Since: 23-09-2009
भोपाल। मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने भ्रष्टाचार के मामलों में कार्यवाही से पहले भ्रष्ट आईएएस, आईपीएस और आईएफएस नौकरशाहों के खिलाफ जांच एजेंसियों को मुख्यमंत्री से अनुमति लिए जाने के निर्णय को दु:खद व भ्रष्टाचारियों के समक्ष शिवराज सरकार का "आत्मसमर्पण" निरूपित किया है।
डॉ. सिंह ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस निर्णय को अमल में लाने के पहले सरकार और भ्रष्ट नौकरशाहों के बीच कोई "आर्थिक समझौता" हुआ है क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भ्रष्ट नौकरशाहों पर लगाम लगाने के लिए पहले उन्हें नौकरी करने लायक नहीं रहने देने, जेल की हवा खिलाने व जमीन में गाढ़ देने की धमकी दी और अब उन्हीं के सामने यह "आत्मसमर्पण" क्यों? इसे क्या माना जाए?
नेता प्रतिपक्ष डॉ. सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ही लोकायुक्त संगठन, ईओडब्ल्यू जैसी भ्रष्टाचार निरोधक संस्थाएं अस्तित्व में लाई गईं थी यदि यह संस्थाएं ही भ्रष्टाचार से सम्बद्ध किसी भी मामले में आरोपितों के खिलाफ बिना मुख्यमंत्री की मंजूरी के अब जांच, किसी भी तरह की पूछताछ अथवा एफआईआर नहीं कर सकती तो इनकी प्रासंगिकता पर सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है? लिहाजा, सरकार को इनके दफ्तरों पर ताला ही लगा देना चाहिए। डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि उक्त निर्णय और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 -A इस विषयक प्रावधान लाने की जरूरत क्यों पड़ी, मुख्यमंत्री को अपनी मंशा स्पष्ट करना चाहिए? क्या मुख्यमंत्री ने यह निर्णय देश के उन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुमति लेकर लिया है जिसमें उन्होंने "न खाऊंगा, न खाने दूंगा" की बात लाल किले की प्राचीर से कही थी!
नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से यह भी जानना चाहा है कि उनके 15 वर्षीय कार्यकाल में भ्रष्ट नौकरशाहों, कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर अब तक कितने प्रकरण व क्यों लंबित हैं, निर्धारित सीमा अवधि में उन्हें निराकृत क्यों नहीं किया गया, क्या मज़बूरी थी? यही नहीं भ्रष्टाचार से संबंधित कर्मचारियों-अधिकारियों व भाजपा से जुड़े नेताओं के खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में अपेक्षित अभियोजन की स्वीकृति कितने सालों से और क्यों लंबित है? इसके पीछे मुख्यमंत्री की कौन सी मज़बूरी छुपी हुई है, उन्हें वे क्यों बचाना चाह रहे हैं? सार्वजनिक होना चाहिए।
MadhyaBharat
8 May 2022
All Rights Reserved ©2024 MadhyaBharat News.
Created By: Medha Innovation & Development
|