अंतर्राज्य परिषद की ग्यारहवीं बैठक
एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिये स्थापित नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड को सक्रिय करने का आग्रह किया है ताकि इस ग्रिड का लाभ राज्य के आसूचना तंत्र को भी मिल सके। उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि सोशल मीडिया का दुरूपयोग रोकने के लिये किसी संस्था को नोडल संस्था बनाया जाना चाहिये। इस संबंध में प्रोटोकॉल तय किया जाना चाहिये। श्री चौहान ने नई दिल्ली में अंतर्राज्य परिषद की ग्यारहवीं बैठक में अपने विचार रखे। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की।
श्री चौहान ने पुलिस आधुनिकीकरण योजना में भवन मद में धनराशि उपलब्ध करवाने का भी अनुरोध किया है ताकि पुलिसकर्मियों के आवास गृहों का निर्माण जारी रहे। मुख्यमंत्री ने सेंट्रल पैरामिलेट्री फोर्स के गठन के संबंध में अग्रिम भुगतान की व्यवस्था को संशोधित करने की भी जरूरत बतायी। उन्होंने तर्क दिया कि कानून-व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिये कई बार अविलम्ब अर्द्ध सैनिक बलों का गठन करना जरूरी होता है। वर्तमान व्यवस्था से इसमें विलम्ब होता है।
मुख्यमंत्री ने आंतरिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए कहा कि राज्य में पुलिस बल को सुदृढ़ बनाया गया है और सभी जरूरी तकनीकी संसाधनों से सुसज्जित किया गया है। राज्य स्तरीय डायल 100 एकीकृत पुलिस आकस्मिक रिस्पांस सिस्टम की चर्चा करते हुए श्री चौहान ने कहा कि इससे शहरी क्षेत्रों में 5 से 10 मिनट और ग्रामीण क्षेत्रों में 30 से 45 मिनट में आम लोगों को पुलिस सहायता मिल रही है। उन्होंने बताया कि पिछले चार सालों में हर साल 31 हजार से ज्यादा नये पद सृजित किये गये और 50 नये थाने और 108 पुलिस चैकियाँ स्वीकृत की गई हैं। सभी हितग्राहीमूलक योजनाएँ 2017 तक आधार नम्बर से जुड़ेंगी
प्रदेश में आधार कार्ड के अधिकाधिक उपयोग के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी सेवाओं के प्रदाय में आधार नम्बर का उपयोग किया जा रहा है। वर्ष 2017 तक सभी हितग्राहीमूलक योजनाओं में आधार नम्बर जोड़ दिया जायेगा। अभी 18 वर्ष की उम्र से ऊपर के सभी लोगों का आधार नम्बर जारी हो चुका है। श्री चौहान ने बताया कि आधार नम्बर का उपयोग करते हुए सामाजिक सुरक्षा पेंशन, स्कूली बच्चों को छात्रवृत्ति, मनरेगा की राशि सीधे हितग्राहियों के खाते में पहुँच रही है। माध्यमिक शिक्षा मंडल, लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में भी आवेदन फार्म में आधार नंबर की जानकारी लेने का निर्णय लिया गया है।
’’आपकी पेंशन - आपके द्वार ’’
श्री चौहान ने बैंकिंग करेस्पोंडेंट मॉडल को और अधिक प्रभावी बनाये जाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि ग्रामीण अंचलों में बैंकों की सिविल शाखाएँ सीमित संख्या में होने और बैंकिंग करेस्पोंडेंट सुविधा नहीं होने से हितग्राहियों को परेशानी होती है। इस संदर्भ में श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश में ’’आपकी पेंशन आपके द्वार’’ और ’चलित बैंकिंग\' के माध्यम से पेंशन वितरण जैसी पहल शुरू हो गई है। ’’आपकी पेंशन आपके द्वार’’ में प्रारम्भिक रूप से सागर और विदिशा जिलों को चुना गया है। चलित बैंकिंग से पेंशन वितरण की पहल में शहडोल, अनूपपुर और उमरिया को चुना गया है। यह पहल ऐसी ग्राम पंचायतों में लागू की गई है जहाँ पेंशन हितग्राहियों को पेंशन लेने पाँच किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करना पड़ती थी।
राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा विश्वविद्यालय बनाने का सुझाव
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा विश्वविद्यालय स्थापित करने का भी सुझाव देते हुए कहा कि इसके अंतर्गत सभी शिक्षा महाविद्यालयों को संबद्ध किया जा सकता है। प्रदेश में गुणात्मक शिक्षा के लिये किये गये प्रयासों की चर्चा करते हुए श्री चौहान ने बताया कि पिछले दस वर्षों में सतत प्रयास के परिणामस्वरूप प्राथमिक शालाओं में शाला त्यागने की दर में 13.74 प्रतिशत की कमी आई है। माध्यमिक शाला में शाला त्यागने की दर में 9.52 प्रतिशत और हाईस्कूल में 11.1 प्रतिशत की कमी आई है।
श्री चौहान ने बताया कि शालाओं के मूल्यांकन में सुधार के लिये ’’शाला सिद्धि’’ - हमारी शाला ऐसी हो’’ कार्यक्रम तैयार किया गया है। इसमें 25 हजार प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं को चुना गया है। इन शालाओं में बाह्य मूल्यांकन किया जायेगा।
श्री चौहान ने परीक्षा और मूल्यांकन पद्धति में बदलाव लाने पर जोर देते हुए कहा कि कक्षा 5 और कक्षा 8 स्तर पर पुनः बोर्ड परीक्षा प्रारंभ किया जाना चाहिए। इस संबंध में मानव संसाधन मंत्रालय से अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि शालेय पाठयक्रमों में खेल, योग और नैतिक शिक्षा को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिये। मध्यप्रदेश में योग और नैतिक शिक्षा को शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 में बच्चों की फीस की प्रतिपूर्ति के अलावा अन्य खर्च की प्रतिपूर्ति भी की जाना चाहिये। मुख्यमंत्री ने विशेष प्रतिभा और प्रखर बुद्धि वाले बच्चों को राष्ट्र की श्रेष्ठ निधि बताते हुए कहा कि ऐसे बच्चों को प्रोत्साहन देने के लिये उच्चतर माध्यमिक स्तर पर राज्य-स्तरीय विशिष्ट प्रतिभा एवं प्रखर बुद्धि संस्थान की स्थापना में सहायता मिलना चाहिये।