कोरबा /दीपावली के लिफाफे पर निगाह
कोरबा /दीपावली के लिफाफे पर निगाह

 

राजेंद्र जायसवाल 

आने वाले त्यौहार दीपावली पर भेंट स्वरूप और शिष्टाचार के तौर पर दिये जाने वाले लिफाफों पर इस बार सरकार की सीधी नजर रहने और खुफिया एजेंसियों की पैनी निगाह की खबर जब से आम हुई, लिफाफा देने और लेने वालों के चेहरे पर शिकन उभरने लगी है। कहा तो जा रहा है कि देने वालों की सूची तैयार की गई है तो लेने वालों के भी होश फाख्ता होने लगे हैं कि कहीं कोई पकड़ में आ गया तो उसका नाम न उजागर हो जाए। इस लिहाज से लिफाफा का वैकल्पिक रास्ता तैयार किया जा रहा है।

चाइनीज सामानों से मुसीबत

सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बदले हालातों और चाईना की पाकिस्तान को मदद ने त्यौहार के ऐन वक्त व्यापारियों की मुसीबत बढ़ाई है। रावण जलने से पहले चाइनीज सामानों का दहन तो किया गया अब चाईना के लाईटों की शामत आई है। एक आदेश पर सक्रिय हुए अमले ने पंडालों और दुकानों में जिस तरह से दबिश देना शुरू कर दिया है अब दुकानदार और पूजा समितियों के लोग इसे अपने लिए सर्जिकल स्ट्राइक बताकर चटखारे ले रहे हैं।

डांडिया के आगे फीका उत्सव

दुर्गा पूजा पंडालों में मच रहे गरबा-डांडिया की धूम के आगे दुर्गाउत्सव एक तरह से फीका-फीका है। माता के सामने कुछ मिनट की अर्जी और फरियाद करने के बाद घंटों तक डांडिया स्थल के इर्द-गिर्द घूम-घूमकर मेला का आनंद लेने वाले भक्तों की तादाद ज्यादा रहती है। 

बुराई पर अच्छाई की जीत कब

प्रतिवर्ष बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार मनाने और रावण दहन के लिए जिस तरह से चंदा की उगाही कर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और कई लोग अपवाद स्वरूप सहयोग राशि का स्व मनोरंजन में उपयोग भी कर लेते हैं, उससे जिले के साथ-साथ सरकारी महकमे में भी चर्चा व्याप्त है कि क्या इस प्रकार की बुराई पर भी कभी अच्छाई की जीत होगी? ताकि सहयोग की आड़ में बुराई हरदम के लिए खत्म हो जाये।

13 का अंक शुभ या असुभ् ?

कटघोरा में विगत दो वर्षों में 12 स्थायी एवं प्रभारी नगर पालिका अधिकारियों की पदस्थापना के बाद पुन: एकबार राज्य शासन द्वारा 13वें सीएमओ के रूप में पदस्थापना की गई है। नये साहब 20 दिन बाद भी पदभार ग्रहण करने दफ्तर नहीं पहुंचे हैं जिसके कारण लोगों के जेहन में विचार आने लगा है कि क्या 13 का अंक नगर पालिका के लिए शुभ होगा या अशुभ ?

 रावण के नाम झूठ ही झूठ 

प्रकांड विद्वान रावण के नाम पर झूठ ही झूठ फैलाकर भीड़ बटोरने का काम किया जा रहा है, लाल मैदान सहित अनेक स्थानों पर विशालकाय रावण दहाड़ेगा, आग उगलेगा, तहलार चलाएगा, आंख दिखाएगा, दायें-बांये घूमेगा कहकर इतना प्रचार करते हैं कि लोग यहां अद्भुत रावण पुतले को देखने उमड़ जाते हैं। उन्हें मायूसी हाथ लगती है और ऐलान करने वालों को कोसते फिरते हैं, कि रावण के नाम पर झूठ क्यों बोला?

अफवाह यह भी

अब यह अफवाह कौन फैला रहा है कि हुंकरा के शंकर रजक क्षेत्र के नवरात्रि व दशहरा आयोजनों में 200 से अधिक जगहों पर अतिथि बनाने का रिकार्ड बनाने में जुटे हैं और इसका शुल्क देकर अतिथि बनने से कोई वास्ता नहीं है, ऐसा समर्थक दावा कर रहे हैं। 

एक सवाल आप से ❓

बालको में वह कौन श्रमिक नेता है जिसको प्रबंधन अपने लिए एक खलनायक की भूमिका में देख रहा है और उसे दूसरे संगठनों व कर्मचारियों ने दूर-दूर रखने की तमाम कोशिशें करने पर तत्पर है? 

अंत में❗

बालको में पुराने प्लांट का अस्तित्व और नियमित कर्मचारियों की रोजी-रोटी बचाने का संघर्ष जोर-शोर से करने की बात तो कही जाती है, लेकिन धरातल पर फटाका फुस्स हो रहा है। चर्चा सरगर्म है कि वर्षों पहले जिन पर कर्मचारियों के हितों का दारोमदार था, उन्होंने तरह-तरह के समझौते में प्रबंधन की चलने दी और अपने पर खुद ही कतरवा डाले। अब इन्हीं परों के सहारे बालको मनमानी की उड़ान भर रहा है, लेकिन अब पछताने से क्या होगा। जो पहले बबूल बो दिया तो आम की उम्मीद करना बेमानी है।