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गंगा की अविरलता को बचाने के लिए अनुशासनहीनता की थी
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती इन दिनों शराबबंदी को लेकर चर्चाओं में हैं। उन्होंने अक्टूबर में शराब नीति के विरोध में आंदोलन करने की बात कही है। इसी बीच उन्होंने रविवार रात एक के बाद एक 41 ट्वीट किए और अपनी कई पीड़ा उजागर की। गंगा सफाई अभियान मंत्री होने के दौरान विभाग बदलने की पीड़ा को भी उन्होंने सार्वजनिक किया। उमा भारती ने कहा कि उन्होंने गंगा की अविरलता को बचाने के लिए अनुशासनहीनता की थी। यही वजह थी कि उनका विभाग बदल दिया गया था। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि गंगा की अविरलता पर दिया गया मेरे मंत्रालय का एफिडेविट सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के विपरीत था। ऊर्जा, पर्यावरण एवं मेरे जल संसाधन मंत्रालय की एक कमेटी बनी, जिसमें तीनों को मिलाकर गंगा पर प्रस्तावित पावर प्रोजेक्ट पर एफिडेविट बनाना था। फिर कैबिनेट सेक्रेटरी एवं पीएमओ की सहमति के बाद हमारे मंत्रालय के माध्यम से वह सुप्रीम कोर्ट में पेश होना था। तीनों मंत्रालयों की गंगा की अविरलता पर सहमति नहीं बन पा रही थी। भारत सहित विश्व के सभी पर्यावरण विशेषज्ञों की राय एवं अरबों गंगा भक्तों की आस्था दांव पर लगी थी। उन सबकी राय में हिमालय, गंगा एवं उसकी सहयोगी नदियों पर प्रस्तावित 72 पावर प्रोजेक्ट गंगा, हिमालय एवं पूरे भारत के पर्यावरण के लिए संकट का विषय थे। उमा भर्ती ने कहा मैंने तथा मेरे गंगा निष्ठ सहयोगी अधिकारियों ने बिना किसी से परामर्श किए कोर्ट में एफिडेविट प्रस्तुत कर दिया। उस एफिडेविट पर ऊर्जा एवं पर्यावरण मंत्रालय एवं उत्तराखंड की त्रिवेन्द्र रावत जी की सरकार ने अपनी असहमति दर्ज की। फिर कोर्ट ने तुरंत केंद्र सरकार से परामर्श करके उस एफिडेविट को अमान्य कर दिया। वह तो आज भी कोर्ट की संपत्ति है और शायद केंद्र की सरकार उसके विपरीत नया एफिडेविट पेश नहीं कर पाई है। स्वाभाविक है कि मैंने अनुशासनहीनता की, मुझे तो मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी किया जा सकता था लेकिन गंगा की अविरलता तो बच गई।
MadhyaBharat
11 July 2022
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