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राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासत जारी
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासत जारी

 

कांग्रेस के आरोप तो वहीं बीजेपी का जीत का दावा 

अंतरात्मा की आवाज ये वो शब्द थे जिसने राष्ट्रपति चुनाव के मायने ही बदलकर रख दिए थे। राष्ट्रपति चुनाव में  सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार को इन शब्दों से हार का सामना करना पड़ा था। जी हाँ हम बात कर रहे हैं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शब्दों की।  जिसमे उन्होंने कहा था की वोट डालते समय जनप्रतिनधि अपने अंतरात्मा की आवाज सुने।  मतदान हुआ और इन शब्दों ने इतिहास पलट कर रख दिया  तारीख 3 मई 1969 . देश के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन का अचानक निधन हो गया। तत्कालीन उप-राष्ट्रपति वराहगिरी वेंकट गिरी  को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया। उस समय देश की प्रधानमंत्री थी इंदिरा गाँधी।  यह वह समय था जब इंदिरा गांधी और सत्ता धारी पार्टी के बीच टकराव चरम पर  था। कांग्रेस पार्टी यानी सत्ताधारी पार्टी के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी थे नीलम संजीव रेड्डी और संभवतः अब तक यही चलता आया था की जो पार्टी केंद्र की सत्ता में होती थी उसी का पार्टी का राष्ट्रपति बनता था। और उस समय कांग्रेस पार्टी का बहुमत भी था। लेकिन मजेदार बात इसमें ये रही की सत्ताधारी पार्टी की प्रधानमंत्री को नीलम संजीवा रेड्डी नहीं राष्ट्रपति के तौर पर वीवी गिरी चाहिए थे    कहते हैं इंदिरा गांधी के कहने पर वीवी गिरी ने राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पर्चा भरा।  उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोकी।  कांग्रेस पार्टी के अंदर तब सिंडिकेट का वर्चस्व चलता था।  भी बताई जा रही है कि  पार्टी  ने इंदिरा को भरोसे में लिए बिना नीलम संजीवा रेड्डी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए घोषित कर दिया  था। जिससे इंदिरा नाराज थी। जानकार तो ये भी बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने जो सोचकर इंदिरा गांधी को पीएम बनाया था वो नहीं हो रहा था। पार्टी के बड़े नेता इंदिरा को गूंगी गुड़िया समझ रहे थे। और जब इंदिरा पीएम बानी और जिस तरीके से उन्होंने निर्णय लेने शुरू किये। उससे पार्टी को ये समझ में आ गया था कि ये गूंगी गुड़िया नहीं है। और इनको रोक पाना मुश्किल है। और हुआ भी वही।  कहने का मतलब यह कि नीलम संजीवा रेड्डी कांग्रेस के ऑफिशियल कैंडिडेट  बने।  जिनका प्रचार कर रहे थे तब के दिग्गज के. कामराज, निजलिंगप्पा और अतुल्य घोष जैसे नेता।  सिंडिकेट का यह फैसला इंदिरा को पसंद नहीं था। आखिर में उन्होंने  मतदान के ठीक एक दिन पहले सभी कांग्रेसी सांसदों और विधायकों से अपनी अंतरआत्मा की आवाज पर वोट डालने की अपील कर दी। और इसी अपील ने रचा एक नया इतिहास। देश की राजनीती में पहली बार खेल बदला था।  कांटे के मुकाबले में नीलम संजीव रेड्डी बहुत कम अंतर से चुनाव हार गए। और वीवी गिरी 24 अगस्त 1969 को देश के चौथे राष्ट्रपति बन गए। अब ये पूरी कहानी इसलिए की हाल ही में यूपीए के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा भी उसी अंदाज में नजर आये। हालांकि यशवंत सिन्हा पहले बीजेपी में हुआ करते थे। बीजेपी कार्यकाल में वो दो बार वित्त मंत्री रह चुके हैं।  इसके बाद टिकिट न मिलने से नाराज होकर उन्होंने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था। और अब राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी है। यशवंत सिंह भोपाल में कांग्रेस के विधायकों से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर विधायक खरीदने समेत  कई आरोप लगाए। यशवंत सिन्हा ने कहा महाराष्ट्र , मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में विधायक खरीदे गए। राष्ट्रपति चुनाव के लिए इस तरह करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।  यशवंत सिन्हा ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर भी केंद्र पर कई सवाल उठाये। उन्होंने कहा आज रूपये की वैल्यू निचले स्तर तक पहुँच गई है।  फोरेक्स रिज़र्व में प्रभाव पड़ा है।  हालांकि उन्होंने भारत की श्रीलंका जैसी स्थिति होने से साफ़ इंकार कर दिया  ...उन्होंने बाकायदा ये बताया की भारत में सिर्फ टूरिज्म या अन्य व्यवसाय नहीं है। आसान भाषा में कहें तो भारत में व्यापार के कई माध्यम है तो देश की स्थिति वैसी नहीं होगी। लेकिन उन्होंने मध्यप्रदेश में कर्ज की स्थिति पर चिंता जाहिर की। यशवंत सिन्हा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अतीत में जब वह भाजपा में थे।  तब कि भाजपा और वर्तमान की भाजपा में बहुत अंतर है।  सिन्हा ने कहा, ‘दोनों दल अलग-अलग हैं। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व वाली भाजपा एक वोट से विश्वास मत हार गई थी। 1999 में वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार एक वोट से हार गई थी। और मैं इसे एक बहुत ही गौरवमय अध्याय के रूप में मानता हूं... सिर्फ एक वोट से। उन्होंने सवाल खड़े करते हुए कहा  क्या अब आप कल्पना कर सकते हैं कि केंद्र या राज्यों में भाजपा सरकार एक वोट से हार सकती है?’ उन्होंने कहा, ‘आपको यह भी याद होगा कि उस समय विश्वास प्रस्ताव हारने के बाद वाजपेयी जी ने कहा था कि मंडी में माल बिक्री के लिए था।  लेकिन हमने खरीदा नहीं। आज उमंग सिंघार  ने खरीदने की बात की।  भाजपा कहां गई है?’ यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा के कुछ लोग अब भी चुनाव में उनका समर्थन कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि स्थिति के सामने आने का इंतजार करना अच्छी बात होगी। वहीं भाजपा नेताओं को विश्वास है की चुनाव बीजेपी उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ही जीतेंगी।  मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने कहा बीजेपी सौ प्रतिशत चुनाव जीत रही है।  नरोत्तम मिश्रा ने पूर्व सीएम कमलनाथ पर निशाना साधा और कहा कमलनाथ जी ने अपने विधायकों पर फॉर सेल यानी बिकाऊ  का टैग लगा दिया है।  उन्होंने कहा कमलनाथ जी अपने विधायकों पर संदेह न करें। प्रमाण दिखाएँ।  इंदिरा गांधी ने जिसे अंतरात्मा की आवाज कहा था। उसे आज क्रॉस वोटिंग कहें तो ज्यादा अच्छा होगा। क्रॉस वोटिंग यानी पार्टी लाइन से हटकर अपना वोट देना। अब वोट किस आधार पर दिया गया यह तो जनप्रतिनिधि मतदाता ही जाने। कांग्रेस के आरोप किस हद तक सही हैं। ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। और अंतरात्मा की आवाज किसकी सुनी जाती है। ये भी भविष्य में ही छुपा है। 

MadhyaBharat 16 July 2022

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