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संतुलित खाद उपयोग की सलाह
उप संचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास भोपाल ने बताया कि जिले की कुल संभावित आवश्यकता अनुसार जिले में पर्याप्त उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है तथा तीनों रेक पॉइंटो से लगातार यूरिया का आवंटन प्राप्त हो रहा है। एक से 10 नवम्बर के बीच जिले में 2000 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराया गया है तथा माह नवम्बर अंत तक 3000 मीट्रिक टन यूरिया और आने की संभावना है। उर्वरक आपूर्ति में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है तथा पूरे सीजन में भी आवश्यकता अनुसार खाद उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि किसान भाई अफवाहों पर ध्यान न देते हुये अनावश्यक अतिरिक्त खाद की खरीदी करने से बचे एवं उर्वरक की संतुलित मात्रा का प्रयोग करें।
उन्होंने बताया कि विगत वर्ष रबी 2021 में 30 नवंबर 2021 तक जिले में कुल 32726 मीट्रिक टन यूरिया का विकय किया गया था एवं 09 नवंबर 2022 तक कुल 31744 मीटिक टन विक्रय किया गया है एवं जिले के डबल लॉक, मार्केटिंग सोसायटि केन्द्रों में 192.05 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है। सहकारी समितियों के माध्यम से 5500 मीट्रिक टन यूरिया वितरित किया जा चुका है। केन्द्र शासन से लगातार यूरियों की रेके लगाई जा रही है जिससे जिले में यूरिया की आपूर्ति हो रही है। भोपाल जिले में सीहोर, मंडीदीप एवं सोरई इन 03 रेक पॉइंटो से खाद की आपूर्ति की जाती है। राज्य शासन द्वारा प्रतिदिन वीसी के माध्यम से खाद आपूर्ति की समीक्षा की जाकर आवश्यकता अनुसार इन रेको द्वारा उर्वरक उपलब्ध कराया जा रहा है। जिले में 4 डबल लॉक केन्द्र 34 सहकारी सोसायटियां एवं लगभग 100 निजी विक्रेताओं के माध्यम से खाद विक्रय किया जाता है।
उन्होंने बताया कि विगत वर्ष रबी 2021 में 31 नवंबर 2021 तक जिले में कुल 14670 मीट्रिक टन डीएपी विक्रय किया गया था जबकि इसके विरूद्ध इस वर्ष इसी अवधि में 18627 मीट्रिक टन वितरण किया जा चुका है। रबी फसलों की बोनी की स्थिति को देखते हुये पर्याप्त डीएपी उपलब्ध कराया जा चुका है। यूरिया बोनी के 25 से 30 दिन उपरांत देने की आवश्यकता होती है तथा जिले में माह नवम्बर अंत तक बोनी पूर्ण होने की संभावना है उसके उपरांत यूरिया का प्रथम डोज दिसम्बर माह के प्रथम, द्वितीय सप्ताह में द्वितीय डोज जनवरी माह के प्रथम सप्ताह एवं फरवरी अंत में तृतीय डोज की आवश्यकता होगी।
उल्लेखनीय है कि जिले में कुल 149 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसले बोई जाती है जिसमें से लगभग 143 हजार हेक्टेयर में गेहू की बोनी होने की संभावना है। इसके आलावा चना, मटर, मसूर एवं सरसों जिले के अन्य मुख्य फसले है, फसलों के अनुसार यूरिया एवं डीएपी प्रमुख उर्वरक है जिनकी आवश्यकता इन फसलों के लिए होती है, यूरिया मुख्य रूप से गेंहू फसल में दिया जाता है जिससे की फसलों में नत्रजन की पूर्ति होती है। डीएपी नत्रजन एवं फॉसफोरस युक्त पोषक तत्व है जोकि बोनी के समय दिया जाता है। प्रति हेक्टेयर पोषक तत्वों के आधार पर गेंहू में दो से तीन बोरी डीएपी तथा तीन से चार बोरी (50 किलो) की यूरिया की आवश्यकता होती है।
MadhyaBharat
12 November 2022
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