Since: 23-09-2009
रायपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट ने झीरम घाटी हत्याकांड की नए सिरे से जांच के लिए गठित दूसरे आयोग के कामकाज पर बुधवार को अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की याचिका पर यह प्रतिबंध लगाया है। याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस आरसीएस सामंत ने की। हाई कोर्ट राज्य सरकार और आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई अब 04 जुलाई को होगी।
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने याचिका में कहा है कि जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग की जांच रिपोर्ट अब तक शासन ने विधानसभा के पटल पर नहीं रखी है। इस पर चर्चा भी नहीं हुई है। झीरम घाटी हत्याकांड के तत्काल बाद राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अगुवाई में जांच आयोग का गठन किया था। आयोग ने आठ साल तक साक्ष्य जुटाने के बाद रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी।
याचिका के मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार ने दोबारा जांच के लिए 11 नवंबर, 2021 को दो सदस्यीय (रिटायर्ड जस्टिस सुनील अग्निहोत्री और जस्टिस मिन्हाजुद्दीन) न्यायिक जांच आयोग का गठन किया। नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने तीन बिंदुओं पर आपत्ति जताई है। इसमें वैधानिक दुर्भावना, पहले जांच आयोग की रिपोर्ट को छह महीने के भीतर विधानसभा में पेश नहीं किया जाना और एक ही घटना और मुद्दे पर दोबारा जांच की अनुमति नहीं होना शामिल है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष जानने के बाद अगली सुनवाई तक दूसरे आयोग के कामकाज पर रोक लगादी है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी और विवेक शर्मा ने पक्ष रखा।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के नेतृत्व में परिवर्तन रैली का आयोजन किया गया था। 25 मई, 2013 की शाम करीब 4 बजे झीरम घाटी के पास नक्सलियों के हमले में 29 लोगों की मौत हो गई थी। इस वीभत्स हत्याकांड में कांग्रेस ने अपनी पहली पंक्ति के नेताओं विद्याचरण शुक्ल, नंद कुमार पटेल और महेंद्र कर्मा को खोया था।
MadhyaBharat
11 May 2022
All Rights Reserved ©2024 MadhyaBharat News.
Created By: Medha Innovation & Development
|