बुंदेलखंड में पानी पानी राजनीति
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बुंदेलखंड में पानी की रेल केंद्र ने क्या भेजी ,बुंदेलखंड की सड़कों सेलेकर संसद तक समाजवादी नेताओं ने कोहराम मचा डाला । पानी की कमी को लेकर चिंता जताने वाला तंत्र रेल के आते ही कहने लगा हमारे पास पानी की कमी नहीं है । फिर हम ये पानी रखेंगे कहाँ , हमें टेंकर दो । राज्य सभा में तो सपा नेताओं ने रेल मंत्री पर पानी को लेकर राजनीति करने का आरोप ही लगा डाला और उनसे इस्तीफे की मांग कर डाली । उत्तर प्रदेश की सपा सरकार को भय है की कहीं लोगो ने मोदी सरकार द्वारा भेजे गए पानी को पी लिया तो उनके द्वारा राहत पैकेट में दिया जा रहा नमक घुल जाएगा और 2017 के चुनाव में बुंदेलखंड उनसे दूर हो जाएगा ।
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में विभक्त लगभग दो करोड़ की आबादी वाले बुंदेलखंड इलाके के 13 जिलों में ६ मध्य प्रदेश के और 7 जिले उत्तर प्रदेश में हैं । 2017 में उत्तर प्रदेश में चुनाव हैं इसलिए सूखे का मुख्य केंद्र उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड इलाका है । यहां की चारो लोकसभा सीटे बीजेपी के पास हैं , विधान सभा की 19 सीटों में बीएसपी और एस पी के पास सात सात सीटें हैं । सपा के लिए यही चिंता की सबसे बड़ी वजह है । उत्तर प्रदेश में चुनाव की आहट के चलते बुंदेलखंड के लिए अखिलेश सरकार ने खजाना खोल रखा है , राहत के पैकेट बांटे जा रहे हैं । अब ऐसे दौर में मोदी सरकार ने पानी की ट्रेन भेज कर बुंदेलखंड के लोगों की जल समस्या दूर करने का छोटा सा प्रयास किया । जिसे अखिलेश सरकार ने उनके राहत पैकेट को बहाने का प्रयास मान लिया और ट्रेन का पानी लेने से इंकार कर दिया । पहला प्रयास और प्रचार यह किया गया की खाली ट्रैन आई है ,। अब इनसे कौन पूछे की जब ट्रैन में पानी झाँसी में भरा जाना है तो ट्रैन तो खाली आएगी ही । फिर कहा गया की हमारे पास पर्याप्त पानी है ,और फिर यह पानी हम रखेंगे कहाँ , इसके लिए 10 हजार टेंकरों की जरुरत है ।
ट्रेन के पानी को लेकर सियासत का यह संग्राम बुंदेलखंड की सड़कों से लेकर संसद तक चला । हमीरपुर -महोबा से बीजेपी सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल के समर्थकों ने महोबा वासियो को यह बताया था की पानी ट्रेन उन्ही की पहल पर आ रही है । जब प्रशासन ने इस पर रोक लगाईं तो बीजेपी के लोग सड़कों पर उतर आये और प्रदर्शन कर राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा । वहीँ 5 मई को महोबा आये उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट शिवपाल यादव ने कह दिया की बुंदेलखंड में पानी की कमी नहीं है । जब जरुरत होगी तब केंद्र से मदद मांगी जायेगी । महोबा जिला प्रशासन ने तर्क दिया कि रेलवे स्टेशन से पानी लाने में दूरी ज्यादा है ट्रांस्पोर्टेशन का खर्च ज्यादा आयेगा । यह बहाना ठीक उसी तरह का है की जब सरकार और प्रशासन को काम नहीं करना होता है तो उसमे अनेको तरह की कमियाँ तलाश ली जाती हैं , और जो कुछ करना होता है उसमे अनेको कमियों के बाद रास्ता निकाल लिया जाता है ।
इस मसले को लेकर संसद में हंगामा भी कुछ कम नहीं हुआ , सपा सांसदों ने खाली पानी की ट्रेन भेजने का आरोप लगाते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु से इस्तीफे की मांग कर डाली । पानी की ट्रेन के माध्यम से राजनीति करने के आरोप लगाए गए । हालांकि मंत्री जी कहते रहे की संकट की इस घडी में सब को मिलकर काम करने की जरुरत है ,। लोगों की प्यास को लेकर ना हम राजनीति करते हैं और ना करेंगे । पर इस जबाब से सपा नेता संतुष्ट नहीं हुए और सदन से वाक् आउट कर गए । हद तो तब हो गई जब यू पी सरकार ने अपने ट्विटर पर बुंदेलखंड के जलाशयों की पानी से लबालब तस्वीरें डाली । महोबा में जब इन जलाशयों की वास्तविकता देखी गई तो हालत चौकाने वाले निकले । जिन जलाशयों को पानी से भरा दिखाया गया उनमे नाम मात्र का पानी मिला । चाहे वो कीरत सागर हो कोठी ताल । उर्मिल बाँध डेड लेबल से नीचे पहुँच गया है इस बाँध से महोबा,श्री नगर ,सिजहरी और बसौरा में जल प्रदाय किया जाता है ,। अर्जुन बाँध 90 फीसदी सूख गया है । यू पी सरकार का यह प्रचार अभियान अब उसी के गले की फांस बन गया है । समस्या को देख आँख बंद कर लेने से समस्या का समाधान नहीं होता ।
मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने 7 मई को प्रधान मंत्री मोदी से मुलाकत कर सूखे के मसले पर राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों को बतया था । जिसमे उन्होंने दवा किया था कि 78 हजार जल निकायों को दुरुस्त किया गया है , जिसमे टेंक ,तालाब , खेत तालाब सम्मलित हैं । एक लाख जल निकाय और जल केंद्र बनाने की बात कही गई । केंद्र ने उत्तर प्रदेश को आपदा कोष से ९३४ करोड़ की सहायता राशि प्रदान की है । प्रधान मंत्री से मुलाक़ात के बाद संतुष्ट बताये जा रहे अखिलेश यादव ने मीडिया से चर्चा के दौरान मीडिया पर बुंदेलखंड की गलत तस्वीर पेश करने का आरोप मड़ दिया । पत्रकार अगर आईना दिखाये तो नेताओ को नागवार गुजरेगा ही । अब देखिये महोबा जिले के किसान हीरा लाल यादव को पानी चोरी के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया । उस पर आरोप है की उसने उर्मिल डेम से निकली पाइप लाइन के वाल्व को क्षति ग्रस्त कर पानी चुराया और अपने खेत की सिचाई की । जबकि यह पाइप लाइन पहले से ही क्षति ग्रस्त थी और उससे पानी बहता था । हीरालाल का कसूर सिर्फ इतना था की उसने बहते पानी के पास गड्ढ़ा बनाया और पानी खेत तक ले गया । पर संवेदन शील सरकार है कुछ भी कर सकती है ।
असल में सियासत का रंग ही कुछ ऐसा होता है , जिसमे काम कम और प्रचार ज्यादा होता है । कोई भी योजना लागू करने के पहले राजनैतिक लाभ हानि का गणित तय किया जाता है । यही कारण है की उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में राहत की गंगा बहाई जा रही है या ये कहे की इसका दिखावा किया जा रहा है , वहीँ मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के सूखा का पैसा दूसरे जिलों में खर्च किया जा रहा है । जब की दर्द दोनों जगह एक जैसा है ।