मध्यप्रदेश के विकास के लिए माँगी केन्द्रीय सहायता
मध्यप्रदेश के विकास की दिशा में भागीरथ प्रयास करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने नई दिल्ली प्रवास में चार केन्द्रीय मंत्री, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, जल संसाधन मंत्री उमा भारती, गृह मंत्री राजनाथ सिंह तथा वित्त मंत्री अरूण जेटली से मुलाकात कर राज्य के पक्ष को रखा। श्री चौहान ने मंत्रीगण से केन्द्रीय सहयोग एवं सहायता की माँग की।बरगी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलेगाकेन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती से मुलाकात में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नर्मदा घाटी की बरगी डाइवर्जन परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की माँग की। ज्ञातव्य है कि नर्मदा नदी पर बनी यह परियोजना गंगा बेसिन को जोड़ती है। देश की ऐसी परियोजनाएँ, जो दो बेसिन को जोड़ने वाली हों, राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा हासिल करती हैं। मध्यप्रदेश की बरगी डाइवर्जन योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का प्रस्ताव जल संसाधन मंत्रालय के पास काफी समय से लंबित है। सुश्री भारती ने जल्द ही बरगी डायवर्जन परियोजना को राष्ट्रीय योजना का दर्जा दिये जाने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने जल आयोग में लंबित राज्य की 22 परियोजना की तकनीकी सलाहकार समिति से स्वीकृति प्रदान करने तथा आर्थिक सहायता जारी करने का आग्रह किया। केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री ने मध्यप्रदेश को इन योजनाओं के लिए 1520 करोड़ रूपये की राशि अविलम्ब जारी करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिये। उल्लेखनीय है कि राज्य इन परियोजनाओं संबंधी समस्त औपचारिकताओं को पहले ही पूरा कर चुका है।भोपाल में काउन्टर इंसरजेंसी एण्ड एंटी टेरेरिस्ट ट्रेनिंग सेंटरमुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर मध्यप्रदेश पुलिस के आधुनिकीकरण तथा भोपाल में काउन्टर इंसरजेंसी एण्ड एंटी टेरेरिस्ट ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने पर गम्भीर चर्चाएँ की। श्री चौहान ने कहा कि भोपाल में स्थापित होने वाले इस सेंटर में पुलिस बल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जायेगा। इसके लिए पाँच एकड़ भूमि भी चिन्हित कर ली गयी है। मुख्यमंत्री ने इस कार्य के लिए गृह मंत्रालय से 187 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता की माँग की। मध्यप्रदेश में पुलिस आधुनिकीकरण योजना की अनिवार्यता निरूपित करते हुए उन्होंने अपराधों के वैज्ञानिक अन्वेषण के लिये फोरेन्सिक प्रयोगशाला, वॉयस लेब एवं नवीन डी.एन.ए. प्रयोगशालाओं के उन्नयन आदि के लिए 250 करोड़ की सहायता सुलभ करवाने का गृह मंत्री से आग्रह किया। वर्तमान में केन्द्र सरकार राज्यों को इस कार्य के लिए 40:60 के अनुपात में सहायता देती है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने केन्द्र की भागीदारी बढ़ाकर 90:10 के अनुपात में करने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने नक्सल प्रभावित राज्यों में केन्द्रीय सुरक्षा बल (सी.आर.पी.एफ.) की तैनाती पर होने वाला व्यय केन्द्र द्वारा ही वहन करने की बात कही। वर्ष 2007 से मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात सुरक्षा बल के लिए केन्द्र द्वारा राज्य से 162 करोड़ रूपये की मांग की जा रही है। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2004 से 2007 तक इस तरह के व्यय से मध्यप्रदेश को प्राप्त छूट का उल्लेख करते हुए इस व्यय को केन्द्र द्वारा वहन किये जाने का आग्रह किया। मुख्यंत्री ने स्पेशल इन्फ्रा-स्ट्रक्चर स्कीम से बालाघाट को अलग करने केन्द्र सरकार के निर्णय को वापस लेने का आग्रह किया क्योंकि बालाघाट में राज्य तथा केन्द्रीय बलों के संयुक्त प्रयासों से नक्सली घटनाओं में कमी आयी है। मुख्यमंत्री ने सिंगरौली में भारत रक्षित वाहिनी के गठन की अनुमति देने का भी अनुरोध किया। केन्द्रीय गृह मंत्री ने प्रदेश को यथा-सम्भव केन्द्रीय सहयोग एवं आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया।