सांप को सजा दी बंधक बनाया
snake
 
भालू को चढ़ाई ग्लूकोज की बोतलें 
 
 
कोरबा में  लहरीराम को डसने की गुस्ताखी करने वाले जहरीले सांप को उसने बाँध कर रख लिया । सांप को काटने की सजा उसे बंधक बनने वाले ने  पहले तो रस्सी से बांधकर रखा था, लेकिन अब उसे हंडे में कैद कर दिया है। सांप को बंधक बनाकर रखने के पीछे उसकी क्या मंशा है, ये किसी को समझ नहीं आ रहा है।वहीँ एक  बेहोश भालू को स्वस्थ करने के लिए जंगल में ही बकायदा पेड़ की टहनी में ग्लूकोज की बोतल बांध क्र स्लाइन चढ़ा कर भालू की जान बचाई गई । 
 
खोडरी गांव में रहने वाले लहरीराम को डसना सांप को इतना महंगा पड़ेगा ये किसी ने नहीं सोचा था। घटना शुक्रवार की दोपहर के वक्त की है। खेत में काम करते वक्त जहरीले सांप ने उसे डस लिया था, लेकिन सांप की यह हिमाकत लहरीराम को इतनी नागवार गुजरी कि उसे पकड़कर घर ले आया और बरामदे के खूंटे में बांध कर रख दिया। इस मसले को 24 घंटे से भी अधिक हो गए मगर उसने सांप को आजाद नहीं किया, बल्कि उसकी सजा और बढ़ा दी गई है। पहले तो सांप को खूंटे में बांधकर रखा गया था, लेकिन अब उसे एक हंडे में कैद कर लिया है।
 
 लहरीराम ने कहा कि वह सांप को तब तक बंधक बनाकर रखेगा, जब तक वह पूरी तरह स्वस्थ्य नहीं हो जाता। उसने बताया कि अगर उसने सांप को छोड़ दिया तो उसके पूरे शरीर में जहर फैल जाएगा और उसकी मौत हो जाएगी। अपनी जान बचाने के लिए लहरीराम ने सांप को कैद कर रखा है।
खास बात यह है कि सर्पदंश के बाद उपचार के लिए अस्पताल ले जाने 108 संजीवनी एक्सप्रेस घर पहुंची तो जड़ी-बूटी से ठीक हो जाने का दावा करते हुए लहरीराम ने एंबुलेंस को लौटा दिया था। आखिर कितने दिन बाद सांप को आजादी मिलती है यह देखना दिलचस्प होगा।
 
मेडिकल साइंस के लिए भी लहरीराम चुनौती है। डॉक्टरों के मुताबित सर्पदंश के लिए एंटी स्नैक वेनम ही कारगर होता है, लेकिन लहरीराम अब तक जड़ी-बूटी खाकर जिंदा है। वहीं हैरानी वाली बात ये है जिस सांप ने उसे काटा है, वह गहुंआ है। बेहद ही जहरीला यह सांप ब्लैक कोबरा की प्रजाति का होता है। इसके काटने के कुछ देर बाद ही इंसान की मौत हो जाती है। बहरहाल मसला जो भी हो, लहरीराम अपने इस हैरतंगेज कारनामे की वजह से पूरे जिले में चर्चित हो गया है।
 
भालू का इलाज 
खुंखार भालू के हमले की खबर आपने जरूर सुनी होगी, लेकिन इंसानों की तरह भालू का इलाज करते शायद ही सुना होगा। एतमानगर वनपरिक्षेत्र में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां एक बेहोश भालू को स्वस्थ करने के लिए जंगल में ही बकायदा पेड़ की टहनी में ग्लूकोज की बोतल बांध स्लाइन चढ़ाई । उपचार के करीब 5 घंटे बाद भालू को होश आ गया और वह जंगल की ओर वापस चला गया।
 
कोरबा और कटघोरा वनमंडल क्षेत्र के जंगलों में काफी बड़ी तादात में भालू विचरण करते हैं। यही वजह है कि जंगली क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों का भालुओं से आए दिन सामना होता रहता है। भालू के हमले से कई लोगों की जान भी जा चुकी है। मगर इंसानों पर हमला करने वाले एक खतरनाक भालू को बचाने के लिए ग्रामीणों और वनकर्मियों ने शनिवार को पूरी ताकत झोंक दी। मामला कटघोरा वन मंडल के एतमानगर का है।
 
सुबह के वक्त कुछ ग्रामीण अपने खेत जा रहे थे। इसी दौरान नदी किनारे एक भालू पर उनकी नजर पड़ी। विशाल भालू को एकाएक सामने देखकर ग्रामीणों के पहले तो हाथ-पांव फूल गए। भालू के शरीर में कोई हरकत नहीं हाने परे कुछ लोगों ने हिम्मत दिखाते हुए उसके पास जाकर देखा तो पता चला भालू बेहोशी की हालत में है। यह खबर पूरे गांव में फैल गई। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन अमले को दी।
 
सूचना मिलते ही परिक्षेत्र के रेंजर सहित वन अमला मौके पर पहुंचा। पोड़ी के पशु चिकित्सक को भी बुलाया गया। उसके बाद जिस तरह से उसका उपचार किया गया, वह नजारा चौंकाने वाला था। चिकित्सक ने भालू का स्वास्थ्य परीक्षण किया तो पता चला कि भूख के चलते वह मूर्छित हो गया है। फिर क्या था उसे स्वस्थ करने के लिए चिकित्सक ने ग्लुकोज की बोतल मंगाई और पास में ही स्थित पेड़ की टहनी पर बोतल लटका कर भालू को निडिल के माध्यम से स्लाइन चढ़ाई ।
 
इस दौरान चार लोग बांस की लकड़ी से उसे दबाकर रखे थे, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो जाए। एक के बाद एक 6 बोतल ग्लूकोज चढ़ाये जाने के बाद   बीमार भालू के शरीर में जान आई। करीब 5 घंटे के उपचार के बाद वह न केवल उठ खड़ा हुआ, बल्कि जंगल की ओर कूच कर गया। यह पहला मामला है जब किसी खुंखार जंगली जानवर को जंगल में ही इंसानों की तरह इलाज किया गया। यही वजह है कि ये मामला क्षेत्र के लिए कौतूहल का विषय बना रहा है। पूरे दिन ग्रामीणों का मजमा लगा रहा। वहीं भालू स्वस्थ्य होने के बाद वन अमले ने भी राहत की सांस ली।