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कृषि विकास की नई पहचान बना केकतीटोला
किसी एक जगह पर हितग्राहियों को केवल केन्द्र एवं राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं का सामुहिक रूप से क्रियान्वयन कर लाभ पहुंचाने के, विकास के नये प्रयोग में राजनांदगांव जिले की केकतीटोला ग्राम पंचायत अब उदाहरण साबित हो रही है। राजनांदगांव जिले के विकासखण्ड अंबागढ़ चौकी के ग्राम पंचायत केकतीटोला में ग्रामवासियों की आमदनी बढ़ाने के लिए खेती-किसानी में शासकीय योजनाओं का एक साथ समग्र लाभ दिलाने का प्रयोग सफल साबित हुआ है। ग्राम पंचायत केकतीटोला में छत्तीसगढ़ शासन की पहल पर केन्द्र सरकार द्वारा संचालित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट से स्वीकृत कार्यों को आधार बनाकर छत्तीसगढ़ सरकार की खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं का एक साथ लाभ किसानों को दिया गया। ग्राम पंचायत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट के तहत पहले किसानों की उबड़-खाबड़ जमीनों का समतलीकरण कराया गया और फिर उस जमीन पर खेती के लिए सिंचाई की व्यवस्था के साथ-साथ बीज और खाद की भी व्यवस्था शासकीय योजनाओं के तहत कराई गई। शासकीय योजनाओं के सम्मिलित रूप से एक साथ क्रियान्वयन से ग्राम पंचायत केकतीटोला के 14-15 किसानों ने अपनी आमदनी में लगभग दो गुनी वृद्धि कर ली है।
योजनाओं का सम्मिलित रूप से लाभ लेने से किसानों को न केवल सिंचाई के साधन उपलब्ध हुए है बल्कि भूमि सुधार होने से उन्होनें खाद्यान्न फसलों के साथ सब्जी आदि का उत्पादन कर अपने लिये आय के वैकल्पिक साधन भी विकसित कर लिये हैं। विकासखण्ड अंबागढ़ चौकी से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित केकतीटोला के किसानों की जमीनों पर सबसे पहले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट के तहत भूमि सुधार के काम कराये गये। इस ग्राम में नहर और नाले के पास जिन कृषकों की जमीनें थी, उन्हें विद्युत विभाग द्वारा नहर-नाला ऊर्जीकरण योजनांतर्गत विद्युत लाइन लगाकर खेतों में सिंचाई के लिए बिजली उपलब्ध करायी गई। कृषि विभाग द्वारा शाकंभरी योजना के तहत खेतों में सिचाई के लिए शासकीय अनुदान पर विद्युत पंप दिये गये। साथ ही जैविक खाद बनाने के लिए नाडेप टंाकों का निर्माण कराया गया। को-आपरेटिव बैंक द्वारा इन किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराये गए जिनके माध्यम से इन्हें रियायती ब्याज दर पर कृषि ऋण भी मिला। इसके साथ उद्यानिकी विभाग द्वारा सब्जियों के उन्नत बीज उपलब्ध कराए गए।
इस ग्राम के निवासी श्री कार्तिकराम यादव कहते है कि कई योजनाओं को संमिश्रित कर एक साथ क्रियान्वित करने से होने वाले फायदे के बारे में उन्होनें कभी सोचा भी नहीं था। कभी कृषि विभाग के माध्यम से बीज मिल जाता था तो बारिश धोखा दे जाती थी, तो कभी खेत के उबड़-खाबड़ होने से अच्छी बारिश में भी फसल कमजोर होती थी। श्री कार्तिकराम का कहना है कि उसने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत अपनी 0.615 हेक्टेयर भूमि में भूमि सुधार कराया। उसे इस कार्य हेतु योजना से 30 हजार रुपये की राशि प्राप्त हुई। उन्हें विद्युत विभाग द्वारा Óनहर-नाली ऊर्जीकरणÓ योजना अंतर्गत अपने खेत में सिंचाई के लिए बिजली का कनेक्शन भी मिला। बिजली कनेक्शन के लिए श्री कार्तिक राम को एक लाख 20 हजार रुपयें का अनुदान प्राप्त हुआ। श्री कार्तिकराम ने आगे जानकारी देते हुए बतलाया कि कृषि विभाग द्वारा शाकंभरी योजना के तहत 12 हजार 150 रुपयें की सहायता से विद्युत पंप उपलब्ध कराया गया। साथ ही राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत मक्का के बीज नि:शुल्क मिनी किट के रूप में मिले। पहले श्री कार्तिकराम की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पहले वह अपनी जमीन में खरीफ के मौसम में धान एवं कोदो की फसल लिया करते थे। कड़ी मेहनत करने के बाद भी वे प्रति एकड़ 8 से 10 क्विंटल धान एवं 2 से 3 तीन क्विंटल कोदो का उत्पादन कर पाते थे। इसमें उसे 4-5 हजार रुपये ही मिलते थे। इतनी कम आय में उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल था। आज भूमि के समतल होने एवं विभिन्न योजना का एक साथ लाभ मिलने के कारण उनकी जमींन पूर्ण रुप से सिचिंत एवं विभिन्न फसलों के उत्पादन लायक हो गई है। आज उसकी जमीन में प्रति एकड 15 से 20 हजार का उत्पादन होने लगा है। साथ ही वह खेतों की मेढ़ों पर अरहर की फसल ले रहे है। जमींन सिंचित होने से वह रबी के मौसम में उन्होनें मक्का की फसल लगाई थी, जिसमें लगभग 20-22 क्ंिवटल का उत्पादन प्राप्त हुआ। श्री कार्तिकराम को रबी के मौसस में 10 से 12 हजार की आय प्रति एकड़ प्राप्त हुई। अब वे रबी के मौसम में 25 डिसमील जमीन में सब्जी का उत्पादन भी कर लेते है। आज कार्तिकराम पूर्ण रुप से आत्मनिर्भर है। वह खुशी-खुशी यही कहता है कि शासन की योजनाएं उसके लिए वरदान साबित हुई है।
केकतीटोला गांव के निवासी मिशुन ने भी महात्मा गांधी नरेगा से अपनी 2.14 एकड़ भर्री जमीन में भूमि सुधार करवाया,इसके लिए उन्हें 28 हजार 248 रुपयें की सहायता मिली। भूमि के समतलीकरण एवं मेड़ बधान होने के कारण खेती-किसानी की पैदावार बढ़ गई है। श्री मिशुन को भी कृषि विभाग द्वारा शाकाम्बरी योजना से 12 हजार 150 रुपयें की राशि प्रदाय कर 3 एच.पी. का विद्युत पंप उपलब्ध कराया गया एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत नि:शुल्क मक्का मिनी किट दिये गये। साथ ही उसे विद्युत विभाग द्वारा विद्युत कनेक्शन भी दिया गया। आज श्री मिशुन को भी प्रति एकड़ 14 से 15 हजार रुपये की आय प्राप्त हो रही है। इस प्रकार केकतीटोला में दर्जनों ऐसे किसान है जिन्हें शासकीय योजनाओं के संमिश्रण से क्रियान्वयन करने पर कल्पना से परे लाभ हुआ है। परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरी है और अब सभी जरूरतें आसानी से पूरी हो रही है। योजनाओं का संमिश्रण कर लागू करने से ही सरकार का सबके साथ-सबका विकास ' का उद्देश्य पूरा होता प्रतीत हो रहा है।
MadhyaBharat
13 September 2016
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