रमन सरकार से परेशान बेरोजगार दिव्यांग ने सीएम हाउस के सामने खुद को लगाई आग
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छत्तीसगढ़ के  सीएम हाउस के सामने गुरुवार दोपहर को उस समय हड़कंप मच गया जब सरकारी नौकरी की फरियाद लेकर पहुंचे एक दिव्यांग युवक ने खुद पर पेट्रोल उड़ेलकर आग लगा ली। सीएम हाउस के सुरक्षाकर्मियों की नजर जैसे ही आग की लपटों में घिरे युवक पर पड़ी, उन्होंने दौड़कर युवक के ऊपर कपड़ा डालकर आग बुझाई और एक ऑटो में उसे तत्काल अंबेडकर अस्पताल भिजवाया। युवक 85 फीसदी जल गया है। फिलहाल उसकी हालत गंभीर व स्थिर बताई जा रही है।
 
जानकारी के मुताबिक दोपहर साढ़े बारह बजे बिरगांव, उरला निवासी दिव्यांग योगेश कुमार साहू (28) जनदर्शन में सीएम से नौकरी की मांग करने पहुंचा था, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उसे सीएम से मिलने नहीं दिया। इससे परेशान योगेश ने सीएम हाउस के पश्चिमी गेट के सामने वहां से 50 मीटर दूर जाकर साथ में लाए पेट्रोल को अपने शरीर पर उड़ेला और आग लगा ली। उसके आग लगाते ही हड़कंप मच गया। योगेश के पिता की किराने की दुकान है और उसकी तीन बहनंे है। घर की माली हालत ठीक नहीं होने से परिवार के भरण-पोषण में दिक्कत आ रही है।
 
अंबेडकर में भर्ती योगेश का बयान देर शाम को तहसीलदार ने दर्ज किया। उसके पिता निषादराम साहू ने पुलिस को बताया कि योगेश बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से परेशान था। उसने पहले भी दो-तीन बार जनदर्शन में सीएम को नौकरी के लिए आवेदन दिया था, लेकिन मांग पूरी नहीं होने से उसने यह कदम उठाया। योगेश घर से केवल 20 रुपए लेकर निकला था।
 
सीएम हाउस के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे खंगालने पर एक महिला का फुटेज सामने आया है। फुटेज में योगेश को एक अज्ञात महिला ने पेट्रोल से भरी हुई बोतल दी थी। योगेश शादीशुदा नहीं है, सवाल यह है कि यह महिला कौन है?
 
योगेश के पिता ने बताया योगेश का एक पैर पोलियो से ग्रसित है। वह ठीक से चल नहीं पाता, लेकिन उसने 12वीं की परीक्षा सेकंड डिवीजन से पास की है। वह तो सिर्फ नौकरी चाहता था। दो बार सीएम जनदर्शन में गया था। मुझसे बोला- बाबूजी एक बार सीएम साहब बोले कि कालीबाड़ी में नौकरी मिल जाएगी। वह वहां भी गया, लेकिन नौकरी नहीं मिली। पता था कि वो जनदर्शन में जा रहा है, लेकिन वह यह कदम उठा लेगा, नहीं पता था। उसकी नौकरी लग जाती... उसकी शादी भी नहीं हुई है, नौकरी लगती तो शादी करते। वह बच तो जाएगा...।
 
सीएम हाउस के सामने युवक द्वारा आत्मदाह की घटना को एसपी संजीव शुक्ला ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने घटना स्थल पर आला अधिकारियों के साथ जाकर निरीक्षण किया फिर देर रात कंट्रोल रूम में राजपत्रित अधिकारियों की बैठक ली। 
 
आईजी प्रदीप गुप्ता का कहना है यह केवल एक घटना है, इसकी जांच की जा रही है। इस घटना के बाद सीएम हाउस की बाहरी सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
 
झुलसे युवक को ऑटोवाला लाया अस्पताल, दर्द से चीखता रहा
सीएम हाउस के पश्चिमी गेट पर आत्मदाह करने वाले युवक को अंबेडकर अस्पताल किसी एंबुलेंस से नहीं, बल्कि ऑटो से पहुंचाया गया था। ऑटोवाला उसे अस्पताल के ओपीडी गेट पर छोड़कर चला गया। योगेश जोर- जोर से चीखता रहा, चिल्लाता रहा। उसका पूरा शरीर बुरी तरह से झुलस चुका था, असहनीय दर्द हो रहा था। उसकी चीख सुनकर लोगों का मजमा लग गया, लेकिन मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। 3-4 मिनट गुजर चुके थे, वार्ड बॉय नदारद थे।
 
कोई पुलिसकर्मी तक नहीं था। इसी दौरान एक व्यक्ति उसके लिए व्हीलचेयर लेकर आया, सिक्योरिटी गार्ड की मदद से योगेश को व्हीलचेयर पर बैठाकर बर्न यूनिट वार्ड पहुंचाया गया। तब कहीं पुलिस मौके पर पहुंची। इतना ही नहीं, योगेश का इलाज शुरू होने में भी वक्त लगा, क्योंकि कोई डॉक्टर नहीं था। स्थिति बिगड़ती देख परिजन उसे डिस्चार्ज करवाकर निजी अस्पताल ले गए। जिसने भी यह मंजर देखा, वह स्तब्ध रह गया। योगेश सिर्फ पानी... पानी... पानी मांगता रहा।
 
योगेश को दोपहर करीब 12.30 बजे के आसपास अंबेडकर अस्पताल के गेट पर छोड़ दिया गया था। उसके साथ कोई नहीं था, न परिजन, न दोस्त। वह अकेले इलाज की गुहार लगा रहा था। लेकिन 5-7 मिनट तक सब उसे तड़पता देखते रहे। जबकि योगेश को अंबेडकर भेजे जाने की सूचना अस्पताल प्रबंधन को दे दी गई थी।
 
लगभग 12.50 बजे उसका इलाज शुरू हुआ। तब तक डॉक्टर 30-35 फीसदी ही जले होने की बात कह रहे थे, लेकिन शाम तक उसके 85 फीसदी जले होने की सूचना आ गई। बताया जा रहा है कि दिव्यांगता और शारीरिक कमजोरी की वजह से ज्यादा असर हुआ है। हाथ, पैर, कमर के नीचे ऊपर का हिस्सा ज्यादा जला है।
 
योगेश के पीछे-पीछे एडिशनल एसपी ग्रामीण, सीएसपी सिविल लाइन्स, मौदहापारा थाना प्रभारी, महिला थाना प्रभारी, अंबेडकर चौकी प्रभारी उनकी टीम, सब दौड़ते भागते हड़बड़ाते हुए पहुंचे। वे योगेश के बारे में जानकारी लेते रहे। उससे नाम पूछने लगे, योगेश ने कहा- दर्द हो रहा है सर आपको नाम बताऊं... इलाज तो करवाइए।
 
अंबेडकर अस्पताल स्थित बर्न यूनिट में 12.38 बजे तक योगेश को शिफ्ट कर दिया गया था। इस दौरान यहां कोई सीनियर डॉक्टर नहीं था। सिस्टर ने 5-7 मिनट बाद इंजेक्शन दिया। ड्रेसर, बाद में तकनीशियन और फिर जूनियर डॉक्टर ने उपचार किया। सीनियर डॉक्टर आए ही नहीं।