Since: 23-09-2009
धमतरी। शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लगने से शहर-अंचल के देवालयों के पट शाम चार बजकर पांच मिनट पर बंद कर दिए गए। मंदिरों के पट बंद रहने से शरद पूर्णिमा का उत्साह फीका रहा। आज मंदिरों का शुध्दिकरण कर भक्त मंदिर में प्रवेश करेंगे। कई श्रद्धालुओं ने एक दिन पहले और कई श्रद्धालु आज शरद पूर्णिमा का पर्व मनाएंगे।
प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा का पर्व उत्साह से मनाया जाता है, लेकिन इस चंद्रग्रण के चलते पर्व का उत्साह फीका रहा। शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लगने से उत्साह से शरद पूर्णिमा का पर्व मनाने वाले श्रध्दालुओं में इस बार निराशा देखने को मिली। ग्रहण के चलते सूतक लगने से मंदिरों के पट बंद रहने के अलावा पूजा पाठ पर भी समय विशेष पर विराम लग गया। प्रतिवर्ष नवरात्र पर्व के समापन के बाद श्रद्धालुओं को शरद पूर्णिमा पर्व का इंतजार रहता है। इस पर्व में मंदिरों में देवी देवताओं को मध्य रात्रि खीर का विशेष भोग लगाया जाता है। साथ ही विविध कार्यक्रम आयोजित कर पर्व को उल्लास से मनाया जाता है। लेकिन इस बार 28 अक्टूबर को मनाए जाने वाले शरद पूर्णिमा पर्व पर चंद्र ग्रहण की काली साया पड़ी, इससे श्रद्धालुओं में निराशा देखने को मिली।
शरद पूर्णिमा के दिन 28 अक्टूबर को चंद्रग्रहण की शुरुआत मध्य रात्रि एक बजकर पांच मिनट से हुई जो मध्य रात्रि दो बजकर 24 मिनट तक रहा। ग्रहण का सूतक नौ घंटे पूर्व लगा। इससे शाम चार बजकर पांच मिनट से मंदिरों के पट बंद हो गए। साथ ही पूजा पाठ भी वर्जित रहा। जानकारी के अनुसार चंद्रग्रहण इस बार अश्वनी नक्षत्र और मेष राशि में हो रहा है। खंडग्रास चन्द्रग्रहण का असर 12 राशियों पर पड़ा। विप्र विद्वत परिषद धमतरी के अध्यक्ष पंडित अशोक शास्त्री व मीडिया प्रभारी पंडित राजकुमार तिवारी ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार जब ग्रहण लगता है तो इसका शुभ और अशुभ दोनों तरह का प्रभाव सभी राशि के जातकों पर पड़ता है। ग्रहण काल खत्म होने के बाद दान पुण्य अवश्य करना चाहिए। इससे मनोकामना पूर्ण होती है।
MadhyaBharat
29 October 2023
All Rights Reserved ©2025 MadhyaBharat News.
Created By: Medha Innovation & Development
|