छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर ज्यादती रोकने का मामला
छत्तीसगढ़ सरकार ने पत्रकारों पर होने वाली ज्यादातियों को रोकने, उनके विरूद्ध चल रहे आपराधिक प्रकरणों के उच्च स्तरीय पुनरावलोकन और संबंधित विषयों में पत्रकारों और शासन के बीच आवश्यक समन्वय स्थापित करने के लिए उच्च स्तरीय समन्वय समिति का गठन किया है।यह समिति मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्देश पर गठित की गई है।
छत्तीसगढ़ गृह विभाग ने आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से समिति गठन की औपचारिक अधिसूचना जारी कर दी।अधिसूचना के अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव इस उच्च स्तरीय समन्वय समिति के अध्यक्ष होंगे।समिति में गृह विभाग के सचिव और पुलिस मुख्यालय की अपराध अनुसंधान शाखा के प्रभारी अधिकारी सदस्य के रूप में शामिल किए गए हैं।इनके अलावा समिति में दो वरिष्ठ पत्रकारों रूचिर गर्ग (रायपुर) और मणिकुन्तला बोस (जगदलपुर) को सदस्य मनोनीत किया गया है।जनसम्पर्क विभाग के संचालक समन्वय समिति के सदस्य सचिव होंगे।समिति द्वारा संबंधित रेंज पुलिस महानिरीक्षक को भी आवश्यकतानुसार आमंत्रित किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता की स्वस्थ परम्परा को निरंतर बनाए रखने के लिए एक बड़ी पहल करते हुए गृह विभाग को समिति गठन के निर्देश दिए थे।उनके निर्देशों के अनुरूप गृह विभाग ने चार फरवरी 2016 को मंत्रालय (महानदी भवन) से परिपत्र जारी किया था, जिसकी प्रतिलिपि पुलिस महानिदेशक और सामान्य प्रशासन विभाग तथा जनसम्पर्क विभाग के सचिवों सहित समस्त संभागीय कमिश्नरों, कलेक्टर और जिला दण्डाधिकारियों, रेंज पुलिस महानिरीक्षकों और सभी पुलिस अधीक्षकों को भी भेजी जा चुकी है।परिपत्र में कहा गया है कि प्रदेश में समय-समय पर पत्रकारों के विरूद्ध आपारिधक प्रकरण दर्ज करने या गिरफ्तार करने की स्थिति में पत्रकारिता की स्वतंत्रता के मुददे पर सवाल उठते हैं।शासन को कई बार इस प्रकार की शिकायतें भी प्राप्त होती हैं कि किसी पत्रकार पर पुलिस कर्मियों द्वारा ज्यादती की गयी है, या उनके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दुर्भावनावश कायम किया गया है।परिपत्र में यह भी बताया गया है कि पूर्व में मध्यप्रदेश शासन के गृह (पुलिस विभाग) द्वारा भोपाल से 24 दिसम्बर 1986 को एक परिपत्र जारी किया गया था, जिसमें इस पर अंकुश लगाने की कार्रवाई की गयी थी, जिसे पुनः पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ द्वारा तीन फरवरी 2006 को सभी पुलिस अधीक्षकों को पालन करने के लिए जारी किया गया था।इस परिपत्र में दी गयी व्यवस्था छत्तीसगढ़ में यथावत लागू रहेगी, जो इस प्रकार होगी।
(1) पत्रकारों पर ज्यादतियां होने की शिकायतों को संचालक जनसम्पर्क विभाग एकत्रित कर पुलिस मुख्यालय में कार्यरत उप पुलिस महानिरीक्षक (शिकायत) को भेजेंगे।संचालक जनसम्पर्क से प्राप्त प्रकरणों में पुलिस मुख्यालय द्वारा आवश्यक कार्रवाई किए जाने के बाद इसकी सूचना संचालक जनसम्पर्क को और प्रतिलिपि गृह विभाग को दी जाएगी।
(2) जहां तक पत्रकारों के विरूद्ध कोई प्रकरण कायम किए जाने का प्रश्न है, इस संबंध में राज्य शासन ने यह निर्णय लिया है कि यदि किसी भी (चाहे वह अभी स्वीकृत पत्र प्रतिनिधि हो या न हो) के विरूद्ध कोई प्ररकण कायम किया जाता है, तो उन प्रकरणों में चालान किए जाने के पहले उन पर उपलब्ध साक्ष्य की समीक्षा संबंधित पुलिस अधीक्षक और क्षेत्रीय उप पुलिस महानिरीक्षक कर लें और स्वयं को आश्वस्त कर लें कि कोई भी प्रकरण दुर्भावनावश या तकनीकी किस्म के स्थापित नहीं किए जाए।यदि उप महानिरीक्षक के मत में यह पाया जाए कि कोई प्रकरण दुर्भावनावश कायम किया गया है, तो तत्काल उनको समाप्त करने के निर्देश दिए जाएं और संबंधित पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की जाए।इस कंडिका में यह भी कहा गया है कि बगैर समीक्षा किए हुए प्रकरणों का चालान न्यायालय में प्रस्तुत न किया जाए।प्रत्येक तिमाही में क्षेत्रीय उप पुलिस महानिरीक्षण इस प्रकार के प्रकरणों की समीक्षा करेंगे और वे पुलिस महानिदेशक को सूचना भेजेंगे।पुलिस महानिदेशक से यह सूचना गृह विभाग को भेजी जाएगी।
(3) यह व्यवस्था यथावत जारी रहेगी।इसके अन्तर्गत उप पुलिस महानिरीक्षक के स्थान पर अब पुलिस महानिरीक्षक (रेंज) कार्रवाई करेंगे।
(4) उपरोक्त व्यवस्था के अतिरिक्त शासन स्तर पर एक उच्च स्तरीय समन्वय समिति का भी गठन किया गया है, जो पत्रकारों और शासन के बीच आपराधिक प्रकरणों और संबंधित विषयों में आवश्यक समन्वय स्थापित करने की कार्रवाई करेगी।समन्वय समिति के अध्यक्ष सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव होंगे।समिति में गृह (पुलिस) विभाग के सचिव, पुलिस मुख्यालय की अपराध अनुसंधान शाखा के प्रभारी अधिकारी और शासन द्वारा नामांकित दो वरिष्ठ पत्रकार सदस्य होंगे।समन्वय समिति में जनसम्पर्क विभाग के संचालक सदस्य सचिव होंगे।
(5) समन्वय समिति के संदर्भ की शर्ते इस प्रकार होंगी- परिपत्र की कंडिका-2 में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार यदि कार्रवाई से संतुष्टि नहीं होती है, तो उन प्रकरणों में उच्च स्तरीय समन्वय समिति द्वारा विचार किया जाएगा।समिति द्वारा विचारण से संबंधित मामले के चयन का अधिकार संचालक जनसम्पर्क के पास रहेगा।पत्रकार के रूप में किए गए किसी कार्य के कारण पत्रकारो के विरूद्ध दर्ज आपराधिक प्रकरणों के संबंध में यह उच्च स्तरीय समन्वय समिति पुलिस और पत्रकारों के बीच समन्वयक की भूमिका का निर्वहन करेगी।समिति पुलिस और पत्रकारों की ओर से आवश्यक सूचना और जानकारियों को आदान-प्रदान करेगी।इसके लिए आवश्यक जानकारी प्राप्त करने और प्रकरण से जुड़े पक्षो को बुलाने के लिए समिति आवश्यक निर्देश भी जारी करेगी।