प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में देश में आम नागरिकों के व्यापक हित से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश में बेहतर काम हुए हैं। कई योजनाओं में प्रदेश किसी में अव्वल तो किसी में प्रथम दस में है। हाल ही में अमृत योजना के अमल में बेहतर परफार्मेंस पर अवार्ड भी मिला है। यह जानकारी नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने दी।
स्वच्छ भारत मिशन, जो प्रधानमंत्री की फ्लेगशिप स्कीम में शामिल है, में पूर्ण व्यक्तिगत शौचालयों की स्वीकृति में प्रदेश देश में पहला है। पूर्ण कार्यों की जानकारी फोटो सहित अपलोड करने में देश में तीसरे नम्बर पर है। इस मिशन में प्रदेश को वर्ष 2019 तक 7 लाख 31 हजार शौचालय बनाना है। इसमें से 4 लाख 60 हजार शौचालय की स्वीकृति प्राप्त हो गई है। इसमें से लगभग ढाई लाख बन चुके हैं। लक्ष्य है कि दिसम्बर 2016 तक 68 नगरीय निकाय को ओ.डी.एफ. मुक्त घोषित कर दिया जाए।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के मामले में 378 नगरीय निकायों में घरों से कचरा इकटठा करने से वैज्ञानिक तरीके से उसके निपटान के 26 समूह की कार्य योजना तैयार कर ली गई है। इसमें 25 नगरीय निकाय के तीन समूह में पी.पी.पी. के आधार पर काम भी शुरू हो चुका है। इसमें एक समूह में बिजली उत्पादन और 2 समूह में जैविक खाद का उत्पादन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त 23 समूह में मार्च 2016-17 में कार्य शुरू होगा। इसमें 4 समूह में बिजली उत्पादन और 19 समूह में जैविक खाद का उत्पादन किया जायेगा।
अमृत योजना
अमृत योजना में एक लाख से अधिक आबादी के 34 शहर का अधोसंरचना विकास किया जायेगा। इसके लिए भारत सरकार ने नवम्बर 2015 में 8,279 करोड़ से अधिक की समग्र योजना स्वीकृत की है। योजना में मध्यप्रदेश कार्य स्वीकृति और संपादन में पूरे देश में पहले स्थान पर है। योजना के प्रथम चरण में 2243 करोड़ 30 लाख रुपये लागत की 31 योजना स्वीकृत हैं। इसमें 20 योजना, जिनकी लागत 1435 करोड़ 82 लाख है, में काम शुरू हो चुका है। ग्यारह योजना में निविदा प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जिनकी लागत 1425 करोड़ 15 लाख है। इस योजना में 2 घटक है पहला घटक जल आवर्धन का है। इसमें 818 करोड़ की 17 योजना है जिसमें से 560 करोड़ 24 लाख की 14 योजना में काम शुरू हो चुका है। दूसरा घटक सीवेज प्रबंधन का है। इसमें 1421 करोड़ 88 लाख की 13 योजना शामिल है। छै योजना, जो 875 करोड़ 58 हजार की है, पर काम शुरू हो चुका है। योजना में मध्यप्रदेश को भारत सरकार ने 33 करोड़ 45 लाख का प्रोत्साहन अनुदान अवार्ड दिया है। जिसे 30 सितम्बर को नई दिल्ली में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री वेंकैया नायडू से ग्रहण किया।
प्रधानमंत्री आवास योजना
वर्ष 2015 में सबको आवास उपलब्ध करवाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की गई। इसमें प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में 5 लाख आवास बनाए जाने का लक्ष्य है। भारत सरकार ने प्रथम चरण में 60 हजार आवास बनाने की योजना स्वीकृत कर दी है। इसके साथ ही वर्ष 2022 तक 53 शहर में 8 लाख 80 हजार आवास निर्माण की कार्य-योजना को और स्वीकृत किया गया है। योजना स्वीकृति में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर रहा है। योजना में 22 शहर की 24 परियोजना पर काम शुरू हो चुका है। निविदा प्रक्रिया में 17 शहर की 8 परियोजना हैं। योजना में मध्यप्रदेश देश में केन्द्रांश प्राप्त करने वाला पाँचवां राज्य है।
स्मार्ट सिटी
