गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को हिरण्यकश्यप का उदाहरण देते हुए कहा कि ईश्वरीय व राष्ट्र सत्ता को चुनौती देना तथा सामान्य नागरिकों की भावनाओं का निरादर करना ही हिरण्यकश्यप और होलिका की प्रवृत्ति है, लेकिन सामान्य जनमानस भक्त प्रह्लाद के रूप में अपनी राष्ट्र अराधना के मार्ग पर चलता है। ऐसी परिस्थिति में भगवान नरसिंह उसके सहगामी बनाते हैं। वे प्रकट होते हैं और भक्त प्रह्लाद के विजय रथ को आगे बढ़ाते हैं।
गोरखपुर के घंटाघर से निकलने वाली पारंपरिक नरसिंह शोभायात्रा में पहुंचे योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने एक बार फिर राष्ट्रवाद और सुशासन की सरकार चुनी है। जनता की विजयश्री का ये सिलसिला लगातार चलता रहेगा। हमेशा कायम रहेगा। उन्होंने कोरोना काल में भगवान नरसिंह की शोभायात्रा में दो वर्ष तक शामिल न होने की वजहें भी बतायी। उन्होंने कहा कि दो साल कोरोना की वजह से इसमें शामिल नहीं हो सका। लेकिन दो वर्ष में पहली बार होली पर कोरोना नियंत्रण में है। अब हमें इस कार्यक्रम में व्यक्तिगत रूप से भाग लेने का अवसर भी मिला है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 2022 के चुनाव में आप सब विजयी हुए हैं। आगे भी जब आप ऐसे ही सात्विक मार्ग पर आगे बढ़ेंगे तब विजयश्री को आपसे कोई नहीं छीन सकता है। उन्होंने कहा कि यूपी के लोग पिछले 10 दिनों से होली के उत्साह से जुड़े हैं। कई कारणों से यह पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। देश के अंदर सबसे ज्यादा आबादी के राज्य यूपी में लोकतंत्र के महापर्व के आयोजन के बाद जनता ने आप सबके परिश्रम से जो परिणाम दिया है, उसने एक बार फिर से राष्ट्रवाद और सुशासन के लिए इस सरकार को चुना है। स्वाभाविक रूप से हर देशभक्त नागरिक के मन में अन्याय, अत्याचार, शोषण और अराजकता के खिलाफ लड़ने की इच्छा रखने वाले के मन में उमंग और उत्साह है।
भाजपा की जीत को बताया राष्ट्रवाद पर मुहर
उन्होंने कहा कि ये पर्व और त्योहार गोरखपुर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि आजादी के बाद पहली बार भाजपा ने यहां की नौ की नौ सीटें जीती हैं। राष्ट्रवाद की मुहर लगी है। यूपी के अंदर 18 कमीश्नरी हैं। गोरखपुर कमीश्नरी ने 28 में से 27 सीटें राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने के लिए दी है।
हिरणकश्यप-होलिका ने हमेशा दर्ज कराई है अपनी उपस्थिति
योगी आदित्यनाथ ने होली की परम्परा का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा होलिका हों या हिरण्यकश्यप किसी न किसी रूप में समाज के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। इसी तरह किसी न किसी रूप में भक्त प्रह्लाद और भगवान नरसिंह भी उपस्थित रहे हैं, भले ही इनका रूप बदलता रहा है। यह पर्व और त्योहार हमें अच्छे मार्ग पर चलने का संदेश देते हैं। यदि भक्त प्रह्लाद अपनी बुआ का कहना मानकर भक्ति मार्ग से विचलित हो जाते तो संभवत: भक्त प्रह्लाद का स्मरण होली जैसे पावन पर्व पर हम नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि होली भेदभाव रहित, समतामूलक समाज का प्रतीक है।