ रुपयों के बर्तन दिए जाने थे | मामले की पड़ताल की गईतो छुरिया विकासखण्ड में स्कूलों के केवल कुकर का ही वितरण किया गया| बाकी के बर्तन स्कूल में डंप कर रखें रहे | मामला सामने आने के बाद आनन-फानन में सप्लाई के 6 महीने बाद बर्तन बाटे गए | ब्लॉक शिक्षा अधिकारी का कहना था कि बर्तनों को बांटने के लिए जिला शिक्षा
अधिकारी द्वारा मना किया गया था |
पूरे मामले में करीब सवा करोड़ रुपये का घोटाला देखने को मिल रहा | मामले में जिला शिक्षा अधिकारी अब लीपापोती करते नजर आ रहे है | जिला शिक्षा अधिकारी आबंटन कम बता रहे है, जबकि डीईओ द्वारा आदेश जारी | किया गया है उसमें किचन डिवाइस रिफ्लेशमेंट का उल्लेख किया गया है |