जून 2015 में स्मार्ट सिटी योजना भारत सरकार ने लागू की। इस योजना के प्रथम चरण में प्रदेश के 3 शहर भोपाल, इंदौर और जबलपुर का चयन किया गया, जो देश में सर्वाधिक थे। इसी तरह बाद में दो और शहर ग्वालियर और उज्जैन को भी इसमें शामिल किया गया। सात शहर के प्रस्ताव में से पाँच को भारत सरकार से स्वीकृति मिली है। शेष सागर और सतना को स्वीकृति प्राप्त होने की प्रक्रिया जारी है। प्रथम चरण में शामिल स्मार्ट शहर में योजना के क्रियान्वयन के लिए एस.पी.व्ही. गठित की जा चुकी है। भोपाल शहर के लिए 3437 करोड़ की परियोजना बनाई गई। इसमें 10 हजार462 करोड़ की 11 परियोजना पर काम शुरू हो चुका है। इंदौर शहर के लिए 5099 करोड़ की परियोजना बनाई गई, जिसमें से 115 करोड़ की 10 परियोजना पर काम शुरू हो चुका है। जबलपुर शहर के लिए 3,998 करोड़ की परियोजना में से 3 परियोजना, जिनकी लागत 13 करोड़ 20 लाख है, पर काम शुरू हो चुका है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन
शहरी क्षेत्रों में गरीबी समाप्त करने के लिए आजीविका के लिए कौशल प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश के 55 शहर में यह मिशन शुरू किया गया है। इसमें प्रशिक्षण देने के बाद स्व-रोजगार स्थापित करने में सरकार मदद करेगी। योजना में पिछले वित्त वर्ष में कौशल प्रशिक्षण के जरिये 40 हजार के लक्ष्य से ज्यादा 42 हजार 597 हितग्राही प्रशिक्षित किये गये। इस वर्ष 40 हजार के लक्ष्य विरुद्ध अभी तक 36 हजार 444 हितग्राही प्रशिक्षित हो चुके हैं। मध्यप्रदेश इस मामले में देश में पहले स्थान पर है। मिशन में पिछले वित्त वर्ष में 13 हजार के लक्ष्य के विरूद्ध 14 हजार 327 हितग्राही लाभान्वित हुए है।
इसके अलावा प्रदेश का भारत सरकार की अन्य योजनाओं में भी बेहतर परफार्मेंस रहा है। सामाजिक एकजुटता एवं संस्थागत विकास में पिछले वित्त वर्ष में 3050 के लक्ष्य के विरुद्ध 3870 हितग्राही लाभान्वित हुए हैं। इस वर्ष अब तक 981 हितग्राही लाभ पा चुके हैं। योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है।
शहरी आवासहीनों की आश्रय योजना के क्रियान्वयन में भी प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। शहरी पथ विक्रेताओं की सहायता योजना में प्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है। योजना में अब तक 68 हजार 777 के लक्ष्य के विरुद्ध 63 हजार 683 हितग्राही व्यवस्थापित किए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में देश में आम नागरिकों के व्यापक हित से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश में बेहतर काम हुए हैं। कई योजनाओं में प्रदेश किसी में अव्वल तो किसी में प्रथम दस में है। हाल ही में अमृत योजना के अमल में बेहतर परफार्मेंस पर अवार्ड भी मिला है। यह जानकारी नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने दी।
स्वच्छ भारत मिशन, जो प्रधानमंत्री की फ्लेगशिप स्कीम में शामिल है, में पूर्ण व्यक्तिगत शौचालयों की स्वीकृति में प्रदेश देश में पहला है। पूर्ण कार्यों की जानकारी फोटो सहित अपलोड करने में देश में तीसरे नम्बर पर है। इस मिशन में प्रदेश को वर्ष 2019 तक 7 लाख 31 हजार शौचालय बनाना है। इसमें से 4 लाख 60 हजार शौचालय की स्वीकृति प्राप्त हो गई है। इसमें से लगभग ढाई लाख बन चुके हैं। लक्ष्य है कि दिसम्बर 2016 तक 68 नगरीय निकाय को ओ.डी.एफ. मुक्त घोषित कर दिया जाए।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के मामले में 378 नगरीय निकायों में घरों से कचरा इकटठा करने से वैज्ञानिक तरीके से उसके निपटान के 26 समूह की कार्य योजना तैयार कर ली गई है। इसमें 25 नगरीय निकाय के तीन समूह में पी.पी.पी. के आधार पर काम भी शुरू हो चुका है। इसमें एक समूह में बिजली उत्पादन और 2 समूह में जैविक खाद का उत्पादन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त 23 समूह में मार्च 2016-17 में कार्य शुरू होगा। इसमें 4 समूह में बिजली उत्पादन और 19 समूह में जैविक खाद का उत्पादन किया जायेगा।
अमृत योजना
