कर्मचारियों के कलमबंद हड़ताल से कामकाज हुआ ठप
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जगदलपुर। जिले के 52 विभागों के कर्मचारी कलमबंद आंदोलन पर हैं। तीन दिन की हड़ताल की वजह से सरकारी विभागों में कामकाज पूरी तरह से ठप है। नतीजतन जिला मुख्यालय के लगभग सभी कार्यालयों में सूनापन नजर आ रहा है। अब सरकारी काम से मुख्यालय आने वालों को हड़ताल खत्म होने तक इंतजार करना होगा, क्योंकि सभी विभागों के संगठनों ने 11, 12 और 13 अप्रैल को आकस्मिक हड़ताल शुरू की है। हड़ताली 52 विभागों के कर्मचारी पुरानी मंडी में एकत्रित हुए और मांगों को लेकर नारेबाजी की। कर्मचारियों का कहना है कि देश के सभी राज्यों की सरकारें कर्मचारियों को सभी शासकीय मांगों का लाभ दे रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार अपने कर्मचारियों से सौतेला व्यवहार कर रही है। जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।

कर्मचारी संघ उपाध्यक्ष जीएस पांडे ने बताया कि आंदोलन कर रहे कर्मचारियों ने छत्तीसगढ़ सरकार से मांगों पर विचार करने की अपील करते हुए, जिले में 28 संगठनों द्वारा की जा रही हड़ताल को आने वाले समय में और उग्र स्वरूप दिए जाने की बात कही है। आंदोलनकारियों ने सरकार के समक्ष 03 मांगें रखी हैं, जिसे पूरा करने पर ही आंदोलन वापस लिए जाने की बात कही जा रही है। संगठन के नेताओं का कहना है कि वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश से अलग होकर नया राज्य बना। धारा 49 के तहत् दोनों राज्यों के कर्मचारियों को पेंशनर नीति में समझौता करना था।

स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के संभागीय अध्यक्ष अनिल बड़कस ने बताया कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की, इन दोनों राज्यों के बीच तालमेल नही होने के कारण सारे कर्मचारी पिस रहे हैं, जिसके चलते मांगें पूरी नहीं हो पा रही है। इसके अलावा देश के लगभग सभी राज्यों में 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार करोड़ों की कमाई के बावजूद भत्ते में बढ़ोत्तरी नहीं कर रही है। इन कर्मियों ने 70 फीसदी डीए बढ़ाने की मांग रखी है। पुराने मंडी परिसर में बैठे कर्मचारियों ने ऐलान भी किया है कि उनकी जायज मांगों पर विचार नहीं किया गया तो आंदोलन को और उग्र स्वरूप दिया जाएगा। यदि ऐसे हालात बनते हैं तो इसके लिए पूर्ण रूप से छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार जवाबदेह होगी।