स्कूलों के माध्यम से बन रहे हैं लेमीनेटेड प्रमाण-पत्र
राज्य शासन द्वारा स्कूलों में जाति प्रमाण-पत्र बनवाकर देने के विशेष अभियान में अभी तक एक करोड़ 22 लाख 66 हजार 811 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये हैं। जाति प्रमाण-पत्र डिजिटल हस्ताक्षर के साथ डिजिटल रिपॉजिटरी में भी सुरक्षित रखे जा रहे हैं। इससे भविष्य में जब चाहे इनकी इलेक्ट्रॉनिक प्रति ऑनलाइन उपलब्ध हो सकेगी।
सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री लाल सिंह आर्य ने बताया कि अभी तक अनुसूचित-जाति के 25 लाख 6 हजार 43, अनुसूचित-जनजाति के 35 लाख 25 हजार 157, अन्य पिछड़ा वर्ग के 62 लाख 12 हजार 704, विमुक्त जाति के 21 हजार 825 और घुमक्कड़ एवं अर्द्ध-घुमक्कड़ जाति के 1082 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये हैं।
राज्य शासन ने अनुसूचित जाति-जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग को जाति प्रमाण-पत्र जारी करने में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिये प्रक्रिया को सरल किया है। जाति प्रमाण-पत्र जारी करने को लोक सेवा गारंटी में शामिल कर कम्प्यूटराइज्ड तरीके से एसडीएम के डिजिटल हस्ताक्षरित जाति प्रमाण-पत्र ऑनलाइन जारी करने की व्यवस्था की है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को जाति प्रमाण-पत्र के लिये भटकना न पड़े, इसके लिये कक्षा-एक में प्रवेश के समय ही उनके स्कूलों से ही आवेदन लेकर डिजिटल हस्ताक्षरित जाति प्रमाण-पत्र देने का विशेष अभियान एक जुलाई, 2014 से शुरू किया गया है।
सर्वाधिक 4 लाख से अधिक जाति प्रमाण-पत्र बनवाने वाले दो जिलों में इंदौर और धार शामिल है। इंदौर में 4 लाख 34 हजार 754 और धार में 4 लाख 16 हजार 654 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये।
तीन लाख से अधिक जाति प्रमाण-पत्र बनवाने वाले 10 जिलों में सागर में 3 लाख 87 हजार 258, खरगोन में 3 लाख 77 हजार 234, छतरपुर में 3 लाख 75 हजार 200, छिन्दवाड़ा में 3 लाख 71 हजार 599, शिवपुरी में 3 लाख 40 हजार 953, बालाघाट में 3 लाख 38 हजार 995, जबलपुर में 3 लाख 32 हजार 922, रीवा में 3 लाख 15 हजार 992, बैतूल में 3 लाख 2 हजार 719 और सतना में 3 लाख 2 हजार 582 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये।
दो लाख से अधिक वाले 25 जिलों में दमोह में 2 लाख 83 हजार 252, देवास में 2 लाख 76 हजार 254, राजगढ़ में 2 लाख 70 हजार 774, गुना में 2 लाख 68 हजार 892, सिंगरौली में 2 लाख 65 हजार 615, मुरैना में 2 लाख 62 हजार 791, टीकमगढ़ में 2 लाख 61 हजार 431, ग्वालियर में 2 लाख 59 हजार 618, सिवनी में 2 लाख 56 हजार 694, विदिशा में 2 लाख 55 हजार 20, खण्डवा में 2 लाख 46 हजार 510, सीहोर में 2 लाख 42 हजार 451, झाबुआ में 2 लाख 39 हजार 787, भोपाल में 2 लाख 39 हजार 106, सीधी में 2 लाख 36 हजार 375, रतलाम में 2 लाख 34 हजार 298, उज्जैन में 2 लाख 24 हजार 385, पन्ना में 2 लाख 23 हजार 352, बड़वानी में 2 लाख 20 हजार 842, मंदसौर में 2 लाख 17 हजार 22, कटनी में 2 लाख 16 हजार 786, मण्डला में 2 लाख 12 हजार 747, रायसेन में 2 लाख 7 हजार 423, होशंगाबाद में 2 लाख 4 हजार 927 और नरसिंहपुर में 2 लाख 3 हजार 573 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये।
एक लाख से अधिक 14 जिलों में शहडोल में एक लाख 78 हजार 764, भिण्ड में एक लाख 65 हजार 567, अलीराजपुर में एक लाख 60 हजार 176, अशोकनगर में एक लाख 55 हजार 690, दतिया में एक लाख 49 हजार 896, डिण्डोरी में एक लाख 49 हजार 838, शाजापुर में एक लाख 42 हजार 276, उमरिया में एक लाख 36 हजार 541, बुरहानपुर में एक लाख 32 हजार 66, नीमच में एक लाख 22 हजार 774, श्योपुर में एक लाख 20 हजार 577, अनूपपुर में एक लाख 14 हजार 97, हरदा में एक लाख 7 हजार 854 और आगर-मालवा में एक लाख 3 हजार 908 जाति प्रमाण-पत्र बने हैं।