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धमतरी। बेमौसम बारिश से रबी धान फसल के उत्पादन की गुणवत्ता भीगने से खराब हो गया है। बारिश से धान की चमक धुल गई है, इससे कई किसानों के उत्पादित धान काला पड़ गया। किसानों के इस धान को संतोषजनक भाव नहीं मिल रहा है। गांवों में कोचिया तो औने-पौने दाम पर मांग रहे हैं, इससे सीधा किसानों को नुकसान पहुंचा है। जमीन पर गिरी फसल के उत्पादित धान सबसे ज्यादा प्रभावित है। वहीं खेतों में बालियां झड़ने से उत्पादन भी कम आ रहा है।
रबी सीजन में धान फसल लेने वाले किसानों के लिए बेमौसम बारिश भारी नुकसानदायक रहा। खेतों में फसल पककर तैयार हुई और बारिश का सिलसिला शुरू हो गई। अक्ति पर्व के बाद आए दिन हुई बारिश से तैयार रबी धान फसल काफी प्रभावित हुआ। कई किसानों के धान फसल जमीन पर गिर गई, इससे उत्पादित धान काला पड़ गया। कुछ किसानों के धान की बालियों में अंकुरण भी आ गया। शुरुआत में फसल 41 डिग्री तेज धूप में पक गई, लेकिन बारिश के चलते समय पर कटाई नहीं होने की वजह से तेज आंधी तूफान व बारिश के बड़ी बूंदों से धान गीले खेतों में झड़ गई। इस बीच धान की हार्वेस्टर से कटाई-मिंजाई कर घर के आंगन, सड़क किनारे व मैदानों में रखा था। यहां भी बरसाती पानी में भीगा, तो धान की चमक ही गायब हो गई। इन दिनों नमी वाले धान को सूखाने किसान बड़ी मशक्कत कर रही है, ताकि धान सूखे और चमक बढ़ सके।बारिश से भीगे उत्पादित धान की चमक जाने के बाद गांवों में कोचिया औने-पौने दाम पर मांग रहा है।
शुरुआत में किसानों के उत्पादित आईआर-64 धान को 1800 रुपये क्विंटल में खरीद की जा रही थी, लेकिन बेमौसम बारिश के चलते प्रभावित होने और चमक उड़ने के कारण अब गांव में 1500 से 1600 रुपये ही मांग रहे हैं, इससे किसानों को भारी नुकसान है। किसान मनहरण साहू, गौकरण राम, दिलीप यादव ने बताया कि मंडी में धान की कीमत पहले से 100 रुपये तक कम हुआ है। 1700 रुपये तक खरीदा जा रहा है। जैसे-जैसे मंडी में रबी धान की उत्पादन की आवक बढ़ रही है, वैसे-वैसे धान की कीमत प्रभावित होने लगा है। मौसम खुलने के साथ अब धान फसल की कटाई-मिंजाई में तेजी आएगी और मंडी में धान की आवक में बढ़ोत्तरी होगी। इस तरह धान की कीमत अब कम होने की आशंका है। कृषि उप संचालक मोनेश कुमार साहू ने बताया कि इस साल बेमौसम बारिश के चलते रबी धान फसल काफी प्रभावित है।
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