जेएनयू व डीयू के कुलपतियों को जगदलपुर एसपी राजेंद्र नारायण दास ने पत्र लिखकर प्रोफेसर नंदिनी सुंदर व अर्चना प्रसाद के खिलाफ चल रही पुलिस जांच की जानकारी दी है। एसपी का यह पत्र सोशल मीडिया में रविवार सुबह से वायरल हो रहा है। इसके बाद जेएनयू और डीयू के प्रोफेसरों ने एसपी के अधिकार पर भी सवाल उठा दिए और कहा कि उन्हें इसका अधिकार नहीं, ये दो राज्यों के बीच का मामला है। दोनों कुलपतियों को भेजे पत्र में भाषा व तथ्य एक समान हैं। प्रोफेसरों के नाम, विभाग और पद बदले गए हैं।
जेएनयू प्रोफेसर अर्चना प्रसाद ने कहा कि पत्र की कॉपी सोशल मीडिया के जरिए मिली है। एसपी दास सीधे डीयू और जेएनयू के कुलपति को पत्र कैसे लिख सकते हैं। लगता है वे खुद को बस्तर का राजा मान बैठे हैं। यह दो राज्यों का मामला है, उन्हें सरकार की ओर से पत्र भिजवाना चाहिए। ड्राइवर उनके साथ बस्तर गया था उसे पुलिस लगातार परेशान कर रही है। यह हमें डराने के लिए किया जा रहा है लेकिन हम क्या डरने वाले हैं। जल्द ही राजनीतिक दलों को लेकर दोबारा बस्तर जाएंगे।
एसपी ने पत्र में लिखा है कि जेएनयू में कार्यरत प्रोफेसर अर्चना प्रसाद के खिलाफ 17 मई को दरभा थाने में कुमाकोलेंग, नामा और सौतनार के ग्रामीणों ने शिकायत की है। थाना इंचार्ज शिकायत की जांच कानून के अनुसार कर रहे हैं। इसी बीच ग्रामीणों ने दो बार तहसीलदार व कलेक्टर को इस बारे में ज्ञापन भी सौंपा है। इन दस्तावेजों की फोटो कॉपी पत्र के साथ भेजी गई है। ऐसा ही पत्र डीयू में नंदिनी सुंदर के खिलाफ भेजा गया है।
ग्रामीणों की शिकायत, प्रोफेसर का इंकार : 14 मई को डीयू और जेएनयू के प्रोफेसरों के दल ने दरभा के कुमाकोलेंग का दौरा किया था। 17 मई को दरभा थाने में कथित रूप से ग्रामीणों ने दल पर आरोप लगाया कि उन्होंने गांव में बैठक लेकर धमकी दी कि वे नक्सलियों का साथ दें, वरना उनके घरों को आग लगा दी जाएगी। प्रोफेसरों और ग्रामीणों ने इससे इंकार किया है। इसी मुद्दे पर ग्रामीणों ने दरभा में प्रदर्शन भी किया, जिसे पुलिस प्रायोजित बता रही है।