नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री संग्रहालय आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान, विचार, अनुभवों का द्वार खोलने का काम करेगा। यहां आकर उन्हें जो जानकारी मिलेगी और जिन तथ्यों से वो परिचित होंगे, वो उन्हें भविष्य के निर्णय लेने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि देश के हर प्रधानमंत्री ने संविधान सम्मत लोकतंत्र के लक्ष्यों की पूर्ति में भरसक योगदान दिया है। उन्हें याद करना स्वतंत्र भारत की यात्रा को जानना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री संग्रहालय के उद्धाटन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश आज जिस ऊंचाई पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में स्वतंत्र भारत के बाद बनी प्रत्येक सरकार का योगदान है। मैंने लाल किले से भी ये बात कई बार दोहराई है। आज ये संग्रहालय भी प्रत्येक सरकार की साझा विरासत का जीवंत प्रतिबिंब बन गया है। उन्होंने भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि बाबा साहेब जिस संविधान के मुख्य शिल्पकार रहे, उस संविधान ने हमें संसदीय प्रणाली का आधार दिया। इस संसदीय प्रणाली का प्रमुख दायित्व देश के प्रधानमंत्री का पद रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री संग्रहालय आने वाले लोग देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों की योगदान से रूबरू होंगे । उनकी पृष्ठभूमि, उनके संघर्ष और सृजन को जानेंगे। उन्होंने कहा कि ये देश को युवाओं को भी विश्वास देता है कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सामान्य परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति भी शीर्षतम पदों पर पहुंच सकता है। मोदी ने कहा कि ये हम भारतवासियों के लिए बहुत गौरव की बात है कि हमारे ज्यादातर प्रधानमंत्री बहुत ही साधारण परिवार से रहे हैं। सुदूर देहात के एकदम गरीब, किसान परिवार से आकर भी प्रधानमंत्री पद पर पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की महान परंपराओं के प्रति विश्वास को दृढ़ करता है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। भारत के लोकतंत्र की बड़ी विशेषता ये भी है कि समय के साथ इसमें निरंतर बदलाव आता रहा है। हर युग में, हर पीढ़ी में, लोकतंत्र को और आधुनिक बनाने, सशक्त करने का निरंतर प्रयास हुआ है। एक दो अपवाद छोड़ दें तो हमारे यहां लोकतंत्र को लोकतांत्रिक तरीके से मजबूत करने की गौरवशाली परंपरा रही है। इसलिए हमारा भी ये दायित्व है कि अपने प्रयासों से लोकतंत्र को मजबूत करते रहें ।
मोदी ने कहा कि हम तो उस सभ्यता से हैं जिसमें कहा जाता है, “आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः” यानि हर तरफ से नेक विचार हमारे पास आएं । हमारा लोकतंत्र हमें प्रेरणा देता है, नवीनता और नए विचारों को स्वीकारने की । आज जब एक नया वर्ल्ड ऑर्डर उभर रहा है, विश्व, भारत को एक आशा और विश्वास भरी नजरों से देख रहा है, तो भारत को भी हर पल नई ऊंचाई पर पहुंचने के लिए अपने प्रयास बढ़ाने होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के इतिहास की महानता से, भारत के समृद्धि काल से हम सभी परिचित रहे हैं। हमें इसका हमेशा बहुत गर्व भी रहा है। भारत की विरासत से और भारत के वर्तमान से, विश्व सही रूप में परिचित हो, ये भी उतना ही आवश्यक है।