अमृत योजना में एक लाख से अधिक आबादी के 34 शहर का अधोसंरचना विकास किया जायेगा। इसके लिए भारत सरकार ने नवम्बर 2015 में 8,279 करोड़ से अधिक की समग्र योजना स्वीकृत की है। योजना में मध्यप्रदेश कार्य स्वीकृति और संपादन में पूरे देश में पहले स्थान पर है। योजना के प्रथम चरण में 2243 करोड़ 30 लाख रुपये लागत की 31 योजना स्वीकृत हैं। इसमें 20 योजना, जिनकी लागत 1435 करोड़ 82 लाख है, में काम शुरू हो चुका है। ग्यारह योजना में निविदा प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जिनकी लागत 1425 करोड़ 15 लाख है। इस योजना में 2 घटक है पहला घटक जल आवर्धन का है। इसमें 818 करोड़ की 17 योजना है जिसमें से 560 करोड़ 24 लाख की 14 योजना में काम शुरू हो चुका है। दूसरा घटक सीवेज प्रबंधन का है। इसमें 1421 करोड़ 88 लाख की 13 योजना शामिल है। छै योजना, जो 875 करोड़ 58 हजार की है, पर काम शुरू हो चुका है। योजना में मध्यप्रदेश को भारत सरकार ने 33 करोड़ 45 लाख का प्रोत्साहन अनुदान अवार्ड दिया है। जिसे 30 सितम्बर को नई दिल्ली में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री वेंकैया नायडू से ग्रहण किया।
प्रधानमंत्री आवास योजना
वर्ष 2015 में सबको आवास उपलब्ध करवाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की गई। इसमें प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में 5 लाख आवास बनाए जाने का लक्ष्य है। भारत सरकार ने प्रथम चरण में 60 हजार आवास बनाने की योजना स्वीकृत कर दी है। इसके साथ ही वर्ष 2022 तक 53 शहर में 8 लाख 80 हजार आवास निर्माण की कार्य-योजना को और स्वीकृत किया गया है। योजना स्वीकृति में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर रहा है। योजना में 22 शहर की 24 परियोजना पर काम शुरू हो चुका है। निविदा प्रक्रिया में 17 शहर की 8 परियोजना हैं। योजना में मध्यप्रदेश देश में केन्द्रांश प्राप्त करने वाला पाँचवां राज्य है।
स्मार्ट सिटी
जून 2015 में स्मार्ट सिटी योजना भारत सरकार ने लागू की। इस योजना के प्रथम चरण में प्रदेश के 3 शहर भोपाल, इंदौर और जबलपुर का चयन किया गया, जो देश में सर्वाधिक थे। इसी तरह बाद में दो और शहर ग्वालियर और उज्जैन को भी इसमें शामिल किया गया। सात शहर के प्रस्ताव में से पाँच को भारत सरकार से स्वीकृति मिली है। शेष सागर और सतना को स्वीकृति प्राप्त होने की प्रक्रिया जारी है। प्रथम चरण में शामिल स्मार्ट शहर में योजना के क्रियान्वयन के लिए एस.पी.व्ही. गठित की जा चुकी है। भोपाल शहर के लिए 3437 करोड़ की परियोजना बनाई गई। इसमें 10 हजार462 करोड़ की 11 परियोजना पर काम शुरू हो चुका है। इंदौर शहर के लिए 5099 करोड़ की परियोजना बनाई गई, जिसमें से 115 करोड़ की 10 परियोजना पर काम शुरू हो चुका है। जबलपुर शहर के लिए 3,998 करोड़ की परियोजना में से 3 परियोजना, जिनकी लागत 13 करोड़ 20 लाख है, पर काम शुरू हो चुका है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन
शहरी क्षेत्रों में गरीबी समाप्त करने के लिए आजीविका के लिए कौशल प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश के 55 शहर में यह मिशन शुरू किया गया है। इसमें प्रशिक्षण देने के बाद स्व-रोजगार स्थापित करने में सरकार मदद करेगी। योजना में पिछले वित्त वर्ष में कौशल प्रशिक्षण के जरिये 40 हजार के लक्ष्य से ज्यादा 42 हजार 597 हितग्राही प्रशिक्षित किये गये। इस वर्ष 40 हजार के लक्ष्य विरुद्ध अभी तक 36 हजार 444 हितग्राही प्रशिक्षित हो चुके हैं। मध्यप्रदेश इस मामले में देश में पहले स्थान पर है। मिशन में पिछले वित्त वर्ष में 13 हजार के लक्ष्य के विरूद्ध 14 हजार 327 हितग्राही लाभान्वित हुए है।
इसके अलावा प्रदेश का भारत सरकार की अन्य योजनाओं में भी बेहतर परफार्मेंस रहा है। सामाजिक एकजुटता एवं संस्थागत विकास में पिछले वित्त वर्ष में 3050 के लक्ष्य के विरुद्ध 3870 हितग्राही लाभान्वित हुए हैं। इस वर्ष अब तक 981 हितग्राही लाभ पा चुके हैं। योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है।
शहरी आवासहीनों की आश्रय योजना के क्रियान्वयन में भी प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। शहरी पथ विक्रेताओं की सहायता योजना में प्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है। योजना में अब तक 68 हजार 777 के लक्ष्य के विरुद्ध 63 हजार 683 हितग्राही व्यवस्थापित किए गए हैं।