पहली पर्यटन कैबिनेट: पर्यटन नीति 2016 का अनुमोदन हुआ
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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में प्रदेश की पर्यटन केबिनेट की पहली बैठक भोपाल  में सम्पन्न हुई। केबिनेट में पर्यटन नीति 2016 का अनुमोदन किया गया। यह लागू होने की तिथि से 5 वर्ष के लिए प्रभावशील रहेगी। केबिनेट में प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र की उपलब्धियों और वन्य-प्राणी पर्यटन में भविष्य की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई।

पर्यटन केबिनेट में राजस्व मंत्री  उमाशंकर गुप्ता, लोक निर्माण मंत्री  रामपाल सिंह, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री  रूस्तम सिंह, सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री  लाल सिंह आर्य, पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री  सुरेन्द्र पटवा, आयुष, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री  हर्ष सिंह और मुख्‍य सचिव  अंटोनी डिसा सहित विभिन्‍न विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव एवं सचिव उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पर्यटन में प्रदेश को अग्रणी बनाने, संतुलित, समेकित पर्यटन द्वारा सामाजिक, आर्थिक विकास में सभी विभागों के समन्वित प्रयासों के लिए पर्यटन केबिनेट का गठन किया गया है। इससे अंतर्देशीय और विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के प्रयासों पर फोकस रहेगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन की बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए राज्य के बजट के साथ ही केन्द्र सरकार की योजनाओं, निजी निवेशकों के साथ पी.पी.टी. मोड में कार्य करने की संभावनाओं को भी तलाशा जायें। उन्होंने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के स्मारकों में राज्य पर्यटन निगम द्वारा निर्मित की जा रही जन-सुविधाओं की संरचनाओं का स्वरूप स्मारक की स्थापत्य अनुरूप हो। उन्होंने दिसम्बर माह में आयोजित किए जा रहे जल महोत्सव की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग की जरूरत बताई। साथ ही प्रमुख पर्यटक गंतव्यों के आस-पास पर्यटक आकर्षण के अन्य केन्द्र भी विकसित करने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि पचमढ़ी में प्राकृतिक सौंदर्य का समृद्ध खजाना है। आवश्यकता उसे देखने-पहचानने के नजरिये के प्रचार-प्रसार की है। उन्होंने टूरिस्ट सर्किट को जोड़ने के लिए परिवहन विभाग के साथ समन्वय कर लग्जरी बसों के संचालन के प्रयास करने को कहा।

श्री चौहान ने कहा कि राज्य से क्षतिपूरक वनरोपण प्रबंधन और नियोजन प्राधिकरण (केम्पा) को अधिक से अधिक परियोजनाएँ बनाकर भेजी जाये। उन्होंने कहा कि बफर क्षेत्र से जो परिवार अन्यत्र बसना चाहते हैं, उनको प्रोत्साहित किया जाये। यह सुनिश्चित किया जाये कि विस्थापन से पूर्व गाँवों में बुनियादी सुविधाएँ पूर्ण हो जाये। उन्होंने पलाशपानी जैसे प्राकृतिक गंतव्य के समान कृत्रिम केन्द्र वन विहार में विकसित करने की संभावनाएँ तलाशने को कहा।

कैबिनेट में पर्यटन संबंधी विभिन्न प्रावधानों पर निर्णय लिए गए। यह तय किया गया कि विभिन्न परियोजनाओं के लिये घोषित अलग-अलग प्रतिशत में पूँजी अनुदान के प्रावधान के स्थान पर सभी अनुदानों के लिये 15 प्रतिशत का प्रावधान रखा जाये। इसकी अधिकतम सीमा अलग-अलग रहें। परियोजनाओं में न्यूनतम निवेश की राशि भी निर्धारित रहें। केबिनेट में प्रस्तावित जीएसटी प्रणाली लागू होने के परिप्रेक्ष्य में पूर्व नीति में प्रावधानित लक्ज़री टैक्स एवं मनोरंजन कर में छूट के प्रावधान को समाप्‍त कर दिया गया। अब निवेशकों को पूरे प्रदेश में पर्यटन परियोजनाओं की स्थापना पर अनुदान आदि की पात्रता होगी। पूंजीगत अनुदान प्रदाय करने के लिये परियोजना पात्रता सूची में एडवेंचर टूरिज्म, वॉटर टूरिज्म, एम्यूजमेंट, एंटरटेनमेंट पार्क, वेलनेस सेंटर आदि को शामिल किया गया है। ईको एवं एडवेंचर, पर्यटन के क्षेत्र में निजी निवेशकों को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया गया। नई नीति में फिल्म, टूरिज्म, वॉटर टूरिज्म (जल पर्यटन) एवं सस्‍टेनेबल पर्यटन को भी बढ़ावा देने के स्पष्ट प्रावधान किये गये।

नई नीति में पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने की दिशा में एक और बड़ा कदम लिया गया है। अब पर्यटन विभाग की भूमि एवं परिसंपत्तियों के व्ययन से प्राप्त होने वाली राशि तथा लीज रेंट आदि को औद्योगिक केन्द्र विकास निगम के समान पर्यटन विकास निगम में पृथक मद ‘शासकीय भूमियों का निवर्तन एवं अधोसंरचना विकास’ में रखा जायेगा। पर्यटन नीति में राज्य शासन पर्यटन विभाग द्वारा जारी ‘मार्ग सुविधा केन्द्रों’ की स्थापना एवं संचालन की नीति-2016 को भी शामिल किया गया है। एकल खिड़की प्रणाली के अंतर्गत पर्यटन क्षेत्र के निवेशकों को जिला स्तर पर सुविधाएँ देने के लिये एमपी इन्वेस्टमेंट फेसिलिटेशन एक्ट- 2008 के अंतर्गत जिला स्तरीय नोडल एजेंसी जिला व्यापार उद्योग केन्द्र को नामांकित किया गया है। जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्रों को इस कार्य के लिये जरूरी संसाधन उपलब्ध करवाये जायेंगे।

