Since: 23-09-2009
ऊर्जा और पर्यावरण-संरक्षण की पहल घर से हो
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि ऊर्जा और पर्यावरण-संरक्षण के लिए हर व्यक्ति और हर घर को पहल करनी होगी। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को सुरक्षित पर्यावरण देने के लिए जीवन पद्धति में बदलाव लाना और भारतीय जीवन-शैली को अपनाना होगा। राज्यपाल पटेल विज्ञान भवन के जगदीश चन्द्र बसु सभागार में केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय, मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और विज्ञान भारती द्वारा आयोजित ऊर्जा और पर्यावरण-संरक्षण संगोष्ठी का समापन कर रहे थे।
राज्यपाल पटेल ने पूर्वजों की जीवन-शैली का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय जीवन पद्धति पर्यावरण-सरंक्षण का प्रभावी तरीका है। स्टील और सीमेंट से मकान बनेंगे तो एयर कंडीशनिंग भी करनी होगी। जरूरत यह समझने की है कि पर्यावरण हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि परिवार के सदस्य जन्म-दिवस पर एक पौधे का रोपण अवश्य करें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रतिदिन पौधा रोपण की पहल की है, जो सराहनीय है। राज्यपाल पटेल ने कहा कि आधुनिक जीवन की पर्यावरणीय चिंताओं, ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज आदि के मूल में मानव के कार्य ही है। अत: ऊर्जा और पर्यावरण-संरक्षण के लिए चिंता एवं संचेतना को आचरण में उतारना जरूरी है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा कि पर्यावरण-सरंक्षण के लिए ऊर्जा की उत्पादन लागत में कमी लाने पर विचार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वातावरण में प्रदूषण नहीं हो, ऊर्जा का सरंक्षण हो, इसके लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों पर विचार किया जाना जरूरी है। मंत्री सखलेचा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से हरित और हाइड्रोजन ऊर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा एवं पर्यावरण-सरंक्षण के लिए ऊर्जा की जरूरतों में कमी करने की नहीं, ईको फ्रेंडली ऊर्जा के विकल्प को अपनाने और जीवन शैली में बदलाव की पहल करने की जरूरत हैं। उन्होंने कोयले का, गैसीकरण द्वारा उपयोग की संभावनाओं पर विचार की जरूरत बताते हुए कहा कि इसे ऊर्जा का स्त्रोत बनाने से ऊर्जा व्यय में काफी कमी आएगी।
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय के विशेष सचिव आशीष उपाध्याय ने बताया कि वर्ष 2030 में वर्तमान से तीन गुना अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी। देश में सुरक्षित पर्यावरण की दिशा में सार्थक प्रयास हो रहे है। प्रदेश के प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी निकुंज श्रीवास्तव ने कहा कि संगोष्ठी की अनुशंसाओं को लागू करने और आम जन तक पहुँचाने में विभाग पूरा सहयोग करेगा।
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील गुप्ता ने हाइड्रोजन ऊर्जा के उपयोग से संबधित विषयों पर विचार की आवश्यकता बताई। विज्ञान भारती के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सुधीर भदौरिया ने भारत की पंच-महाभूत की संकल्पना को ऊर्जा और पर्यावरण चिंताओं का समाधान बताया। महानिदेशक म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद अनिल कोठारी ने स्वागत उद्बोधन दिया। विज्ञान भारती मध्यप्रांत के अध्यक्ष अमोघ गुप्ता ने आभार माना।
MadhyaBharat
3 November 2022
All Rights Reserved ©2024 MadhyaBharat News.
Created By: Medha Innovation & Development
|