राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यक्रम में न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर ने कहा है कि बाहर से लोग छत्तीसगढ़ को गरीब और पिछड़ा राज्य के रूप में देखते है, परंतु यहां आने के बाद चमचमाती सड़कें, ऊंची-ऊंची खूबसूरत बिल्डिंग और विकसित होते देशव्यापी संस्थानों को देख कर यह साबित होता है कि छत्तीसगढ़ आज तेजी से तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है और इस तरक्की का श्रेय मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को जाता है। श्री ठाकुर राजधानी रायपुर के भारतीय प्रबंध संस्थान (आई.आई.एम.) के प्रेक्षागृह में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर द्वारा ‘‘आदिवासियों के अधिकारों का संरक्षण और प्रवर्तन‘‘ विषय पर आयोजित देश की पहली कार्यशाला को संबोधित करते हुए उक्त आशय के विचार व्यक्त किए।
न्यायमूर्ति श्री टी.एस.ठाकुर और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दीप प्रज्वलित कर इस एकदिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) का मुख्य उद्देश्य है कि न्याय के लिए अमीर-गरीब का भेद नही होना चाहिए। पिछड़े, कमजोर और अशिक्षित लोगों को न केवल न्याय के लिए आवश्यक विधिक सहायता दी जाए बल्कि उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें उनके अधिकार भी दिलाया जाए। इसके लिए नालसा ने 2015 में 7 नियम भी बनाए है। जिसमें असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों, बच्चों, मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों, नशा पीड़ितों, तस्करी एवं वाणिज्यिक यौन शोषण पीड़ितों को विधिक सेवाएं मुहैया कराना तथा आदिवासियों के अधिकारों का संरक्षण एवं प्रवर्तन को शामिल किया गया है।
श्री ठाकुर ने कहा कि देश में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासी निवासरत है। छत्तीसगढ़ की करीब 33 प्रतिशत आबादी जनजाति वर्ग की है। जनजातियों के संरक्षण व संवर्धन के लिए संविधान की 5 व 6 अनूसूची सहित विभिन्न कानून तथा केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। इस कार्यशाला का उद्देश्य है कि इन कानूनों और योजनाओं का लाभ जनजाति लोगों को मिले तथा जहां कमी है उसे दूर किया जाए। पिछड़े, कमजोर और गरीब लोगों को उनका अधिकार दिलाना सुशासन का ही हिस्सा है। विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पैरा लीगल वालिंटियर और पैनल लायर भी नियुक्त किए जा रहे है। श्री ठाकुर ने कहा कि जिस तरह छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों में स्थानीय लोगों की भर्ती की जा रही है उसी तरह पैरा लीगल वालिंटियर और पैनल लायर आदिवासी वर्ग से ही हो ताकि वो बेहतर तरीके से लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर सके।