सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक
पीएससी 2003 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के फैसले के लिखाफ सुप्रीम कोर्ट में राज्य के 40 से अधिक राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों ने याचिका लगाई थी। इसके पहले चीफ जस्टिस की एकलपीठ ने रिस्केलिंग कर फिर से मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था। पीएससी 2003 में स्केलिंग और मानव विज्ञान पेपर के मूल्यांकन में गड़बड़ी को इसका आधार माना गया। पीएससी 2003 में 147 अधिकारियों का चयन हुआ था।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2003 में राज्य प्रशासनिक सेवा के डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी समेत अन्य पदों के लिए परीक्षा लेकर चयन सूची जारी की थी।
इसके खिलाफ परीक्षा में शामिल वर्षा डोंगरे, रविंद्र सिंह और चमन सिन्हा ने सूचना के अधिकार के तहत स्केलिंग, मैरिट सूची और मानव विज्ञान विषय की उत्तर पुस्तिका की जानकारी ली। इसमें गलत स्केलिंग कर नीचे के क्रम के उम्मीदवार को ऊपर करने, मानव विज्ञान विषय के दो पेपर को अलग-अलग नियम से जांचकर कुछ लोगों को अधिक नंबर देने का खुलासा हुआ। मामले की एंटी करप्शन ब्यूरो से शिकायत की गई।
इसके बावजूद कार्रवाई नहीं होने पर 2006 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। 10 वर्ष से हाईकोर्ट में लंबित इस याचिका को जून के अंतिम सप्ताह में सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता की एकलपीठ में रखा गया। जिसमें चीफ जस्टिस ने अपना निर्णय पारित किया।
कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए पीएससी को मानव विज्ञान के दोनों पेपर के एक नियम बनाकर कोर्ट की निगरानी में जांच करने, इसके आधार पर रिस्केलिंग कर नई मैरिट सूची तैयार कर अभ्यार्थियों का साक्षात्कार लेकर चयन सूची जारी करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही चयनित होने वाले नए उम्मीदवार को 2003 से वरिष्ठता का लाभ देते और अपात्र होने वाले चयनित उम्मीदवार को बाहर करने का निर्देश दिया था।