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ट्रेड यूनियनों की हड़ताल
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रीव्यापी हड़ताल से छत्तीसगढ़ में कोयला खदानों और कारखानों में काम प्रभावित हो गया है। कोरबा की कोयला खदानों और एसईसीएल की मानिकपुर खदान में मजदूर हड़ताल पर चले गए हैं। कोरबा के करीब 40 हजार नियमित और ठेका कर्मचारी इसमें शामिल हैं।
मजदूर नेता सुबह से ही हड़ताल सफल बनाने में जुटे हैं। बालको में भी हड़ताल की वजह से कामकाज प्रभावित हुआ है। रात में ड्यूटी पर गए कर्मचारियों को प्रबंधन ने रोक लिया है। इधर बाहर यूनियन नेताओं ने कर्मचारियों को प्लांट के अंदर नहीं जाने दिया।
उधर भिलाई में हड़ताल का असर नहीं देखने को मिला। संयंत्र के खुर्सीपार पर थोड़ी देर कर्मचारियों को रोका गया। पुलिस आने के बाद कर्मचारियों को जाने अंदर जाने दिया गया। बोरि़या गेट पर कर्मचारियों का सामान्य दिनों की तरह ही आना जाना रहा। सीईओ एम रवि सुबह से हड़तालियों से मिलकर कहा कि इससे नुकसान ही होगा।
ट्रेड यूनियनों के शुक्रवार को बुलाई गई एकदिवसीय देशव्यापी हड़ताल से आम लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस हड़ताल की वजह से बैंकिंग, सार्वजनिक परिवहन और टेलीकॉम जैसी आवश्यक सुविधाएं प्रभावित हो सकती हैं। केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि वे तमाम सेवाएं पहुंचाने के लिए कारगर कदम उठाएं।
हालांकि हड़ताल का कई राज्यों में असर देखने को मिल रहा है। पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले में एक में बस में तोड़फोड़ की गई। वहीं कई जगहों पर यात्री जहां-तहां फंसे हुए हैं। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में एहतियातन स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया है।यूनियनों के मुताबिक, उनकी मांगों के प्रति सरकार की उदासीनता और श्रम कानून में श्रमिक विरोधी एकतरफा बदलावों के विरोध में यह हड़ताल बुलाई गई । यूनियनों का दावा है कि इस हड़ताल में 18 करोड़ कर्मचारी शामिल रहे हैं। जबकि पिछले साल करीब 14 करोड़ कर्मचारी इस हड़ताल का हिस्सा बने थे।
बैंक, सरकारी दफ्तर और फैक्ट्रियां बंद । कोल इंडिया, गेल, ओएनजीसी, एनटीपीसी और भेल जैसे केंद्रीय पीएसयू में कामकाज ठप्प । बिजली, परिवहन, खनन, रक्षा, टेलीकॉम और बीमा क्षेत्र प्रभावित। दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों में कई ऑटो रिक्शा यूनियनों के शामिल होने से गड़बड़ाईं परिवहन सेवाएं -बंदरगाह व विमानन सेवाएं भी प्रभावित।
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