मप्र हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी 2019 की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के नतीजे निरस्त किये
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जबलपुर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने मप्र संघ लोक आयोग (एमपीपीएससी) की राज्य सेवा परीक्षा 2019 की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाओं के परिणामों को निरस्त कर दिया है। आरक्षण नियमों के विवाद के चलते हाई कोर्ट ने गुरुवार को यह फैसला दिया है। एमपीपीएससी 2019 परीक्षा एसडीएम और डीएसपी जैसे तीन सौ प्रमुख पदों के लिए ली गई है। इसके नतीजों को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था। अब दोबारा से इसके परिणाम जारी किए जाएंगे।

 

दरअसल, एमपीपीएससी 2019 की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के परिणाम को लेकर आरोप यह था कि विवादित नियमों के अंतर्गत पीएससी ने परिणाम जारी किए थे। आरक्षित वर्ग के होनहार छात्रों को सामान्य श्रेणी में शामिल न करने का नियम बना था। आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) के संशोधित अधिनियम को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सरकार ने अदालत में अपना पक्ष रखा और विवादित नियम को वापस लेने की बात कही थी। इसके बावजूद 31 दिसम्बर 2021 को एमपीपीएससी 2019 मुख्य परीक्षा के परिणाम विवादित नियमों के अंतर्गत ही जारी कर दिए गए।

 

मप्र हाई कोर्ट के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के अनुसार उच्च न्यायालय में संशोधित नियम 17 फरवरी 2020 को असंवैधानिक करार दिया है। अदालत ने पीएससी भर्ती परीक्षा 2019 की प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा 2019 को निरस्त कर पुराने नियमों के अनुसार पुनः परीक्षा परिणाम तैयार करने का आदेश दिया है। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 (4) तथा संशोधन 17 फरवरी 2020 सहित परीक्षा परिणाम को चुनौती दी थी। लगभग 60 छात्रों की ओर से याचिकाएं दायर की गई थीं।

 

इस मामले में काफी लंबे समय से सुनवाई चल रही थी। हाई कोर्ट ने गत 31 मार्च को ही सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया था। इसके बाद हाई कोर्ट ने गुरुवार 89 पेज का विस्तृत आदेश जारी कर 2019 की परीक्षा के मुख्य और प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने इसी के साथ ही पुराने नियमों के अनुसार फिर से नया परीक्षा परिणाम तैयार करने का आदेश दिया है। प्रारंभिक परीक्षा का फिर से रिजल्ट बनेगा और इसमें जो अभ्यर्थी सफल होंगे, उसके अनुसार मुख्य परीक्षा कराई जाएगी।