रायपुर में रमन कैबिनेट की बैठक में सूबे के दो कद्दावर मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय और बृजमोहन अग्रवाल की तल्खी की खबर है। दरअसल बताया जा रहा है कि मंत्रियों की नाराजगी उद्योग विभाग के उस प्रस्ताव को लेकर थी, जिसके तहत विभिन्न विभागों के दायरे में आने वाले सर्विस सेक्टर के कामों को उद्योग के अधीन कर दिया जाये।
सूत्र बताते हैं कि जैसे ही उद्योग विभाग की ओर से इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए रखा गया। सबसे पहले उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने प्रस्ताव का विरोध किया। पाण्डेय ने कैबिनेट में तल्खी के साथ कहा कि मैं इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हूँ। सूत्र बताते हैं कि पाण्डेय का अंदाज बेहद आक्रामक था। उन्होंने प्रस्ताव पर ना केवल अपनी असहमति जताई बल्कि विदेश दौरे पर गए अपने साथी मंत्री अजय चंद्राकर की ओर से भी कहा कि मैं समझता हूँ अजय चंद्राकर भी इससे सहमत नहीं होंगे।
प्रेमप्रकाश पाण्डेय अपने तल्ख अंदाज में थे ही कि सूबे के वरिष्ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी उद्योग विभाग के प्रस्ताव पर असहमति जता दी। मंत्रालय के गलियारे में इस बात की जमकर चर्चा है कि मंत्रियों की नाराजगी पॉवर सीज किये जाने को लेकर थी। बताया जा रहा है कि प्रस्ताव का विरोध करने के पीछे एक दलील ये भी है कि इससे अधिकारी लॉबी अपनी मनमानी करेगी। आनन फानन में प्रस्ताव तैयार करने के पीछे की इस चर्चाओं में ये तर्क भी दिया जा रहा है कि आने वाले दिनों में जिस तरह सर्विस सेक्टर का बोलबाला होने वाला है उसे देखते हुए ही विशेष लॉबी ने ऐसा प्रस्ताव तैयार करवाया है।
सूत्र इस बात की भी तस्दीक करते हैं कि उद्योग विभाग के इस प्रस्ताव के पहले मुख्यमंत्री की भी सहमति नहीं ली गई। जानकार बताते हैं कि उद्योग विभाग के इस प्रस्ताव में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि जैसे विभिन्न विभागों से जुड़े सर्विस क्षेत्र दायरे में आ जाते। सर्विस क्षेत्र के लिए नियम बनाने से लेकर उसे लागू करने तक की जिम्मेदारी उद्योग विभाग की होती और सम्बंधित विभाग के मंत्रियों की भूमिका नगण्य हो जाती। यही नाराजगी की एक बड़ी वजह थी, जिसका मंत्रियों ने तीखा विरोध किया और विरोध का ही नतीजा रहा कि उद्योग विभाग को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ गया। चर्चा है कि मुख्यमंत्री ने भी मामले की गंभीरता को बेहतर ढंग से समझा और प्रस्ताव वापस लेने पर अपनी सहमति भी दी।