पहली बार कैबिनेट में इंदौर का प्रतिनिधित्व न होने की गूंज सोशल मीडिया पर सुनाई देने लगी है। सोशल मीडिया पर लोग जमकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। वे लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (ताई) और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (भाई) को यह समझाइश भी दे रहे हैं कि उनके आपसी झगड़े में इंदौर शहर का नुकसान हो रहा है।
व्हाट्सएप और फेसबुक पर तरह-तरह के कमेंट किए जा रहे हैं। एक यूजर ने लिखा है कि ‘आज सिद्ध हो गया कि इंदौर से मुख्यमंत्री को वाकई कितना प्रेम है’। इस तीखे तंज के साथ कुछ यूजर्स ने यह भी लिखा ‘मंत्रिमंडल गठन में यह भी साफ है कि योग्यता की कद्र नहीं की गई है, इंदौर के सुदर्शन गुप्ता, महेंद्र हार्डिया, रमेश मैंदोला किसी भी कसौटी पर कमतर नहीं थे लेकिन फिर भी उनकी अनदेखी की गई। इसके जवाब में कई लोगों ने यह भी लिखा कि अगर योग्यता की बात करें तो दादा (बाबूलाल गौर) से ज्यादा मध्यप्रदेश में कौन योग्य था। फिर भी उन्हें जिस तरह से बाहर निकाला और इंदौर की उपेक्षा हुई इससे यह लग रहा है कि भाजपा को मालवा बेल्ट की अब कोई फिक्र नहीं रह गई है। वहीं यह भी कहा गया कि बड़े-बड़े की लड़ाई में नुकसान हमेशा आम आदमी का होता है और अब इंदौर की जनता को बड़े बुर्जुगों की यह बात अच्छी तरह समझ आ गई होगी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा ने कहा कि जिस तरह से बाबूलाल गौर को हटाया गया है, यह तरीका ठीक नहीं है। यदि उम्र का कोई क्राइट एरिया है तो पहले बताना चाहिए था। पार्टी को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। यह बात उन्होंने बाबूलाल गौर से मुलाकात के बाद कही। जब उनसे मीडिया ने पूछा कि क्या वे उनकी पत्नी नीना वर्मा को मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं तो उनका कहना था कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि वे किसे मंत्री बनाएं और किसे नहीं। गौर से मिलने के लिए विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा और इंदौर के पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे भी पहुंचे। मोघे ने गौर से करीब 45 मिनट चर्चा की।