दुर्ग में अतरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार श्रीवास्तव ने शुक्रवार को उस परिवाद को खारिज कर दिया जिसमें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री सरोज पाण्डेय के खिलाफ अपराध दर्ज करने की मांग की गई थी। परिवाद विलसन डिसुजा, अमोल मालूसरे व श्रीनिवास खेडिया ने प्रस्तुत किया था। उन्होंने परिवाद में जानकारी दी थी कि सरोज पाण्डेय ने चुनाव आयोग को भ्रामक जानकारी दी है।
न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि परिवाद निचली अदालत में निराकृत करने के बाद अपील के तहत प्रस्तुत किया गया है। निचली अदालत में प्रकरणके बारे में जो फैसला सुनाया गया है वह विधि सम्मत है। इसलिए निचली अदालत के फैसले को बहाल रखा जाता है। खास बात यह है कि इस प्रकरण में परिवादियों ने सबसे पहले न्याायाधीश पंकज शर्मा के न्यायाल में परिवाद प्रस्तुत किया था।
परिवाद पत्र को आधार हीन बताते हुए न्यायाधीश ने खारिज कर दिया था। साथ ही कहा था कि चुनाव संबंधि शिकायत के लिए अलग से अधिनियम है। परिवादी को अधिनियम के तहत परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए। न्यायाधीश के इस फैसले को चुनौती देते हुए परिवादियों ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया था। परिवाद को सुनवाई के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में स्थानतरित कर दिया था।
परिवाद पत्र नवंबर 2014 में न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। इसके बाद से इस मामले में लगातार गवाही सुनवाईचली। परिवादियों ने अपना पक्ष स्वयं न्यायालय में रखते थे। साथ ही बचाव पक्ष के तर्कप्रस्तुत करने के बाद परिवादी न्यायालय से समय लेकर लिखित में तर्कप्रस्तुत करते थे।
परिवाद में जानकारी दी गईथी कि सरोज पाण्डेय ने दुर्गनगर पालिक निगम चुनाव के महापौर पद और वैशली नगर विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे भरे नामकंन पत्र में भ्रामक जानकारी दी है। निवास पता की जानकारी गलत दी गईहै।सरोज पाण्डेय के बैक एकाउंट व शैक्षणिक योग्यता के लिए भरे फार्ममें पता अलग अलग है। यह धारा 193 व धारा 198 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।इस धारा के तहत तीन वर्षकारावास का प्रवधान है।
परिवादी विलसन डिसूजा ने कहा कि हमारी न्याय पालिका पर आस्था है। इस प्रकरण को हम उच्च न्यायालय में लेकर जाएगें। अगर वहां भी परिवाद खारिज होता है तो आगे सुप्रीम कोर्टमें परिवाद प्रस्तुत करेंगे।