अब प्रदेश में पर्यटन परियोजनाओं की स्थापना के लिये प्रदेश में विकसित किये गये अथवा किये  जाने वाले औद्योगिक क्षेत्रों/पार्कों आदि में औद्योगिक दरों पर भूमि आवंटन हो सकेगा। पर्यटन को औद्योगिक इकाइयों के समान औद्योगिक दरों पर विद्युत प्रदाय, भूमि डायवर्जन, भूमि मूल्य निर्धारण, प्राकृतिक स्त्रोतों से जल आवंटन एवं संपत्ति कर निर्धारण की सुविधा भी मिलेगी। निजी निवेशकों को पर्यटन परियोजनाओं की स्थापना के लिये भूमि की नीलामी के लिये नवीन नीति-2016 बनाकर उसे पर्यटन नीति का भाग बनाया गया है। नीति की व्याख्या अंतर्विभागीय समन्वय तथा कठिनाइयों के निराकरण के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समन्वय समिति का प्रावधान किया गया है।

केबिनेट में पर्यटन सचिव  हरिरंजन राव ने पर्यटन विकास के लिए किये जा रहे प्रयासों का प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि भोपाल में मिंटो हॉल का जीर्णोद्धार प्रारंभ हो गया है। पर्यटन नीति के अंतर्गत हनुवंतिया, माण्डू, ताजमहल पैलेस भोपाल, गोविंदगढ़ फोर्ट रीवा, माधोगढ़ फोर्ट सतना का निवर्तन किया जा रहा है। ब्रिक्स टूरिज्म समिट, जल महोत्सव और पर्यटन क्विज के सफल आयोजन किये गये हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा 13 स्मारकों में जनसुविधाओं के विकास एवं रखरखाव का कार्य निगम को दिया गया है। केन्द्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना अंतर्गत प्रदेश में वाईल्ड लाईफ सर्किट के लिये 92 करोड़ रूपये, बुद्धिस्ट सर्किट के लिये 75 करोड़ रूपये और हेरिटेज सर्किट के लिये 99.75 करोड़ रूपये की परियोजनाएँ स्वीकृत हुई हैं। इसी तरह प्रसाद योजना में भी उज्जैन का केन्द्र सरकार ने चयन किया है।

 

राज्य को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन राज्य, सर्वश्रेष्ठ पर्यटक मित्र स्मारक, सर्वश्रेष्ठ नवाचारी परियोजना, सर्वश्रेष्ठ गाइड के पुरस्कार मिले हैं। प्रदेश में सत्कार प्रशिक्षण, फूड क्राफ्ट, पर्यटन प्रबंधन आदि क्षेत्रों में मध्यप्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पिटेलिटी एंड ट्रेनिंग, फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट, स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पिटेलिटी एंड केटरिंग टेक्नालॉजी आदि का‍विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। भारत शासन, राज्य शासन एवं वित्तीय संस्थाओं से पर्यटन परियोजनाओं के लिये ऋण एवं अनुदान प्राप्त करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। निजी निवेश को आकर्षित करने, इन्वेस्टर्स फेसिलिटेशन, निवेशकों की नीति अनुसार अनुदान एवं सुविधाएँ उपलब्ध करवाने और पर्यटन परियोजनाओं के आकल्पन, क्रियान्वयन एवं मॉनीटरिंग के लिए पर्यटन विकास निगम में एक पृथक प्रभाग “पर्यटन संवर्धन एवं योजना प्रभाग” गठित होगा।

चीफ वाइल्ड लाईफ वार्डन  जितेन्द्र अग्रवाल ने बैठक में वन्य-प्राणी पर्यटन की स्थिति और भविष्य का प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि वन्य-प्राणी संरक्षित क्षेत्रों में समस्त पर्यटकों के लिए दरों की एकल व्यवस्था की गई है। बेहतर विश्राम सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। वन्य-प्राणी पर्यटन स्थलों में अनुज्ञा पत्र ऑनलाइन दिए जा रहे हैं। वाहन सफारी के साथ ही साईकिलिंग, केनोइंग, ट्रेकिंग की गतिविधियाँ भी बढ़ाई जा रही हैं। बफर क्षेत्रों के समस्त विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क प्रवेश की व्यवस्था की गई है।

ईको टूरिज्म बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी  पुष्कर सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश वन मनोरंजन एवं वन्य-प्राणी अनुभव नियम 2015 नियम के अंतर्गत मनोरंजन के 20 और वन्य-प्राणी अनुभव के 6 क्षेत्र अधिसूचित किये गये हैं। इसके साथ ही 5 मनोरंजन और 2 वन्य-प्राणी अनुभव क्षेत्र अधिसूचना की प्रक्रिया में है। उन्होंने बताया कि बोर्ड द्वारा विभिन्न कार्यों गाइड, नाविक, केपिंग और कूकिंग में क्षमता विकास के विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम में 594 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया गया है। इस वर्ष 270 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि ईको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तीन वर्ष की 202 करोड़ रूपये की कार्ययोजना बनाई गई है।