बीजेपी में बवाल नंदकुमार से नहीं संभल रहा संगठन
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भाजपा आलाकमान द्वारा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ाने के बावजूद जिस तरह से विधायक और पदाधिकारी अपनी ही पार्टी और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं, उससे भाजपा की अंदरूनी कलह हर दिन सुर्खियां बन रही है। पार्टी के तमाम अनुशासन पाठ और नोटिस देने के बावजूद इन नेताओं के विवादित बयानों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इससे पार्टी के ही रणनीतिकार कहने लगे हैं कि भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान की संगठन पर पकड़ ढीली हो रही है। वे संगठन नहीं संभाल पा रहे हैं।

हाल ही में बालाघाट जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक सुरेश यादव की पुलिस द्वारा की गई बर्बर पिटाई के मामले में पार्टी विधायक जालम सिंह पटेल ने घटना के लिए प्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन को जिम्मेदार ठहराते हुए उनसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग की। इसके पहले विधायक संजय शर्मा ने आरोप लगाया था कि संघ प्रचारक की पिटाई मंत्री गौरीशंकर बिसेन के इशारे पर की गई है। हालांकि पार्टी ने विधायक संजय शर्मा और विधायक जालम सिंह को नोटिस देकर स्पीष्टकरण मांगा है। 

प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भले ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चेहरे को सामने रखकर अनुशासन का पाठ जिम्मेदार नेताओं को पढ़ाया गया, लेकिन अनुशासन की दुहाई देकर विचारधारा और सिद्धांत की राजनीति करने वाली भाजपा की गाइडलाइन को पार्टी के अंदर से चुनौती मिल रही है। हालांकि बालाघाट में संघ प्रचारक के साथ हुई मारपीट को लेकर सरकार की ओर से भले ही कार्यवाही के साथ सफाई दी जा चुकी हो, लेकिन विवादित बयान सामने आने का सिलसिला थम नहीं रहा है। 

कैलाश ने किया ट्वीट

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट के जरिए प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के पहले बालाघाट में संघ पदाधिकारी की पिटाई के मामले में जो सवाल खड़े किए उस पर गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह की सफाई देना पड़ी है। इसकेे पहले भी विजयवर्गीय नंदू भैय्या की क्षमताओं पर सवाल उठा चुके हैं।

भदौरिया के सरकार विरोधी बोल

ग्वालियर प्रदेश कार्यसमिति के ठीक पहले भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ संयोजक राजेश भदौरिया भी व्यापमं मामले में सरकार की भूमिका पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि व्यापमं मामले में सरकार माफी मांगे तथा दलित को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जाए। हालांकि इस बयान के तत्काल के बाद भदौरिया को पार्टी से निलंबित कर दिया गया है। 

मेंदोला व मीरचंदानी ने भी उठाए थे सवाल

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं वरिष्ठ पदाधिकारी प्रकाशचंदानी ने फेसबुक पर यह विवादित बयान देकर बवाल मचा दिया था कि, अब पार्टी में पुराने और कर्मठ कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं दी जाती है। पार्टी में उन्हीं नेताओं को तवज्जो मिलती है जो चापलूस हैं। तथा जिनका पार्टी में कोई वजूद नहीं है। इसी तरह पिछले दिनों इंदौर के भाजपा रमेश मेंदोला की चिट्ठी भी सुर्खियों में रही। जिसमें उन्होंनेे एक अधिकारी को थप्पड़ मारे जाने के मामले में भाजपा के ही एक पार्षद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का यह कहकर विरोध किया है कि इससे संदेश यह जाएगा कि बीजेपी में गुंडागर्दी को बढ़ावा मिल रहा है। विधायक मेंदोला ने भी सरकार और नौकरशाही की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए थे। 

सीख और नोटिस बेअसर

ग्वालियर में भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा विनय सहस्त्रबुद्ध,  भाजपा संगठन महामंत्री सुहास भगत और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने विवादित बोल बोलने वाले नेताओं और पदाधिकारियों को अनुशासन में रहने और सोच-विचारकर मुंह खोलने की नसीहत दी थी। लेकिन ताजे बयानवार से साफ है कि पार्टी के नेताओं पर इस नसीहत का कोई असर नहीं हुआ है।