बरसात के मौसम में सांपों के काटने से हर साल कईयों की अकाल मौत होती है, लेकिन इस बार सर्पदंश के मामल बढ़े हैं। पिछले तीन माह के दौरान छत्तीसगढ़ में सांप के काटने से कुल 494 लोगों की मौत हुई है।एंटीवेनम की कमी के चलते पीएचसी के पास यह उपलब्ध नहीं होती जिससे पीड़ित को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और उसकी जान चली जाती है।
प्रदेश के सभी संभागों के सरकारी अस्पतालों से राजधानी रायपुर के स्वास्थ्य विभाग को भेजी पोस्ट-मार्टम रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। महज तीन माह के दौरान प्रदेश के 27 जिलों में 494 लोगों ने सांप के काटने की वह से जान गंवाई। जबकि दो अन्य सघन वन वाले जिलों यह जिले हैं गरियाबंद और मुंगेली की रिपोर्ट नहीं मिल पाई है। रायगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 74 मामले सामने आए हैं, जबकि राजनांदगांव जिले में 48 लोगों की मौत इस वजह से हुई है। बीते चार महीने में सांप काटने के एक हजार से ज्यादा प्रकरण प्रदेश में दर्ज हो चुके हैं।
इन मौतों की मुख्य वजह जिला अस्पतालों में एंटीवेनम का अभाव बताया जा रहा है। इसके अलावा मानक यंत्र और विशेषज्ञों की कमी भी लोगों की अकाल मौत का कारण है। रिपोर्ट के अनुसार पीएचसी में पदस्थ ज्यादातर डॉक्टर स्नैक बाईट के इलाज में बेहतर भूमिका नहीं निभा पाते। इसके अलावा एंटीवेनम की कमी के चलते पीएचसी के पास यह उपलब्ध नहीं होती जिससे पीड़ित को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और उसकी जान चली जाती है।