आकांक्षी जिलों के विकास को परखने सांस्कृतिक उत्थान को भी पैमाना बनाया जाए : बघेल
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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के आकांक्षी जिलों के विकास के प्रचलित मापदंडों में सांस्कृतिक उत्थान को भी शामिल किए जाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि ट्रांसफार्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम (टीएडीपी) के मॉनिटरिंग इंडीकेटर में स्थानीय बोली में शिक्षा, मलेरिया व एनीमिया में कमी, वनोपज की समर्थन मूल्य में खरीद, लोक कला, लोक नृत्य तथा पुरातत्व का संरक्षण-संवर्धन, जैविक खेती, वनाधिकार पट्टे आदि को शामिल किया जाना चाहिए।

बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि इन सभी मापदंडों पर छत्तीसगढ़ ने शानदार काम किया है। हमारे राज्य में कुल 10 आकांक्षी जिले हैं, जिसमें 8 जिले पूर्णतः अनुसूचित क्षेत्र में हैं। बस्तर संभाग के सात जिले अनुसूचित जनजाति बहुल और वामपंथी उग्रवाद से ग्रसित हैं। इन जिलों के विकास को लेकर नीति आयोग ने समय-समय पर विभिन्न मापदण्ड के आधार पर वर्गीकृत किया है।

हमारे वनांचल तथा ग्राम्य जीवन में संस्कृति और परंपराओं का विशेष योगदान होता है, जिससे वहां के लोगों के जीवन में समरसता, उत्साह एवं स्वावलम्बन का भाव रहे, इसलिए आकांक्षी जिलों की अवधारणा में सांस्कृतिक उत्थान के बिन्दु को भी यथोचित महत्व एवं ध्यान दिया जाना चाहिए। उपरोक्त इंडीकेटरों को भी जोड़े जाने पर मुझे विश्वास है कि आकांक्षी जिलों के बहुमुखी विकास में किये जा रहे सभी प्रयासों पर भी ध्यान रहेगा और जिस आशा के साथ यह आकांक्षी जिलों की पृथक मॉनीटरिंग व्यवस्था शुरू की गई है वह भी सफल होगी।