किसानों को मदद पहुंचाने में छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य: मंत्री रविन्द्र चौबे
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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी नीतियों और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की जमीनी हकीकत देखने तमिलनाडु राज्य के कावेरी नदी किसान संरक्षण समिति का प्रतिनिधिमंडल छत्तीसगढ़ पहुंचा था। छत्तीसगढ़ के दो दिवसीय प्रवास के दौरान इस प्रतिनिधि मंडल ने कई इलाकों का दौरा किया और किसानों से मुलाकात की। सुराजी गांव योजना के नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी कार्यक्रम के क्रियान्वयन की स्थिति देखी एवं रायपुर के छेरीखेड़ी स्थित मल्टी एक्टिविटी सेंटर सहित कवर्धा जिले में गन्ने की खेती का भी मुआयना किया।

तमिलनाडु के किसानों को प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार की देर शाम छत्तीसगढ़ के कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे के रायपुर स्थित निवास कार्यालय में सौजन्य मुलाकात की और तमिलनाडु राज्य तथा छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी की स्थिति को लेकर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे को तमिलनाडु का प्रसिद्ध ब्लैक राईस और ऑर्गेनिक गुड़ भेंट किया।

 

कृषि मंत्री चौबे ने तमिलनाडु के किसान प्रतिनिधिमंडल में शामिल सभी प्रतिनिधियों को शॉल एवं श्रीफल भेंटकर उनके छत्तीसगढ़ आने पर प्रसन्नता जताई। कृषि मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य ने बीते तीन वर्षों में खेती-किसानी को समृद्ध और किसानों को खुशहाल बनाने के लिए कई नवाचार किए हैं। यहां कई अभिनव योजनाएं शुरू की गई हैं। किसानों को फसल उत्पादकता एवं फसल विविधीकरण को अपनाने के लिए उन्हें मदद पहुंचाने के मामले छत्तीसगढ़ देश का अग्रणी राज्य है। यहां के किसानों को धान और गन्ना की सर्वाधिक कीमत मिल रही है। कृषि मंत्री ने इस मौके पर छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि इन योजनाओं का उद्देश्य ग्रामीणों और किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है। तमिलनाडु में भू-जल स्तर की चिंताजनक स्थिति को देखते हुए कृषि मंत्री श्री चौबे ने प्रतिनिधिमंडल को छत्तीसगढ़ सरकार के नरवा विकास कार्यक्रम को वहां अपनाए जाने का सुझाव दिया।

इस अवसर पर कृषि विभाग के सचिव एवं गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. एस. भारतीदासन ने तमिलनाडु राज्य में कृषि की स्थिति और छत्तीसगढ़ में किसानों की बेहतरी के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। किसान प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख सुन्दर विमल नाथन ने बताया कि उनके प्रतिनिधिमंडल में तमिलनाडु के अलग-अलग जिलों के किसान प्रतिनिधि शामिल हैं, जो मुख्यतः धान और गन्ना की प्रमुखता से खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में किसानों को प्रति टन गन्ना की जो कीमत मिल रही है, वह तमिलनाडु की तुलना में लगभग छह हजार रुपये अधिक है। नाथन ने बताया कि छत्तीसगढ़ में किसानों को मिल रहे अधिक लाभ को जानने और समझने के उद्देश्य से उनका दल छत्तीसगढ़ के दौरे पर आया है। नाथन ने कृषि मंत्री से छत्तीसगढ़ में नेचुरल फॉर्मिंग का राष्ट्रीय कॉन्क्लेव आयोजित किए जाने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु राज्य में भू-जल के अनियंत्रित दोहन तथा औद्योगीकरण के चलते भू-जल स्तर 300 फीट से गिरकर एक हजार फीट नीचे चला गया है, यह स्थिति चिंताजनक है।