ताप विद्युत संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने में केन्द्र करेगा पूरा सहयोग
ताप विद्युत संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने में केन्द्र करेगा पूरा सहयोग
गैर पारम्परिक ऊर्जा में मध्यप्रदेश की उपलब्धियाँ उदाहरण प्रदेश में ताप विद्युत संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने के लिये राज्य सरकार और राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम के साथ आपसी सहयोग के लिये संयुक्त समिति गठित की जायेगी। इसके अध्यक्ष प्रमुख सचिव ऊर्जा होंगे। भारत सरकार की ओर से संयुक्त सचिव और एनटीपीसी के संचालक वित्त के अलावा वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। यह समिति प्रदेश के ताप ऊर्जा संयंत्रों का मूल्यांकन करेगी। इसका उद्देश्य ताप संयंत्रों की क्षमता 80 प्रतिशत से ऊपर बढ़ाना है। केन्द्रीय कोयला एवं ऊर्जा राज्य मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ राज्य में विद्युत की स्थिति पर चर्चा की और कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर केन्द्र सरकार की ओर से पूरा सहयोग दिया जायेगा।श्री चौहान ने त्यौहारों के दौरान अतिरिक्त बिजली की जरूरत के संबंध में पीयूष गोयल को अवगत करवाया। श्री गोयल ने कहा कि बिजली की तात्कालिक कमी को पूरा करने के लिये राज्य को पूरा सहयोग मिलेगा और एनटीपीसी से बिजली प्रदाय तत्काल शुरू हो जायेगा। उन्होंने कहा कि रबी की फसलों के लिये भी केन्द्र के अनावंटित कोटे में से मध्यप्रदेश को अतिरिक्त बिजली दी जायेगी।श्री चौहान ने केन्द्रीय राज्य मंत्री को बताया कि रबी के सीजन में विद्युत की मांग 40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। उन्होंने बढ़ी मांग को पूरा करने में केन्द्र से सहयोग का आग्रह किया। श्री गोयल ने इसे व्यवहारिक मानते हुए केन्द्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं के अनावंटित विद्युत कोटे से आगामी 15 अक्टूबर से राज्य को 100 दिन के लिये 500 मेगावॉट बिजली आवंटित करने के निर्देश दिये।केन्द्रीय राज्य मंत्री ने मध्यप्रदेश में पिछले दो साल के कम समय में गैर पारम्परिक ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में हुए उत्कृष्ट काम की सराहना करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार मध्यप्रदेश को इस क्षेत्र में पूरा सहयोग करेगी ताकि वर्ष 2017 तक प्रदेश की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता में गैर पारम्परिक ऊर्जा का योगदान 30 प्रतिशत तक हो जाये। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 2017 तक गैर पारम्परिक ऊर्जा का योगदान 21 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह गैर परम्परागत ऊर्जा क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने काम किया है, वह अन्य प्रदेश के लिये उदाहरण है। श्री गोयल ने राज्य सरकार की सराहना करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र को लगातार 10 घंटे बिजली उपलब्ध करवाने वाला देश का पहला राज्य है।राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में प्रदेश की लंबित परियोजनाओं की स्वीकृति देने के मुद्दे पर केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री ने बताया कि प्रस्तावित दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना में प्रदेश को पर्याप्त आवंटन मिलेगा। इस योजना से गाँवों में 100 प्रतिशत विद्युतीकरण करने में मदद मिलगी। श्री गोयल ने कहा कि कोयले के आवंटन की पर्याप्त व्यवस्था की जायेगी। उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन और वितरण में पूरे देश में मध्यप्रदेश की विशिष्ट पहचान है। प्रदेश को किसी भी प्रकार से कोयले की कमी नहीं होने दी जायेगी। श्री गोयल ने फीडर विभाजन के कार्य की सराहना की और प्रदेश को हुए लाभ की जानकारी ली। उन्हें बताया गया कि फीडर विभाजन से विद्युत हानि कम हुई और विद्युत प्रदाय की गुणवत्ता बढ़ी है। श्री चौहान ने कहा कि वे मध्यप्रदेश के हित में विद्युत वितरण कम्पनियों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाने के लिये पॉवर फायनेंस कार्पोरेशन से चर्चा करेंगे।विद्युत वितरण सुधारने और विद्युत हानि एवं चोरी के मुद्दे से निपटने के लिये केन्द्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि निचले स्तर पर यह संदेश देना होगा कि विद्युत चोरी से बिजली कम मिलेगी। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार स्मार्ट मीटर लगाने की योजना पर विचार कर रही है। उन्होंने राज्य सरकार से इसका लाभ लेने के लिये प्रस्ताव तैयार करने का आग्रह किया।प्रमुख सचिव ऊर्जा आई.सी.पी. केशरी ने बताया कि प्रदेश में सभी स्त्रोतों से विद्युत उत्पादन क्षमता करीब 14 हजार मेगावॉट है। उन्होंने बताया कि विद्युत ट्रांसमिशन में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है। अपर मुख्य सचिव गैर पाम्परिक ऊर्जा श्री एस.आर. मोहंती ने बताया कि देश की सबसे बड़ी सोलर परियोजना नीमच में स्थापित की गई है। इसके अलावा रीवा के लिये 750 मेगावॉट क्षमता के अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्रोजेक्ट की भी स्वीकृति केन्द्र सरकार से मिली है। इस प्रोजेक्ट की वित्तीय सहायता के लिये विश्व बेंक को प्रस्ताव भेजा गया है। देवास में पवन ऊर्जा संयंत्र की क्षमता 8 मेगावॉट से बढ़ाकर 45 मेगावॉट करने की सबसे बड़ी परियोजना पर भी काम चल रहा है।