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भारत के विमानन क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाएं: केन्द्रीय मंत्री सिंधिया
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ग्वालियर। केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि विमानन क्षेत्र में भारत की क्षमताओं व अपार संभावनाओं का लाभ उठाकर विश्व की एयरोस्पेस कंपनियाँ निवेश के लिये आगे आएँ। भारत में किया गया निवेश कंपनियों के लिये हर तरह से फायदेमंद होगा।

सिंधिया शुक्रवार को ग्वालियर में विमानन उद्योग में संभावना एवं निवेश प्रोत्साहन के उद्देश्य से शुरू हुई दो दिवसीय “बी-20 इंटरनेशनल एयरोस्पेस कॉन्फ्रेंस” के उद्घाटन सत्र में मौजूद देश-विदेश से आए विमानन क्षेत्र के प्रतिनिधिगण, उद्योगपति व निवेशकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर एयरोस्पेस के उत्पादन व उद्योग संभावनाओं को लेकर “मेन इन एमपी” का आह्वान भी किया। साथ ही उड्डयन के क्षेत्र में ग्वालियर के स्वर्णिम इतिहास का जिक्र भी किया।

दो दिवसीय बी-20 इंटरनेशनल एयरोस्पेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा नागर विमानन मंत्रालय की सहभागिता से यहां सिटी सेंटर स्थित होटल रेडिसन में हो रहा है। कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में प्रदेश के औद्योगिक नीति व निवेश संबंधी विभाग के मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भी मौजूद थे। कॉन्फ्रेंस में लगभग तीन दर्जन उद्योगपति, नीति विशेषज्ञ, जी-20 देशों के प्रतिनिधिगणों सहित लगभग 250 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। जिनमें जीई एयरोस्पेस, हॉल, एयर बस, जीएमआर, एआईईसीएल, रसेल टैक्सास, लोक्हीड एण्ड व्हीटनी एवं हंच मोबिलिटी जैसी विमानन क्षेत्र की जानी-मानी कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।

केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने कॉन्फ्रेंस में निवेशकों का आह्वान करते हुए कहा कि भारत में तेजी के साथ विमानन सेवाओं का विस्तार हो रहा है। इसलिए वे बेझिझक निवेश करें। उन्होंने कहा कि पिछले 9 साल में विमानन के क्षेत्र में भारत में अभूतपूर्व बदलाव हुए हैं। पहले जहाँ देश में मात्र 74 एयरपोर्ट थे, जो अब बढ़ कर 148 हो गए हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अगले दो-तीन साल में भारत में एयरपोर्ट का आकड़ा 200 तक पहुंच जायेगा।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में देश में 200 हवाई जहाज थे, जो अब बढ़ कर 700 हो गए हैं। बिहार के दरभंगा जैसी जगहों पर हवाई अड्डों का निर्माण हो रहा है। उन्होंने रेलवे और हवाई सेवाओं की तुलना करते हुए जानकारी दी कि भारत के भारतीय रेलवे के एसी-1 और सेकेण्ड एसी क्लास में लगभग साढ़े 18 करोड़ लोग हर साल यात्रा कर रहे हैं, वहीं हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या साढ़े 14 करोड़ से अधिक है। उन्होंने आशा जताई कि वर्ष 2030-35 तक रेलवे के एसी-1 और सेकेण्ड एसी की तुलना में विमानों से ज्यादा यात्री सफर करने लगेंगे। रेलवे का कम्पाउण्ड एनूयल ग्रोथ रेट 5 प्रतिशत और विमानन क्षेत्र का यह प्रतिशत 10 के लगभग है।

सिंधिया ने कॉन्फ्रेंस में मौजूद निवेशकों को जानकारी दी कि भारत ने ड्रोन से लेकर पीएलआई स्कीम तक और डिजी यात्रा सुविधा से लेकर एमआरओ ईको सिस्टम के निर्माण तक हर क्षेत्र में सफलता हासिल की है।

कांफ्रेंस के पहले दिन उड्डयन क्षेत्र में नवाचार, सशक्त उत्पादन एवं इस क्षेत्र में महिलाओं की प्रतिभागिता एवं एयरोस्पेस में आधुनिक तकनीकों की आवश्यकता पर परिचर्चा हुई। साथ ही पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न सत्र आयोजित किए गए।

भारत अब चाँद पर

सिंधिया ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने मेड इन इंडिया का नारा दिया है। उनकी मंशा है कि मेन इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड हो। इसी भाव के साथ देश में परफोर्म, रिफॉर्म एवं ट्रांस फोर्म के सिद्धांत पर देश का विमानन क्षेत्र आगे बढ़ रहा है। देश में जहां विकास के नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं वहीं हम अब फाइटर जैट बनाने में भी सक्षम हो रहे हैं। भारत बिना किसी की मदद के अर्थात आत्मनिर्भरता के बल पर चाँद पर भी अपना झंडा लहरा रहा है।

ग्वालियर के उड्डयन क्षेत्र के स्वर्णिम इतिहास पर प्रकाश डाला

 

उन्होंने ग्वालियर के स्वर्णिम इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ग्वालियर में 1937 में फ़्लाइग बोट सर्विस हुआ करती थी, जो इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच उड़ती थी। यह माधव सागर लेक में लैंड होती थी। आजादी से पहले भारत के कई शहरों के लिए ग्वालियर से सीधी उड़ान उपलब्ध थी। सन 1941 में बैंगलोर-ग्वालियर-दिल्ली और बॉम्बे-ग्वालियर-दिल्ली की उड़ान सेवा संचालित थी। ग्वालियर की भूतल परिवहन सेवायें भी सर्वोत्कृष्ट थीं। आजादी के पहले से नॉर्थ इंडियन ट्रांसपोर्ट कंपनी काम करती थी, जो ग्वालियर को मध्य प्रदेश व देश के तमाम शहरों तक परिवहन सेवाएं उपलब्ध कराती थीं।

भारत के इतिहास में सबसे कम समय में पूरा होगा ग्वालियर एयरपोर्ट

उन्होंने कहा कि ग्वालियर में बन रहे अत्याधुनिक टर्मिनल की आधारशिला पिछले साल गृह मंत्री अमित शाह द्वारा रखी गई थी। लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से करीब ढाई लाख वर्गफुट में निर्माणाधीन भारत के इतिहास में सबसे कम समय में पूरा होने जा रहा है।

MadhyaBharat 1 September 2023

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