एक पखवाड़े में होगा एमपी के पर्यावरण संबंधी प्रकरणों का निराकरण
शिवराज सिंह चौहान की प्रकाश जावड़ेकर से भेंटमध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहाँ शास्त्री भवन में केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात कर उनसे पर्यावरण स्वीकृति के लिए लम्बित प्रदेश की विविध परियोजनाओं की स्वीकृति जारी करने की पैरवी की। इस अवसर पर लोक निर्माण मंत्री श्री सरताज सिंह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव और सांसद राकेश सिंह भी उनके साथ थे।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री से पर्यावरण संबंधी स्वीकृतियों की प्रक्रिया की जटिलताओं को दूर करवाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कई बार तो ऐसी उदवहन सिंचाई योजनाओं, जिनमें न तो भूमि अधिग्रहण करनी होती है और न ही वन भूमि शामिल होती हैं, की पर्यावरण संबंधी स्वीकृति प्राप्त करने में काफी समय नष्ट हो जाता है। उन्होंने ऐसी विसंगतियों को दूर कर प्रक्रिया के सरलीकरण का अनुरोध किया।मुख्यमंत्री ने खण्डवा जिले की सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना (2 × 660)) के द्वितीय चरण को प्रारम्भ करवाने में आ रही दिक्कतों का उल्लेख करते हुए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री को बताया कि सिवाय पर्यावरण संबंधी अनुमति के अन्य सभी अनिवार्यताएँ पूर्ण हो चुकी हैं। इसी प्रकार उन्होंने सिवनी के पास एन.एच. 7 के पेंच नेशनल पार्क से सटे क्षेत्र में लगभग 16 किलोमीटर सड़क के चौड़ीकरण में पर्यावरण स्वीकृति के अभाव में आ रही कठिनाई का जिक्र किया। इस क्षेत्र में मार्ग के सँकरा रह जाने से जाम और दुर्घटनाओं की संभावनाएँ बनी रहती हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि नार्थ ग्रिड को साउथ ग्रिड से जोड़ने वाली 765 के.वी. विद्युत लाइन के लिए पर्यावरण की स्टेज-2 की अनुमति, जबलपुर-गोंदिया ब्राड गेज के निर्माण, खजुराहो-सतना रेल लाइन, आमेलिया कोल ब्लॉक आदि परियोजनाओं में विभिन्न चरण की स्वीकृतियाँ लंबित होने से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक पखवाड़े में लंबित प्रकरणों के यथासम्भव निराकरण का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने केन्द्र द्वारा हाल ही में रेत और पत्थर निकासी संबंधी नये नोटिफिकेशन जारी करने पर केन्द्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को साधुवाद तथा बधाई दी। साथ ही आशा व्यक्त की कि मध्यप्रदेश की विभिन्न योजनाओं को पर्यावरण संबंधी स्वीकृतियाँ तत्परता से मिल सकेंगी।