मध्यप्रदेश देश के ग्रीन कॉरीडोर में शामिल
मध्यप्रदेश को देश के ग्रीन कारीडोर में शामिल कर लिया गया है। इससे प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये केन्द्र सरकार से 2100 करोड़ रूपये प्राप्त होंगे। प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व प्रगति को देखते हुए 13वें वित्त आयोग की ओर से पुरस्कार स्वरूप करीब 225 करोड़ रूपये मिलेंगे। यह जानकारी आज यहाँ मंत्रालय में नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं और नीतियों के क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक में दी गई।मुख्यमंत्री चौहान ने नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को व्यवस्थित रूप से बढ़ावा देने के निर्देश देते हुए परियोजनाओं की लागत और भूमि की आवश्यकता जैसे मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में बताया गया कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 1 लाख 13 हजार करोड़ मूल्य की परियोजनाओं में प्रस्ताव मिले हैं। राष्ट्रीय कंपनियों एनटीपीसी, कोल इण्डिया, मॉइल, नाल्को ने भी परियोजनाओं के प्रस्ताव दिये हैं। वर्ष 2013-14 में सौर ऊर्जा 306 मेगावाट क्षमता बढ़ी जो देश में किसी भी राज्य में एक साल में बढ़ी अधिकतम क्षमता आंकी गई। रीवा, रामपुरा (नीमच), लातुर (शाजापुर) में अल्ट्रा मेगा सोलर संयंत्र के लिये सर्वाधिक उपयुक्त स्थल बताये गये हैं।बैठक में बताया गया कि वर्ष 2012 से 2014 में सौर एवं पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता 227 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। नवकरणीय ऊर्जा में स्थापित क्षमता 992 मेगावाट हो गई है। वर्ष 2014 तक 1678 मेगावाट और वर्ष 2017 तक 5247 मेगावाट तक पहुँच जायेगी। पवन ऊर्जा की संभावनाएँ बढ़ी हैं। वर्तमान में नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की 7678 परियोजनाएँ स्थापना की प्रक्रिया में है।बैठक में नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल, मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा, अपर मुख्य सचिव नवकरणीय ऊर्जा एस.आर. मोहंती, ऊर्जा विकास निगम की प्रबंध संचालक गौरी सिंह एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।