मुख्यमंत्री द्वारा केन्द्रीय वित्त मंत्री से सहायता की माँगमुख्यमंत्री चौहान ने केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली से भेंट कर मध्यप्रदेश को 13वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित स्थानीय निकायों को देय 2100 करोड़ की अनुदान राशि मुहैया करवाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में आयोग द्वारा निर्धारित समस्त शर्तों का पालन भी किया जा चुका है। साथ ही सामान्य अनुपालन अनुदान वर्ष 2012-13 में 129.40 करोड़ तथा वर्ष 2013-14 में 152.60 करोड़ रूपये, इस प्रकार मध्यप्रदेश को कुल 282 करोड़ रूपये प्राप्त होना है। तेरहवें वित्त आयोग में राज्यों की जरूरतों के आधार पर राज्य विशिष्ट अनुदानों की भी अनुशंसा की गयी थी, जिसमें आँगनवाड़ी केन्द्रों के निर्माण के लिये 100 करोड़, पुरातत्व कार्यों के लिए 45 करोड़, पुलिस प्रशिक्षण को 45 करोड़, स्वास्थ्य अधोसंरचना के लिये 110.50 करोड़, गाँधी मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजी लेब तथा एम.टी.एच. हास्पिटल इंदौर के अपग्रेडेशन के लिए 23 करोड़ की राशि केन्द्र से प्राप्त होना है। त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम में राज्य को 335 करोड़ के दावे के विरूद्ध मात्र 200 करोड़ रूपये प्राप्त हुए हैं। साथ ही मनरेगा में भी राज्य अपनी ओर से 400 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। योजना में 1500 करोड़ की आवश्यकता होगी। अतः केन्द्र राज्य को अविलम्ब सहायता प्रदान करे।मुख्यमंत्री चौहान ने वर्ष 2016 में उज्जैन में होने वाले महाकुम्भ पर्व सिंहस्थ के संबंध में राज्य की महत्वाकांक्षी योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि अधोसंरचना एवं महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं पर 3500 करोड़ से अधिक की राशि व्यय होगी। राज्य ने इसके लिए 1750 करोड़ का प्रावधान किया है। उन्होंने शेष 50 प्रतिशत राशि के लिए केन्द्र से सहायता की अपेक्षा की। केन्द्रीय वित्त मंत्री ने मुख्यमंत्री को हर-संभव सहायता का आश्वासन दिया।मध्यप्रदेश की विकास परियोजना की पैरवी करेंगी केन्द्रीय विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराजमुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिलकर उन्हें मध्यप्रदेश की विकास योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने उन्हें मध्यप्रदेश के बासमती उत्पादक कृषकों की तकलीफ से अवगत करवाते हुए एपीडा द्वारा बासमती चावल के संबंध में भौगोलिक पंजीयक चेन्नई के 31 दिसम्बर 2013 के फैसले का सम्मान करते हुए बौद्धिक सम्पदा अधिकार संबंधी बोर्ड से अपनी अपील वापस करवाने में मदद करने की बात कही। ऐसा करने से राज्य के चावल उत्पादक किसानों के हितों का संरक्षण होगा। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को उज्जैन सिंहस्थ संबंधी योजनाओं में केन्द्रीय विभागों का सहयोग दिलवाने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने वन संबंधी सुब्रमण्यम समिति की अनुशंसाओं की विसंगतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि बड़े झाड़ और छोटे झाड़ वाली राजस्व भूमि को वन क्षेत्र में शामिल करना, क्षतिपूर्ति वनीकरण का सुझाया गया पैमाना और 70 प्रतिशत वन क्षेत्र में किसी भी प्रकार के विकास कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध विसंगतिपूर्ण है, जो मध्यप्रदेश के विकास में बाधक होगा। मुख्यमंत्री ने इन अनुशंसाओं को लागू करने से पूर्व मध्यप्रदेश का पक्ष समिति के समक्ष रखने का अवसर देने की बात कही। उन्होंने इस संबंध में केन्द्रीय मंत्री से पैरवी का भी आग्रह किया। श्रीमती स्वराज ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को आश्वस्त किया कि वे राज्य हित की विकास योजनाओं के लिए निरन्तर प्रयास करती रहेंगी।