मंत्री भार्गव की टिप्पणी हुई विलोपित
विधानसभा में आज प्रश्नकाल काफी हंगामेदार रहा। प्रश्नकाल के दौरान पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव की टिप्पणी से कांग्रेस खड़े हो गए और माफी की मांग करने लगे। दरअसल, कांग्रेस ने सिंहस्थ को लेकर विधानसभा में कई प्रश्न लगाए हैं, जिस पर मंत्री भार्गव ने कांग्रेसियों पर टिप्पणी कर दी। कांग्रेस विधायकों ने हंगामा करते हुए मंत्री से माफी की मांग की जिस पर मंत्री नरोत्तम ने कहा कि माफी नहीं मांगेंगे तो भार्गव ने भी इससे मना कर दिया। साथ ही कहा कि जहां भी शिकायत करना हो कर दो। इससे हंगामे की स्थिति बनने लगी तो अध्यक्ष ने भार्गव द्वारा की गई टिप्पणी को कार्यवाही से विलोपित करा दिया।
नरोत्तम और नायक के बीच तीखी नोकझोंक
अवैध खनन के मामले में विपक्ष द्वारा मंत्री का जवाब मांगे जाने पर मुकेश नायक ने कहा कि बताया जाए। नरोत्तम ने कहा कि मुकेश भाई यहां पर वकालत न करें। इस पर दोनों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। इस बीच गौरीशंकर शेजवार ने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि आप सब लोग ठिकाने लग जाओगे, एक भी जीतकर नहीं आओगे। इसका विधायक गोविन्द सिंह ने कड़ा विरोध किया। बाद में अध्यक्ष ने शेजवार की टिप्पणी को विलोपित करा दिया। अध्यक्ष ने सीतासरन शर्मा ने व्यवस्था बताते हुए कहा कि प्रश्नकाल के दौरान अगर भोजन अवकाश या स्थगन की स्थिति बनती है और सदन फिर से समवेत होता है तो मंत्री जवाब नहीं देगा और उन्होंने प्रश्न अग्राह्य कर दिया। इसके बाद भी मंत्री द्वारा जवाब मांगा जाता रहा। मंत्री का जवाब न दिए जाने से नाराज कांग्रेस के तरुण भनोट समेत अन्य एमएलए के साथ गर्भगृह में आ गए और नारेबाजी करते रहे। इधर, बसपा विधायक सत्यप्रकाश सखवार ने ग्वालियर में शराबियों द्वारा महिलाओं से छेड़छाड़ का मामला उठाया। जिस अध्यक्ष ने कल शून्यकाल में चर्चा का आश्वासन दिया
कांग्रेस बोली, सदन के बाहर हो रही सौदेबाजी
मंत्री से आश्वासन मिलने के बाद भाजपा विधायक आरडी प्रजापति को शांत हो गए, लेकिन कांग्रेस ने इस मुद्दे पर खासा हंगामा किया। कांग्रेस का कहना था कि सदन में उठाए गए मसले पर बाहर कैसे सौदेबाजी और समझौता हो सकता है। मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्वाइंट आॅफ आॅर्डर उठाते हुए कहा कि सदन में विवाद होने पर अध्यक्ष के कक्ष में उसे सुलझाने की परंपरा है और हमने यही किया है।
बटाईदार नहीं बन सकेंगे जमीन मालिक, पांच साल का होगा अनुबंध
विधानसभा में हुई कैबिनेट बैठक
प्रसं, भोपाल। राज्य सरकार खेती को बटाई पर देने की प्रथा को कानूनी जामा पहनाने जा रही है। अब जमीन पर कब्जे के आधार पर बटाईदार भूमिस्वामी नहीं बन सकेगा वहीं फसलों के नुकसान होंने पर बटाईदार को भी फसल बीमा का मुआवजा वैधानिक रुप से मिल सकेगा। इसके लिए राज्य सरकार मध्यप्रदेश भूमिस्वामी एवं बटाईदार के हितों का संरक्षण विधेयक 2016 इसी विधानसभा सत्र में लाने जा रही है। आज कैबिनेट बैठक में इस विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी गई।
सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि बटाईदार और किसान के बीच छह माह से पांच साल तक एग्रीमेंट होगा। कृषि के अलावा बटाईदार अन्य काम भी कर सकेंगे। विवाद की स्थिति में तहसीलदार के समक्ष अपील की जा सकेगी। अभी तक प्रदेश में बटाईदार प्रथा को कानूनन मान्यता नहीं है। इसके चलते जमीन बटाई पर देने वाले की जमीन पर बटाईदार भूस्वामी बनने के लिए कोर्ट पहुंच जाता है। वहीं इसका दूसरा पहलू यह भी है कि फसल का नुकसान होने पर भूस्वामी को ही उसका मुआवजा मिलता है और खेती बटाई पर लेने वाले किसानों को यह लाभ नहीं मिल पाता।
इन पर भी फैसला
कैबिनेट में प्राकृतिक आपदा की स्थिति में अल्पकालीन ऋण को मध्यकालीन ऋण में परिवर्तित किए जाने पर राज्य शासन के पंद्रह प्रतिशत अंशदान की राशि पर ब्याज दर के निर्धारण के प्रस्ताव को भी मंजूर कर दिया। 4 जून से 30 जून तक दस लाख चालीस हजार क्विंटल प्याज खरीदी के लिए खर्च की गई राशि का अनुमोदन भी कैबिनेट में किया गया। इसमे 6 रुपए किलो प्याज खरीदने से लेकर उसके सम्पूर्ण खर्च 9.50 रुपए प्रति किलो का अनुसमर्थन किया गया।
कैबिनेट में रामचरण तिवारी विरुद्ध रीवा कलेक्टर राहुल जैन के मामले में अवमानना प्रकरण पर भी चर्चा हुई। मुरैना संभाग में लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन सहायक यंत्री एमएस पवैया के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई। अलीराजपुर में पीएचई के सेवानिवृत्त सहायक यंत्री वीवी राजवाड़े को देय पेंशन की राशि में कटौती पर भी केबिनेट में विचार किया गया।